बसपा नेता हत्याकांड में सामने आया पुलिस का खेल, आरोपितों को बचाने के लिए लगाया वादी का फर्जी बयान

बसपा नेता पिंटू सेंगर हत्याकांड की विवेचना में पुलिस द्वारा किया गया एक और खेल पकड़ा गया है। हत्या में नामजद दो अधिवक्ताओं के नाम निकालने के लिए वादी का झूठा बयान लिखकर लगा दिया गया। बयान भी केस डायरी में अंकित है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 26 Aug 2021 09:39 AM (IST) Updated:Thu, 26 Aug 2021 09:39 AM (IST)
बसपा नेता हत्याकांड में सामने आया पुलिस का खेल, आरोपितों को बचाने के लिए लगाया वादी का फर्जी बयान
कानपुर में पुलिस का खेल पकड़ा गया।

कानपुर, जेएनएन। बसपा नेता पिंटू सेंगर हत्याकांड में पुलिस ने विवेचना में तमाम खेल किए हैं। मुख्य आरोपितों के नाम निकालने के खेल के बाद जांच का एक और विवादित बिंदु प्रकाश में आया है। विवेचक ने हत्या में नामजद शहर के दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं के नाम निकालने के लिए वादी के झूठे बयान केस डायरी में अंकित कर दिए। बयान कुछ इस तरह से लिखा, जिसमें न केवल दोनों नामजदों को राहत मिल गई, बल्कि ट्रायल के दौरान इसके आधार पर दूसरे आरोपित भी लाभ पाने की कोशिश करेंगे।

पिंटू सेंगर की 20 जून 2020 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या की जांच शुरुआत से ही विवादों में रही। पुलिस ने अक्टूबर में चार्जशीट दायर की तो उसमें नामजद दो अधिवक्ताओं के अलावा, मुख्य आरोपित मनोज गुप्ता व वीरेंद्र पाल के अलावा महफूज अख्तर व सऊद अख्तर को राहत दी गई। दैनिक जागरण ने जब इस मामले को जोरशोर से उठाया तो पुलिस को मजबूरन सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर करके मनोज गुप्ता, वीरेंद्र पाल और अख्तर बंधुओं को आरोपित बनाना पड़ा। हालांकि दोनों अधिवक्ताओं के नाम निकालने पर वादी पक्ष ने भी कोई विरोध नहीं किया था। अब इस मामले में ऐसा तथ्य सामने आया है, जिसे लेकर वादी धमेंद्र ङ्क्षसह सेंगर बेहद आहत हैं। उनका आरोप है कि फिलहाल उन्हें यह जानकारी नहीं है, मगर ऐसा है तो वह पुलिस अधिकारियों से मिलकर इस पर विरोध दर्ज कराएंगे। पुलिस फिर साजिश कर रही है।

गौरतलब है कि तत्कालीन विवेचक रोहित तिवारी ने दोनों वरिष्ठ अधिवक्ताओं के नाम निकालने के लिए वादी धमेंद्र ङ्क्षसह के फर्जी बयान लिख दिए हैं। बयानों में धमेंद्र की ओर से लिखा गया है कि उन्होंने गलत नामजदगी करा दी थी। वहीं धमेंद्र का दावा है कि उन्होंने ऐसा कुछ कहा ही नहीं। विवेचक ने उनके फर्जी बयान लिखे हैं। असल में यह बयान आरोपित पक्ष के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं, क्योंकि अदालत में सुनवाई के दौरान आरोपित पक्ष सवाल कर सकता है कि जब वादी ही गलत नामजदगी का बयान दे रहा तो तहरीर पर कैसे विश्वास किया जा सकता है।

महफूज को बचाने में भी पुलिस ने लगा दिया था जोर

पिंटू हत्याकांड के आरोपित महफूज अख्तर पर पुलिस की कृपा का एक और मामला सामने आया है। पिछले वर्ष जब टेनरियों की बिजली पानी काटी गई थी तो जाजमऊ में कुछ टेनरी मालिकों व कर्मियों ने हंगामा किया था। पुलिस ने जांच के बाद महफूज अख्तर के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। ङ्क्षपटू सेंगर हत्याकांड में पुलिस अधिकारी के आदेश पर कोर्ट से चार्जशीट वापस मंगाई गई और महफूज का नाम निकाला गया। बताया जाता है कि इसमें भी लाखों का लेनदेन हुआ था।

-मामले की गहनता से जांच की जाएगी। अगर कुछ गलत हुआ है तो उसे सुधारा जाएगा। -असीम अरुण, पुलिस आयुक्त

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