Kanpur Rojnamcha Column: कार-ओ-बार को बनाया कारोबार, यहां आप-आप कहकर देते हैं गाली

कानपुर शहर में पुलिस महकमे में सुर्खियां न बन पाने वाली घटनाओं को लेकर आया रोजनामचा कालम। बेहतरी के लिए शुरू किए गए हर अभियान में भी कुछ लोग कमाई का रास्ता तलाश ही लेते हैं। यहां आपसी झगड़े में भी आप-आप कहकर गाली देते हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 02:03 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 02:03 PM (IST)
Kanpur Rojnamcha Column: कार-ओ-बार को बनाया कारोबार, यहां आप-आप कहकर देते हैं गाली
कानपुर पुलिस विभाग की गतिविधियों का रोजनामचा।

कानपुर। कानपुर शहर में पुलिस महकमे की चर्चाओं को रोजनामचा कालम लेकर आता है। पुलिस विभाग में कई अफसरों ने कार ओ बार शुरू कर दिया है तो महकमे के कई साथी अपनी भाषा में ही एक दूसरे खिंचाई करते नजर आते हैं।

कार-ओ-बार को भी बना लिया कारोबार

पुलिस विभाग में कुछ पुलिसकर्मी ऐसे भी है, जिनको रेत में से भी तेल निकालने की कला आती है। बेहतरी के लिए अफसरों की ओर से शुरू किए गए हर अभियान को पलीता लगाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। कैसा भी अभियान हो, वे कमाई का रास्ता तलाश ही लेते हैं। ताजा मामला पुलिस के छेड़े कार-ओ-बार अभियान का है। इसके तहत ऐसे लोगों को सबक सिखाना है जो कि खुलेआम शराब पीकर समाज का माहौल खराब करते हैं। इस अभियान के तहत काफी कुछ बेहतर काम हुआ है, मगर खबरी के मुताबिक विशेष किस्म के कुछ पुलिस वालों ने इसमें भी कमाई का रास्ता निकाल लिया है। दो-चार पियक्कड़ मिलते ही उन्हें दबोच लेते हैं और कार-ओ-बार का डर दिखाकर उनसे अच्छी खासी वसूली कर लेते हैं। अभियान उनके लिए कमाई का नया जरिया बन गया है। दक्षिण के कई थानों में यह खेल हो रहा है।

बोली बन रही मुसीबत

पुलिस महकमे में इस समय बड़ी संख्या में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सिपाही और दारोगा तैनात हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बोली अवध क्षेत्र की बोली से काफी अलग है। जहां यहां आपसी झगड़े में भी आप-आप कहकर गाली देते हैं, वहीं पश्चिम में प्यार की बोली में भी लठ्ठ मार जैसा अहसास होता है। ऐसे में इन दिनों बोली की समस्या बढ़ती जा रही है। आम बोलचाल में लोगों को लगता है कि सामने खड़ा पुलिस वाला उनसे अभद्रता से बात कर रहा है, जबकि ऐसा नहीं होता। वह अपनी आम बोलचाल की भाषा का ही प्रयोग कर रहा होता है। जरूरत है कि ऐसे पुलिस कर्मियों की ट्रेङ्क्षनग हो और उन्हें यहां की बोली-भाषा से अवगत कराते हुए आम लोगों से संवाद करने की सलाह दी जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाले समय में पुलिसकर्मियों के खिलाफ अभद्रता की शिकायतों की संख्या तेजी से बढ़ेगी।

अफसरों के चहेतों सिपाहियों का आतंक

शहर में पुलिस अफसर के चहेते सिपाहियों का आतंक इस समय खूब है। इन सिपाहियों ने गुडवर्क के माध्यम से अफसरों का विश्वास हासिल किया हुआ है। इसी विश्वास के सहारे वे आम लोगों से वसूली के कार्यों में भी खूब व्यस्त हैं। अफसरों को इसकी भनक तक नहीं है कि जो सिपाही उनके लिए गुडवर्क का खाका तैयार करता है, वह समाज में किस कदर वसूली में व्यस्त है। यह सिपाही अफसरों का रौब गांठकर थानों में भी हस्तक्षेप करते हैं। तीनों जोन में ऐसे सिपाही मौजूद हैं। पूर्वी जोन में विशेषकर चकेरी थाने में विवादित सिपाहियों की सक्रियता सर्वाधिक है। हाल ही में चकेरी थाने में बाहर के दो सिपाहियों की सक्रियता की खबरें आई थी, जिन पर जांच भी चल रही है। देखना यह है कि इन प्रकरणों में क्या कार्रवाई होती है। खबरी के मुताबिक पूरे शहर में ऐसे पुलिसकर्मियों की संख्या लगभग डेढ़ दर्जन है।

इमेज सुधारने को बरसात में लगवा रहे प्याऊ

कानपुर आउटर के थाने में तैनात एक बदनाम दारोगा इन दिनों अपनी इमेज सुधारने में लगे हैं। दारोगा महोदय पहले साथी महिला दारोगा के साथ प्रेम प्रसंग को लेकर चर्चित रहे थे। महिला दारोगा से कार की गिफ्ट ले ली और उसे छोड़ दिया। बाद में महिला दारोगा ने थाने आकर खूब हंगामा किया। किसी तरह से मामला हल हुआ। हाल ही में दुष्कर्म पीडि़त किशोरी के मामले में भी यही दारोगा विवादों में आए। लगातार हुई दो घटनाओं के बाद अब वह इमेज बनाने में लगे हैं। पिछले तीन दिनों से वह क्षेत्र में जानवरों के लिए प्याऊ लगवा रहे हैं। अब उन्हें कौन समझाए कि इस भीषण बरसात में प्याऊ लगवाने से क्या फायदा। झमाझम बारिश से पूरा इलाका ही पानी से भरा हुआ है। दारोगा जी का इमेज बदलने का दांव खाली गया बल्कि बारिश में प्याऊ लगवाने के फैसले पर लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं।

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