Kanpur Rojnamcha Column: वर्दी वाले का चालान कौन काटेगा, पुलिस कमिश्नरेट में यह नहीं चल पाएगा

कानपुर पुलिस विभाग की पर्दे के पीछे की कारगुजारियों और चर्चाओं को बाहर लेकर आता है रोजनामचा कॉलम। बीते एक सप्ताह की चर्चाओं में इस बार एक अग्निशमन अधिकारी बेहद व्यस्त हैं और थाने के अंदर शायद कोविड नियम लागू ही नहीं हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 10:42 AM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 01:25 PM (IST)
Kanpur Rojnamcha Column: वर्दी वाले का चालान कौन काटेगा, पुलिस कमिश्नरेट में यह नहीं चल पाएगा
रोजनामचा में कानपुर पुलिस विभाग की खबरें।

कानपुर, [आशीष पांडेय]। कानपुर शहर में पुलिस विभाग में कई चर्चाएं बाहर नहीं आ पाती हैं, ऐसी खबरों को चुटीले अंदाज में लेकर आया है साप्ताहिक कॉलम रोजनामचा। एक अग्निशमन अधिकारी काम के बोझ में इतना दबे हैं कि विभाग से संबंधित जानकारी देने की भी फुर्सत नहीं है। थाने और चौकियों में दारोगा व सिपाही बिना मास्क लगाए बैठे नजर आते हैं पर कार्रवाई कौन करे।

बड़का साहब तो परमीशन में ही व्यस्त

शहर में एक अग्निशमन अधिकारी के पास तो विभाग से संबंधित जानकारी देने की भी फुर्सत नहीं है। काम के बोझ में इतना दबे हैं कि एक-दो मिनट फोन पर बातचीत करना भी भारी होता है। गलती से अगर कुछ पूछ लिया तो आम को इमली बताना इनकी आदत में शुमार है। विभागीय जानकारी लेने के लिए फोन किया जाए तो दो टूक जवाब मिलता है कि मैं क्या बताऊं, यह काम अधीनस्थों का है। तीन दिन पहले एक विभागीय कार्यक्रम के बारे में जानकारी के लिए फोन किया गया तो काम के बोझ तले दबे साहब बिना कुछ सुने ही बोल पड़े कि आज बहुत व्यस्त हूं। बात करने की फुर्सत नहीं है। कल बात कीजिएगा, कहकर फोन काट दिया। व्यस्तता के बारे में पता किया गया तो पता चला कि सहालग में साहब के पास परमीशन की बड़ी जिम्मेदारी है। दिन रात वह सिर्फ इसी में व्यस्त हैं।

थानेदारी का असली मजा तो यही ले रहे

थानेदारी का असली मजा तो इन्हें ही मिल रहा है। काम चलाने के लिए तो कुछ भी मिल जाए, लेकिन थानेदार साहब तो 60 रुपये लीटर मिलने वाली बोतल का पानी पीना पसंद करते हैं। यह बात तब उजागर हुई, जब रात्रिकालीन कफ्र्यू का कड़ाई से पालन कराने के लिए पुलिस दुकानें, रेस्टोरेंट, स्वीट हाउस बंद कराने के बाद चेङ्क्षकग कर रही थी। उच्चाधिकारियों के शहर भ्रमण की जानकारी हुई तो पसीना आ गया। इस पर उन्होंने वहीं पास में कारखास सिपाही से आशीवार्द प्राप्त और नाइट कफ्र्यू के बाद भी गुपचुप तरीके से खुले एक हुक्काबार में सिपाही को भेजकर वही 60 रुपये लीटर वाली पानी की बोतल मंगाई। पीने के बाद उसके स्वाद की तारीफ करते हुए थानेदार चौकी प्रभारी से बोले कि दो पेटी पानी उठवा लेना। एक गाड़ी में रहेगा और दूसरा कमरे पर भेज देना। चौकी प्रभारी ने आदेश का पालन कर पेटियां लदवा दीं।

पुलिस कमिश्नरेट में यह नहीं चल पाएगा

आज के समय में कहीं काम बोलता है तो कहीं सेङ्क्षटग बोलती है। दक्षिण में एक चर्चित थानेदार भी ऐसा ही सोचते हैं। कई बार इनके दामन में दाग लगे, लेकिन सेङ्क्षटग से सब चल रहा। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद एक अधिकारी सड़क पर पुलिस की मुस्तैदी चेक करने के लिए निकले थे। उन्होंने चर्चित थानेदार की भी लोकेशन मांग ली। बताई लोकेशन पर अधिकारी पहुंचे तो होमगार्ड भी नहीं मिला। इस पर उनका पारा चढ़ गया। कई बार लोकेशन मांगने पर वह प्राइवेट कार लेकर घर से निकले। क्षेत्र की सीमा के चौराहे पर पहुंचकर लोकेशन दी तो अधिकारी भी वहां आए। वहां उन्हें कार से देखा और सरकारी गाड़ी, हमराही के बारे में पूछा तो थानेदार जवाब नहीं दे पाए । इस पर अधिकारी ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि रवैया सुधार लो। अब पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू है। यह सब चल नहीं पाएगा।

वर्दी वाले का चालान कौन काटेगा

एक तरफ जहां कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने के लिए पुलिस सख्ती कर रही है। मास्क न लगाने वालों का एक हजार रुपये का चालान काटने का आदेश भी जारी हो गए। इसके बाद भी थाने और चौकियों में दारोगा व सिपाही कोविड गाइड लाइन का उल्लंघन कर बिना मास्क लगाए बैठे नजर आए। मास्क उनके मुंह के बजाय नेम प्लेट के ऊपर से लटका वर्दी की शोभा बढ़ा रहा था। वहीं शुक्रवार दोपहर कचहरी के पास भी एक बाइक पर दो सिपाही बंदी को लेकर कचहरी आए थे। बाइक चलाने वाले सिपाही ने न तो हेलमेट पहना था, न ही मास्क लगाया था। मुस्कुराते हुए वर्दी में ठसक ऐसी थी कि उनके भाव देखकर तो यही लग रहा कि उन्हें कोरोना का डर नहीं है। फिर वर्दी वाले का चालान कौन काटेगा। जब पालन कराने वाले ही नियमों का उल्लंघन करेंगे तो आम लोगों से उम्मीद कैसे करेंगे।

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