संजीत हत्याकांड : नकली नोटों पर फंस सकती पुलिस, जानिए- सीबीआई के सवालों की फेहरिस्त
कानपुर के चर्चित रहे संजीत यादव हत्याकांड में सीबीआइ जांच शुरू होते ही पुलिस महकमे में खलबली मच गई है। सीबीआइ ने अनसुलझी गुत्थी सुलझाने के लिए आठ-नौ पन्नों की प्रश्नावली तैयार की है जिसमें नकली नोटों पर पुलिस फंस सकती है।
कानपुर, [आशीष पांडेय]। संजीत यादव के अपहरण और हत्या के मामले में सीबीआइ जांच की शुरुआत बर्रा थाने से शुरू हुई, जहां टीम साढ़े पांच घंटे तक रही। दस्तावेज खंगाले। पुलिस की कार्रवाई का बारीकी से अवलोकन किया। इस दौरान कई ऐसे अनसुलझे सवाल मिले, जिनके जवाब कार्रवाई से संबंधित दस्तावेज में नहीं थे। आठ-नौ पन्नों की प्रश्नावली तैयार की गई है। इनमें शामिल सवालों का जवाब घटना में निलंबित कि गए पुलिसकर्मी व जांच अधिकारी देंगे। सीबीआइ के सवालों की फेहरिस्त में एक बड़ा हिस्सा पुलिस की ओर से फिरौती देने के प्लान और इसमें नकली नोट होने के दावे से जुड़ा है। माना जा रहा कि नकली नोटों की कहानी पुलिस के लिए गले की हड्डी साबित हो सकती है।
आरोपितों ने संजीत को अगवा कर हत्या करने के दो दिन बाद उसके पिता से 30 लाख की फिरौती मांगी थी। पुलिस की मौजूदगी में रकम से भरा बैग पुल से गिराया गया था। उसके बाद न बैग का पता चला, न संजीत का। फिरौती देने से पहले इन्कार करती रही पुलिस बाद में नकली नोट बैग में होने की कहानी पर आ गई। सीबीआइ इस बात की छानबीन कर रही है कि जिस वक्त यह घटना हुई, यहां तैनात पुलिस कर्मियों में कोई दागी तो शामिल नहीं रहा। तत्कालीन थाना प्रभारी की टीम में शामिल रहे एक पुराना दागी सिपाही सीबीआइ के रडार पर है जो सट्टेबाजों से रुपये लेने के मामले में फजलगंज थाने से लाइन हाजिर हुआ था। उस सिपाही के बारे में भी छानबीन की जा रही है, जिसका मोबाइल फिरौती वाले बैग में रखे जाने की बात कही गई। वह भी दागी है।
सीबीआइ के पेचीदा सवाल
-सीबीआइ को थाने में दस्तावेजों के अवलोकन में यह साफ नहीं हुआ है कि आखिर उस दुकानदार से ही नोट क्यों लिए गए? वह इतनी बड़ी संख्या में नोट रखता है? इतनी बड़ी संख्या में नोट किसी के खरीदने की जानकारी उसने पुलिस को क्यों नहीं दी?
-दुकानदार का संजीत के परिवार से कोई विवाद तो नहीं? क्या दुकानदार थाने-चौकी के किसी पुलिसकर्मी के संपर्क में था?
-फिरौती देते वक्त पुलिस टीम को कौन लीड कर रहा था? क्या वह मौके पर था?
-क्या फिरौती की रकम देने के लिए थाने से जाते वक्त पुलिस टीम ने जीडी में रवानगी या इंट्री दर्ज की थी।
-पुलिस ने फिरौती वाले बैग में एक मोबाइल डाला था ताकि बदमाशों को ट्रेस किया जा सके। वह मोबाइल किसका था, सिमकार्ड किसके नाम पर था?
-मोबाइल नहीं मिला तो क्या उसका तस्करा डाला गया या सर्विलांस से उसकी आइएमईआइ नंबर को रन कराया?
-फिरौती की रकम दिलवाने के लिए पुलिस पिता को ही क्यों ले गई?
-जहां से बैग फेंका गया, वहां से बदमाश कितनी दूरी पर थे।
-घटना में शुरू से अंत तक पुलिस ने कितने लोगों को उठाया?
- उठाए गए लोगों को दूसरे थाना क्षेत्र से लाते समय क्या पुलिस ने संबंधित थाना पुलिस को इसकी जानकारी दी?
- क्या पुलिस ने अपने थाने की जीडी में पूछताछ का तस्करा डाला?