Kanpur Ring Road: 14 सौ करोड़ रुपये में बनेगा मंधना से सचेंडी तक रोड, बाईपास का दिया जाएगा नाम
कानपुर आउटर में 93 किलोमीटर लंबी रिंग रोड का निर्माण प्रस्तावित है जो चार चरणों में बनाई जारी है और इस प्रोजेक्ट पर 5182.37 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। पहले चरण में मंधना से सचेंडी तक रोड बनाई जाएगी।
कानपुर, जेएनएन। मंधना से सचेंडी तक रिंग रोड के प्रथम चरण का कार्य करीब 14 सौ करोड़ रुपये से होगा। फिलहाल इसे बाईपास का नाम दिया जाएगा। इसके बनने से शहर से होकर गुजरने वाले हाईवे एक दूसरे से जुड़ जाएंगे जिससे जाम की समस्या का भी समाधान होगा। हालांकि यातायात का दबाव सचेंडी से चकेरी फ्लाईओवर पर बढ़ जाएगा। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अब इस प्रोजेक्ट पर राज्य सरकार की एनओसी लेगा। फोर लेन मार्ग के निर्माण के लिए किसानों से भूमि आपसी समझौते के आधार पर खरीदी जाएगी ताकि समय से प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा।
शहर से पांच राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं। कानपुर-इटावा, कानपुर-हमीरपुर, कानपुर-लखनऊ, कानपुर-प्रयागराज और कानपुर-अलीगढ़ जीटी रोड यहां से गुजर रही है। इस वजह से ही शहर में यातायात का दबाव ज्यादा है। इसे देखते हुए 93 किलोमीटर लंबी आउटर रिंग रोड बनाई जानी है। रिंग रोड के निर्माण का कार्य चार चरणों में होना है। इस प्रोजेक्ट पर 5182.37 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। पहले चरण में बाईपास के रूप में मंधना से सचेंडी तक बाईपास का निर्माण होगा। फोर लेन इस रिंग रोड के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण और सड़क निर्माण में 14 सौ करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।
एनएचएआइ के परियोजना निदेशक ने कंसलटेंट से पहले चरण के कार्य के लिए विवरण मांगा है। भूमि अधिग्रहण से संबंधित जो प्रक्रिया है उसके तहत संबंधित अधिसूचनाएं जारी होती रहेंगी, लेकिन किसानों से आपसी सुलह समझौते के आधार पर ही भूमि का बैनामा होगा ताकि 80 फीसद भूमि की रजिस्ट्री होने के बाद आसानी से टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जा सके। पांडु नदी पर पुल के लिए ङ्क्षसचाई विभाग और मंधना में कानपुर-फर्रुखाबाद रेल लाइन पर ओवरब्रिज के निर्माण के लिए जल्द ही रेलवे, एनएचएआइ कन्नौज से एनओसी ली जाएगी। इस संबंध में पत्रावली तैयार की जा रही है।
साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कानपुर आगमन पर इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास कराने के लिए प्रस्ताव भी परिवहन मंत्रालय और राज्य सरकार को भेजा जाएगा। मंडलायुक्त डा. राजशेखर ने समग्र विकास समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव से संबंधित विभागों से समन्वय बनाने के लिए कहा है। जल्द ही वे मीटिंग भी करेंगे ताकि जरूरी एनओसी आसानी से मिल सके।