Kanpur Rojnamcha Column: यह पुलिस है बाबू, सरेंडर हजम नहीं रहा साहब
कानपुर पुलिस की न सुनी हुई कारगुजारियों को उजागर करता है रोजनामचा कॉलम। इस बार दक्षिण शहर के एक थाने की कारगुजारी सामने आई है तो उजियारीपुरवा दोहरे हत्याकांड में आरोपितों के सरेंडर भी समझ नहीं आया है।
कानपुर, गौरव दीक्षित। कानपुर शहर में अपराध नियंत्रण में जुटा पुलिस महकमा भी खबर बनता रहता है, इसके बीच कुछ चर्चाएं पर्दे के पीछे होकर छूट जाती है। ऐसे ही चर्चाओं को चुटीले अंदाज में लोगों तक पहुंचाता है रोजनामचा कॉलम, इसमें पुलिस की अनसुनी कारगुजारियां हैं...।
यह पुलिस है बाबू
चार दिन पहले इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दक्षिण शहर के एक थाने की कारगुजारी सामने आई थी। वीडियो एक दुकान का था, जिसमें दुकानदार खुलेआम ग्राहकों को दारू पिला रहा था। जब उससे पूछा गया कि पुलिस तो नहीं आएगी तो बेहद विश्वास से उसने कहा कि पुलिस को पैसा देता हूं। कोई नहीं आएगा। वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस वीडियो बनाने वाले कलमकार का तो कुछ बिगाड़ नहीं पाई, दुकानदार को उठाकर थाने ले आई और सार्वजनिक रूप से सच सुनाने की भरपूर सजा दी। यह बात जब वीडियो बनाने वाले को पता चली तो उसने थानेदार को फोन करके अपना विरोध दर्ज कराया। थानेदार साहब भी इस बार तैयार थे, उन्होंने जवाब देने की बजाय फोन का स्पीकर खोल दिया। इसके बाद दुकानदार की चीखें ही फोन पर गूंजती रहीं। बेचारे कलमकार भी क्या करते, फोन काटने में ही उन्होंने अपनी भलाई समझी।
सरेंडर हजम नहीं हो रहा साहब
उजियारीपुरवा दोहरे हत्याकांड के दोनों आरोपितों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। दो दिनों तक यह ड्रामा चला। इस घटना के बाद एक बार फिर सवाल खड़े हो गया है कि क्या पुलिस अपराधियों से मिली हुई है। सवाल यह है कि क्या पुलिस अपराधियों की सुरागरसी नहीं कर रही थी। अगर कर रही थी तो लगातार दो दिन कैसे हिट विकेट हो गई। बिकरू कांड के बाद जिन मामलों में पुलिस पर अंगुली उठी, उन सभी में मुख्य आरोपितों ने अदालत में आत्मसमर्पण किया है। ड्रग्स तस्कर सुशील बच्चा, उसका भाई राजकुमार, सट्टा किंग सोनू सारदार और उसके सभी छह साथियों, पिंटू सेंगर हत्याकांड के मुख्य आरोपित सऊद अख्तर व महफूज अख्तर ने पुलिस को गच्चा देकर अदालत में आत्मसमर्पण किया। पुलिस एक बार गच्चा खा सकती है, मगर जिस तरह से बार-बार उसे नाकामी का स्वाद चखना पड़ रहा है, उससे खाकी की छवि खराब हो रही है।
सीओ साहब की सीख
शराबियों के साथ पुलिस का व्यवहार किसी से छिपा नहीं है। इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर शहर के एक सीओ का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह शराबियों को सीख देते दिखाई पड़ रहे हैं। सीओ साहब की वाकपटुता के हजारों लोग कायल हो गए हैं। लोग दावा कर रहे हैं कि अगर उनके जैसे सीओ पुलिस विभाग में हो जाएं तो पुलिस विभाग का कल्याण हो जाए।
सीओ साहब शराबियों को गोली या डंडे से नहीं बल्कि शब्दों से मार रहे थे। उन्हें समझा रहे थे कि अगर उनके जैसे लोग सड़क पर खड़े हों तो क्या वे अपनी मां या बहन को उधर भेजना पसंद करेंगे। नशे में सड़क हादसे का शिकार भी हो सकते हैं, बच्चे आपका इंतजार कर रहे हैं। दूसरी ओर एक जमात वीडियो को नौटंकी करार दे रही है। यह वही लोग हैं, जिन्होंने उन्होंने तब से देखा है, जब वह सिपाही थे।
जमीन के सौदागर
अपने शहर में जमीन के सौदागरों की जमात बड़ी तेजी के साथ बढ़ रही है। शहर में कोट वाले, खादी वाले, खाकी वाले और कलम वालों ने मिलकर कई गिरोह बना लिए हैं। इनका काम है विवादित जमीनों पर कब्जे करना। इसके लिए किसी की हत्या करना, खुलेआम गोली चलाना, कानून तोडऩा इनके लिए बाएं हाथ का खेल है। पिछले दिनों भी जमीनी विवाद को लेकर ही गोलीबारी हुई थी। पूरे तंत्र में ये लोग इस तरह से पैबस्त हो चुके हैं कि आम आदमी त्राहि-त्राहि कर रहा है। जानते सब हैं, लेकिन सच्चाई कहने की हिम्मत किसी में नहीं है। एक बुजुर्ग कोट वाले साहब बोले, हमारे जमाने में कभी ऐसा नहीं हुआ। अब तो कोट पहना ही इसलिए जा रहा है, ताकि जमीनें कब्जाई जा सकें। एक नहीं बल्कि दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। अब देखना यह है कि साहब इन मामलों में क्या फैसला लेते हैं।