700 करोड़ की सरकारी जमीन घोटाले की एफआइआर में भी खेल, जालसाजी पर कानपुर पुलिस क्यों चुप

चकेरी में सोसायटी के नाम पर सरकारी जमीन बेचने के मामले में केडीए की तहरीर पर दर्ज एफआइआर में सिर्फ धोखाधड़ी की धाराएं लगाई गई हैं। जालसाजी की धारा न होने से आरोपितों को जमानत से लेकर सजा तक राहत मिलेगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 07:55 AM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 07:55 AM (IST)
700 करोड़ की सरकारी जमीन घोटाले की एफआइआर में भी खेल, जालसाजी पर कानपुर पुलिस क्यों चुप
कानपुर का सबसे बड़े जमीन घोटाले में घोटाला ।

कानपुर, जेएनएन। चकेरी स्थित 700 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले की तहरीर में ही खेल कर दिया गया। तहरीर में जमीन को फर्जी दस्तावेजों से खरीद फरोख्त न कहते हुए केवल धोखाधड़ी से जोड़ा गया है। ऐसा करने से आरोपितों के खिलाफ जालसाजी के आरोप की धाराएं नहीं लगीं। आरोपित की गिरफ्तारी के बाद जमानत से लेकर सजा तक हर मामले में राह पहले से काफी आसान हो गई है।

कानपुर विकास प्राधिकरण के अमीन प्रदीप कुमार की ओर से सोमवार को थाना चकेरी में सरकारी जमीन को बेचे जाने के इस मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था। केडीए की तहरीर में केवल यह कहा गया है कि जमीन को धोखाधड़ी करके दूसरों को बेच दिया गया, जिसमें विश्वकर्मा सहकारी आवास समिति का सचिव रामलखन वर्मा को नामजद किया गया है। तहरीर की भाषा के हिसाब से ही पुलिस ने आरोपित के खिलाफ आइपीसी की धारा 419, 420 में मुकदमा दर्ज किया। दोनों धाराएं धोखाधड़ी के आरोपों को प्रदर्शित करती हैं।

इस प्रकरण के पहले शिकायतकर्ता शिवेंद्र सेंगर ने अपने शिकायती पत्र में साफ कहा था कि भूमाफिया ने भू अभिलेखों में छेड़छाड़ करते हुए जमीन बेची है। सरकारी जमीन को सोसायटी की जमीन बताते हुए लोगों को जमीनें बेची गईं। इससे साफ है कि जमीनों को बेचे जाने के लिए जालसाजी भी की गई। मगर, बेहद चालाकी के साथ तहरीर में जालसाजी के आरोपों पर मौन साध लिया गया।

जालसाजी की धाराएं लगतीं तो..

आइपीसी की धाराएं 467, 468, 471 जालसाजी के आरोपों को प्रदर्शित करती हैं। इसमें कूटरचना करके कोई दस्तावेज तैयार करना भी है। अंतर यह है कि केवल धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज होने से आरोपित की थाने से आसानी से जमानत हो सकती है और दोषी पाए जाने पर सात साल तक कैद हो सकती है। जालसाजी की धाराएं भी जोड़ दी जातीं तो गैरजमानती अपराध हो जाता। इसके अलावा दोषी पाए जाने पर इसमें आजीवन कारावास तक हो सकती है। पुलिस ने केडीए की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया है। जांच के दौरान अगर जालसाजी की पुष्टि होती है तो आरोपित के खिलाफ धाराएं बढ़ा दी जाएंगी। कोई नया नाम भी सामने आएगा तो उसे भी आरोपित बनाएंगे। -डॉ. प्रीतिंदर सिंह, डीआइजी

chat bot
आपका साथी