Kanpur Rojnamcha Column: ठगों पर मेहरबान, बड़े साहब की कीमत लगी पांच करोड़
कानपुर में पुलिस विभाग की पर्दे की पीछे खबरों को रोजनामचा कॉलम बाहर लाता है। ये वो बातें हैं जो विभागीय कर्मियों में चर्चा का विषय तो बनती हैं लेकिन खबरें नहीं बन पाती हैं। ऐसी ही चर्चाओं को कॉलम के मध्यम से लोगों तक पहुंचाया है।
कानपुर, [गौरव दीक्षित]। शहर के पुलिस महकमे के अंदर की बात बाहर नहीं आ पाती हैं लेकिन विभागीय चर्चा का विषय बनी रहती हैं। ऐसे ही प्रकरणों को रोजनामचा कॉलम लोगों तक पहुंचाता है। इस सप्ताह के कुछ प्रकरण को खासा चर्चा में बने रहे।
ठगों पर मेहरबान चकेरी पुलिस
पिंटू सेंगर के हत्यारोपितों से दोस्ती निभा चुकी चकेरी पुलिस अब ठगों पर मेहरबान है। कहानी यह है, शहर के एक ठेकेदार ने छावनी स्थित दो प्रतिष्ठित स्कूलों की इमारत बनाने का ठेका लिया था। करीब दस करोड़ रुपये खर्च हुए। जब स्कूल प्रबंधकों से ठेकेदार ने भुगतान करने को कहा तो वे मुकर गए। अदालत के आदेश से धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। तीन दिन पहले वायरल एक ऑडियो में थाना प्रभारी वादी को फोन पर कहते सुने गए कि दोनों रसूखदार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है। वे हवालात में हैं। इशारा किया गया कि आरोपित जेल जाएंगे, लेकिन वह अपना भी इंतजाम कर ले। ठेकेदार तो इंतजाम का मतलब समझ नहीं सका, आरोपितों ने जरूर इंतजाम कर दिया। नतीजा यह हुआ कि दोनों जेल जाने के स्थान पर खुली हवा में सांस ले रहे हैं। अब कहा जा रहा है, जांच हो रही है।
बड़े साहब की कीमत लगी पांच करोड़
शहर के सफेदपोश आकाओं को खाकी के बड़े साहब हजम नहीं हो रहे। वजह, जब भी वह शतरंज की बिसात बिछाते हैं, साहब उनका खेल बिगाड़ देते हैं। ऐसे में अब उन्हें रास्ते से हटा देने की तैयारी कर ली गई है। सत्ता के गलियारे में खासा दखल रखने वाले अफसर की मदद से बड़े साहब के विदाई की तैयार की जा रही है। बताया जा रहा है, कीमत पांच करोड़ लगी है। पैसा तैयार है, मगर सुना है इन सब कोशिशों से अनजान बाबा जी इस बदलाव को तैयार नहीं हैं, क्योंकि बड़े साहब उन्हीं की पसंद है और उन्हें उन पर पूरा विश्वास है। हालांकि सफेदपोश आका हार मानने वाले नहीं हैं, क्योंकि अगर बड़े साहब जमे रहे तो करोड़ों रुपये की कई डील पर पानी फिर जाएगा। ऐसे में वे पूरा जोर लगा रहे हैं कि किसी तरह से लंबे समय से जमा यह विकेट गिर जाए।
कारिंदे कर रहे कार की सवारी
सट्टेबाजी और ड्रग्स माफिया के खिलाफ खाकी इन दिनों काफी आक्रामक है। इस अभियान के चलते कई खाकी वालों की मासिक कमाई बंद हो गई है। मगर, आपदा में अवसर तलाशने वालों की भी कमी नहीं है। वे चुपके से राहु-केतु बनकर गुडवर्क करने वाली टोली में शामिल हो गए हैं। चूंकि, उन्हें गंदे धंधे की एक-एक गली का पता है, इसलिए जल्द ही साहब का विश्वास भी हासिल कर लिया और मुख्य कारिंदे बन गए। खबर है कि अब उन्होंने अपना रेट पहले से दस गुना बढ़ा दिया है। सख्ती की धौंस इस कदर काम कर रही है कि पैसा बरस रहा है। बताते हैं कि कारिंदों ने इस काली कमाई से एक एसयूवी और एक हांडा सिटी कार खरीदी है। बिना नंबर की ये गाडिय़ां इन दिनों पुलिस की बेगारी में खूब देखी जा रही हैं। सुना है साहब भी अब इस गिरोह में ही फंस गए हैं।
बिकरू की जंग
बिकरू में दो जुलाई 2020 को जो कुछ हुआ, वो इतिहास है। दुर्दांत विकास दुबे के पराभव के बाद गांव में जंग छिड़ी हुई है कि अगला विकास दुबे कौन होगा। अब किसके इशारे पर आसपास के दस-बीस गांवों के लोग चलेंगे। इस रेस में सबसे आगे विकास दुबे के खानदान के वे लोग ही शामिल हैं जो आखरी समय में उसके विरोधी हो गए थे। उन्हें लगता है कि अगर इस समय दबदबा कायम हो गया तो उनकी बादशाहत कायम हो जाएगी। हालांकि दूसरा गुट भी जोर लगाए है। इसके लिए पंचायत चुनाव को जरिया बनाया गया है। मगर, इन सबके बीच पुलिस और प्रशासन की माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। उन्हें डर है कि दबदबा कायम करने की इस दौड़ में अगर बिकरू में फिर कोई कांड हो गया तो इस बार उनकी खैर नहीं। फिलहाल बिकरू की इस जंग से अफसर डरे हुए हैं।