Kanpur Rojnamcha Column: कालाबाजारी में भी डील, सक्रिय हुआ कमाई वाला गैंग

कानपुर शहर में रोजनामचा कॉलम अपराध और पुलिस कारगुजारियों को उजागर करता है। कोरोना महामारी में अच्छे कार्यों को लेकर पुलिस की तारीफ हो रही है तो कुछ कर्मी विभाग की शान में बट्टा लगा रहे हैं ।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 11:48 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 11:48 AM (IST)
Kanpur Rojnamcha Column: कालाबाजारी में भी डील, सक्रिय हुआ कमाई वाला गैंग
कानपुर पुलिस की खबरें हैं रोजनामचा कॉलम।

कानपुर, [गौरव दीक्षित]। शहर में अपराध की घटनाओं के अलावा पुलिस महकमे में अंदरुनी चर्चाएं भी खासा रहती हैं। वहीं इन दिनों कोविड में पुलिस मददगार भी बनकर सामने आ रही है। वहीं कोरोना काल में मछली गैंग की पौ बारह हो गई है। कुछ ऐसी चर्चाओं को रोजनामचा कॉलम लेकर आया है...।

कालाबाजारी में भी डील

पुलिस तो पुलिस ही है। एक ओर कोरोना महामारी में अच्छे कार्यों को लेकर पुलिस की तारीफ हो रही है, वहीं, दूसरी ओर कुछ ऐसे भी हैं, जो विभाग की शान में बट्टा लगा रहे हैं। खबरी ने बताया है कि पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ पिछले कुछ दिनों में कइयों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों के स्वजन के पास पुलिस के कुछ एजेंटों ने संपर्क किया। उनको बताया जा रहा है कि सरकार ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ एनएसए लगाने का आदेश दिया है। ऐसे में अगर एनएसए से बचना है तो अभी से लेनदेन तय कर लो। अगर डील तय हुई तो एनएसए से बच जाओगे, नहीं तो कई महीनों तक जेल में रहने का इंतजाम कर लो। खबर है कि तीन लोगों से डील भी हो गई है। पता नहीं अफसरों को मातहतों की इस हरकत का पता है भी या नहीं।

कोरोना ने घटाई दूरी

कोराना महामारी के दौरान लोगों की मददगार बनकर उभरी पुलिस की छवि में सुधार हुआ है। अब उससे कतराने के बजाय लोग पास में पहुंच रहे हैं। घर-गृहस्थी चलाने में मदद को भी थाने में गुहार लगा रहे हैं। शुक्रवार को कोचिंग पढ़ाने वाले एक शिक्षक बर्रा थाने पहुंचे। उन्होंने बताया कि कफ्र्यू के दौरान कामकाज बंद है। कमाई का कोई रास्ता नहीं है। ऐसे में बच्चों का पेट कैसे पालें। थाना प्रभारी ने उन्हें कुछ आर्थिक मदद देने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उसे बेहद कम बताते हुए लेने से इन्कार कर दिया। कहा, वह चाहते हैं कि पुलिस की ओर से कुछ ऐसे इंतजाम किए जाएं, जिससे उनकी गृहस्थी पटरी पर दौड़ सके। उनका कहना था कि पुलिस ने प्लाज्मा बैंक, ऑक्सीजन बैंक बनाई अब भोजन बैंक भी बनाए, ताकि भूखे पेट भर सकें। पुलिस के लिए यह बेहतर संकेत हैं, मगर जिला प्रशासन पर सवाल भी है।

कोई सिस्टम भी है...

इन दिनों लचर सिस्टम को लेकर बहस छिड़ी है। महामारी से लड़ रहे डॉक्टरों की मानें तो उन्हें लग ही नहीं रहा है कि कोई सिस्टम काम कर रहा है। एक डॉक्टर ने शहर में कोविड संक्रमण को लेकर चल रही कवायद की पोलपट्टी खोल दी। उनकी मानें तो कोई सिस्टम काम नहीं कर रहा। अस्पतालों में डॉक्टर जूझ रहे हैं तो सड़क पर पुलिस। इसके अलावा लगता ही नहीं है कि शहर में कोई और भी तंत्र है। उन्होंने बताया कि लिक्विड आक्सीजन की किल्लत को लेकर उन्होंने प्रशासन के आला अधिकारियों से कई बार कहा, लेकिन समाधान नहीं हुआ। पिछले दिनों उन्होंने पुलिस आयुक्त के सामने जब यह मुद्दा रखा तो दूसरे दिन ही समस्या का समाधान मिल गया। पुलिस आयुक्त की एक पहल की वजह से करीब आधा दर्जन कोविड अस्पतालों को राहत पहुंची है। डॉक्टर साहब का यह बयान प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल है।

आपदा में मछली गैंग की पौ बारह

कोरोना महामारी की वजह से हर ओर त्राहिमाम के हालात हैं। मगर कुछ ऐसे भी हैं, जिनके लिए यह मौका कमाई का जरिया बन गया है। गंगा बैराज पर मछली का शिकार करने वाला गिरोह इन दिनों खुलेआम गंगा में शिकार कर रहा है। आम दिनों में बैराज पर मछलियों का शिकार होता है, मगर मीडिया की वजह से पुलिस को कई बार कार्रवाई भी करनी पड़ती थी। हालांकि, अब कोरोना काल में पुलिस संक्रमण रोकने में लगी हुुई है और तस्कर खुलेआम सुबह से लेकर शाम तक मछलियों का शिकार कर रहे हैं। अब उन्हें रोकने और टोकने वाला कोई नहीं है। खबरी का कहना है कि शिकारी पहले की तरह थाना पुलिस को उनका हिस्सा पहुंचा रहे हैं। शिकार तो पहले भी हो रहा था, मगर अब माहौल बेरोकटोक हो गया है। बताते हैं कि कटरी के भूमाफिया ही मछलियों के शिकार का गैंग भी संचालित करते हैं।

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