Anti Sikh Riots Case Kanpur: दबौली में 36 वर्ष पहले हुई दंपती की हत्या में पुलिस ने दर्ज किए चारों बेटों के बयान
सिख विरोधी दंगे में एसआइटी की जांच में गोविंदनगर थाना क्षेत्र के दबौली में 36 वर्ष पूर्व दंपती की हत्या के मामले में बयान दर्ज किए गए हैं। पड़ोसियों की मदद से बेटे बच गए थे और अब पंजाब में रह रहे हैं। पुलिस ने पंजाब जाकर बातचीत की है।
कानपुर : सिख विरोधी दंगे के दौरान गोविंद नगर थानाक्षेत्र के दबौली में हुई दंपती की हत्या के मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने उनके चारों बेटों के बयान दर्ज कर लिए हैं। बड़े बेटे ने ही वारदात में शामिल कुछ दंगाइयों के नाम बताए हैं। इसके आधार पर टीम दंगाइयों का पता लगाने की कोशिश कर रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों के दौरान गोविंद नगर थानाक्षेत्र के दबौली ई ब्लॉक में रहने वाले करन सिंह और उनकी पत्नी सतवंत कौर की भी हत्या हुई थी। घटना के बाद उनके चारों बेटों दिलावर सिंह, बलदेव सिंह, संतशरण सिंह व मंजीत सिंह ने पड़ोसियों के घरों पर फांदकर अपनी जान बचाई थी। एसआइटी के मुताबिक घटना के वक्त दिलावर की उम्र 14 वर्ष, बलदेव की उम्र 12 वर्ष, संतशरण की छह वर्ष व मंजीत की चार वर्ष थी। दिलावर ने बयान में बताया था कि वारदात के बाद दंगाइयों ने पूरे घर में लूटपाट भी की थी।
पड़ोसियों की मदद से वह चारों भाई कुछ दिन सरकारी कैंप में रहे और फिर तत्कालीन जिलाधिकारी ने डेढ़ महीने अपने घर पर भी रखा था। इसके बाद पंजाब निवासी उनके रिश्तेदार आकर ले गए थे। तब से चारों भाई पंजाब के जालंधर व पठानकोट में रह रहे हैं। एसआइटी के एसपी बालेंदु भूषण ने बताया कि दंपती की हत्या मामले में पंजाब गई टीम ने उनके चारों बेटों के बयान ले लिए हैं। बड़े दो बेटों ने कुछ व्यक्तियों के बारे में जानकारी दी है। साथ ही केस से संबंधित शपथ पत्रों को भी देखा जा रहा है। इसके आधार पर दंगाइयों के नामों का सत्यापन कराया जाएगा।