Kanpur Rojnamcha Column: सहमे-सहमे आए और सीना तानकर निकले, अब सीबीआइ ने बढ़ाई धुकधुकी

कानपुर शहर में पुलिस महकमे की हलचल है रोजनामचा कालम। कमिश्नरेट पुलिस में एक नए साहब आने वाले हैं और साहब पहले भी यहां रह चुके हैं। दारोगा जी भी ताड़ गए कि जी सर जी सर किया तो मामला बिगडऩा तय है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 04:35 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 04:35 PM (IST)
Kanpur Rojnamcha Column: सहमे-सहमे आए और सीना तानकर निकले, अब सीबीआइ ने बढ़ाई धुकधुकी
कानपुर में पुलिस महकमे का रोजनामचा ।

कानपुर, [गौरव दीक्षित]। शहर में पुलिस महकमे के अंदर भी खासा हलचल रहती है और चर्चाएं सुर्खियां नहीं बन पाती हैं। ऐसी चर्चाओं को चुटीले अंदाज में लेकर आया है रोजनामचा कालम...।

कानपुर... मोह नहीं छूटता

कमिश्नरेट पुलिस में एक नए साहब का आगमन होने वाला है। हाल ही में उन्हें कानपुर में तैनाती मिली है। साहब पहले भी यहां रह चुके हैं और यूं कहें कि नौकरी का लंबा समय इन्होंने कानपुर में ही बिताया है तो गलत न होगा। एक बार फिर से इनके कानपुर आने से तमाम लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं कि आखिर बार-बार कानपुर ही क्यों? बताते हैं कि साहब का लंबा समय सर्किल और जनपद में बीत गया तो उन्होंने कानपुर के लिए एटीएस का दामन थाम लिया था। विवादों से भी इनका नाता रहा है तो गुस्सा नाक पर रहता है। तभी एक बार नौकरी से इस्तीफा देने तक का एलान कर चुके हैं। अब यह देखना है कि प्रोन्नति के बाद नए पोर्टफोलियो में वह कमिश्नरेट पुलिस में खुद को कैसे फिट करते हैं। हालांकि, खबरी का कहना है कि साहब के पुराने कद्रदान बेहद खुश हैं।

सहमे-सहमे आए, सीना तानकर निकले

वाकपटु़ता से बड़ी से बड़ी मुसीबत दूर की जा सकती है। पिछले दिनों पुलिस आयुक्त ने यूपी-112 में तैनात एक दारोगा को इसलिए तलब किया था, क्योंकि वह उसके काम से संतुष्ट नहीं थे। 57 साल की उम्र पार चुके दारोगा जी भी ताड़ गए कि जी सर, जी सर किया तो मामला बिगडऩा तय है। वाकपटुता के सहारे उन्होंने अपनी कमी दूसरों के कंधों पर मढ़ी और बोले, साहब वरिष्ठों की वजह से ऐसा हो गया, अब आगे ऐसा नहीं होगा। आगे से ऐसी सख्ती करूंगा कि पीआरवी वाले त्राहि-त्राहि कर उठेंगे। पुलिस आयुक्त को दारोगा की यह अदा भा गई। काम अच्छे से हो, इसलिए उन्होंने मुकम्मल वर्दी पहनकर पेश होने के लिए दारोगा की तारीफ की और आदेश दिया कि दारोगा जी की चरित्र पंजिका में गुड इंट्री दर्ज कर इन्हें प्रशस्ति पत्र दिया जाए। दारोगा जी सहमे सहमे आए थे और सीना तान कर बाहर निकले।

बदनामी के दाग

तमाम कोशिशों के बावजूद पुलिस के दामन के दाग नहीं धुल रहे। शुक्रवार को सभी सरकारी एजेंसियों ने मिशन शक्ति के तहत विभिन्न उच्च पदों पर एक दिन के लिए छात्राओं को बैठाकर उनकी हौसलाअफजाई करके संदेश देने की कोशिश की, मगर एक दिन पहले सर्किट हाउस में राज्य महिला आयोग ने जो आईना दिखाया था, वह ङ्क्षचता का सबब है। राज्य महिला आयोग ने खुलकर कहा था कि शहर के कल्याणपुर और चकेरी थानों में महिला संबंधी अपराधों को दबाने के लिए फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। राज्य महिला आयोग के सदस्यों का यह बयान पुलिसिया सिस्टम के लिए बड़ा सवाल है। चकेरी हो या कल्याणपुर दोनों थाने लंबे समय से पुलिस के लिए किरकिरी बने हुए हैं। कोई भी थानेदार यहां रहा हो, वह विवादों में उलझ ही जाता है। फिर भी बदनामी के दाग तो धोने ही होंगे, नहीं तो ऐसे आयोजन किस काम के।

सीबीआइ ने बढ़ाई धुकधुकी

संजीत अपहरण व हत्याकांड की जांच सीबीआइ ने शुरू कर दी है। एक ओर जहां पीडि़त परिवार को इंसाफ की उम्मीद जगी है, वहीं दूसरी ओर पुलिस की धुकधुकी बढ़ गई है। जितना बड़ा सवाल यह है कि संजीत का शव कहां है, उतना ही बड़ा सवाल फिरौती की रकम देने या नहीं देने का भी है। दी गई थी तो उस बैग में कितने पैसे थे। फिरौती की रकम को लेकर शुरुआत से ही विवाद रहा है। इसके अलावा पुलिस कर्मियों के अपराधियों से संबंधों को लेकर भी सवाल खड़े हुए थे। सीबीआइ इस ओर भी जांच कर सकती है। ऐसे में आरोपितों व पीडि़तों के अलावा सीबीआइ की इस केस में इंट्री पुलिस के लिए भी किसी मुसीबत से कम नहीं है। तत्कालीन एसपी साउथ से लेकर थाना प्रभारी सभी जांच के दायरे में हैं और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बड़े राजफाश होंगे।

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