Kanpur Naaptol Ke Column: भइया अपनों से नाराज हैं.., तो पहले से तय थी पूरी स्क्रिप्ट

कानपुर शहर में व्यापारिक राजनीतिक चर्चाओं का बाजार है नापतोल के कालम। शहर में लोगों के कहने पल जरा-जरा सी बात पर अपनों के लिए महंगी पार्टी करने वाले व्यापारी नेता आजकल अपनों से नाराज चल रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 30 Sep 2021 12:34 PM (IST) Updated:Thu, 30 Sep 2021 12:34 PM (IST)
Kanpur Naaptol Ke Column: भइया अपनों से नाराज हैं.., तो पहले से तय थी पूरी स्क्रिप्ट
कानपुर की गर्म चर्चाओं के बाजार का कालम नापतोल के।

कानपुर, जेएनएन। कानपुर व्यापारिक गतिविधियों वाला क्षेत्र होने के साथ राजनीति का भी गढ़ है। ऐसे में यहां व्यापारिक राजनीतिक हलचल भी खासा रहती है, इसमें होने वाली चर्चाओं को चुटीले अंदाज में लेकर आता है नापतोल के कालम...। आइए देखते हैं बीते सप्ताह किन चर्चाओं का बाजार गर्म रहा।

भइया अपनों से नाराज हैं

जरा-जरा सी बात पर अपनों के लिए महंगी पार्टी करने वाले व्यापारी नेता आजकल अपनों से नाराज हैं। ये पार्टियां ही थीं, जिन्होंने उन्हें व्यापार मंडल ने चेयरमैन बनाया था। हर कार्यक्रम के बैनर होर्डिंग पर सबसे बड़ी फोटो भी उन्हीं की होती थी। इसके पीछे एक कारण था कि पूरा खर्च उन्हीं के जिम्मे आता था। व्यापारियों की एक टीम लगातार उनके आगे पीछे घूमती रहती थी। यहां से लेकर लखनऊ तक की उनकी फोटो अक्सर वायरल होती रहती थीं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से मामला कुछ गड़बड़ाया हुआ है। अभी तक उनके निर्णय हर किसी को मान्य होते थे, लेकिन अब व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने अपना एक वाइस चेयरमैन भी चुन लिया। बस भइया को सौतिया डाह ने डस लिया। नाराजगी इतनी है कि भाई ने अपने जन्मदिन की पार्टी की, बहुत से लोग भी बुलाए गए लेकिन व्यापार मंडल से गिनती के लोग ही आमंत्रित हुए।

तो तय थी पूरी स्क्रिप्ट

पिछले दिनों एक फैक्ट्री से जुड़े एक कर्मचारी संगठन ने बड़ा प्रदर्शन करने की घोषणा की। काफी दिनों से छोटे-छोटे अभियान से हटकर बड़ा कार्यक्रम करने की घोषणा से पुलिस भी सतर्क थी। तय समय पर कार्यक्रम शुरू हुआ। पुलिस ने हस्तक्षेप कर कर्मचारी संगठन को रोका। किसी तरह उन्हें समझाया गया और कहा गया कि वे खुद इस मामले में बात करेंगे। सबकुछ सही जा रहा था, लेकिन तभी पुलिस के जिस अधिकारी ने हस्तक्षेप कर पूरे मामले को खत्म किया था, कर्मचारी नेता ने उन्हीं के हाथ में एक ज्ञापन जेब से निकाल कर थमा दिया। यह ज्ञापन उन्हीं को संबोधित करते हुए लिखा गया था। उन्होंने भी ज्ञापन को सहर्ष स्वीकार कर लिया, लेकिन अब कर्मचारियों में इस बात की सुगबुगाहट है कि यह सबकुछ पहले से तय था, वरना नेताजी की जेब में उसी अधिकारी के नाम का पहले से लिखा ज्ञापन कैसे पड़ा हुआ था।

जिनका कार्यक्रम वही नहीं बोल सके

उद्यमियों के एक कार्यक्रम में उनकी समस्याओं को सुना जाना था। उन्हें कारोबार को बढ़ाने के टिप्स भी दिए जाने थे। इसके लिए कई दिनों से तैयारियां भी चल रही थीं। कार्यक्रम में सभी बड़े-बड़े चेहरे मौजूद थे, जो एक क्षण में ही किसी भी कारोबारी की समस्या को दूर कर सकते थे। कार्यक्रम शुरू हुआ, एक-एक कर अफसरों ने बोलना शुरू किया, उन्हें भी बोलने का मौका मिला, जो इस क्षेत्र में कुछ नहीं जानते थे, लेकिन जिनका कार्यक्रम था, जब उनके मुखिया ने बोलना शुरू किया और वह अपनी रौ में आ ही रहे थे कि संचालन कर रहे सज्जन ने उनके सामने पर्ची रख दी कि ज्यादा समय न लें। समस्याओं को गिनाने की शुरुआत करते करते वह रुके और भाषण समाप्त कर बैठ गए। अब उद्यमियों के बीच यह चर्चा है कि जब उनकी बात सुनी जानी थी तो उनके प्रतिनिधि को बोलने देना चाहिए था।

नवरात्र के साथ एक और व्यापार मंडल

यह शहर व्यापारियों और उद्यमियों का है, इसलिए यहां व्यापार मंडल सबसे ज्यादा सक्रिय भी हैं, साथ ही व्यापारी नेता प्रदेश तक अपनी आवाज उठाते रहते हैं। सिर्फ यही नहीं, यहां व्यापार मंडलों की संख्या भी काफी अधिक है। कोई भी नया व्यापार मंडल बने, उसके पदाधिकारी सबसे पहले कानपुर में किसे टीम में लिया जाएगा, इसकी गणित में जुट जाते हैं। अब नवरात्र के साथ ही एक और नया व्यापार मंडल शहर में गठित होने जा रहा है। इस व्यापार मंडल की जमीन बननी शुरू भी हो गई है। यह एक ऐसा संगठन है, जो राज्य की राजधानी की जगह देश की राजधानी के ज्यादा करीब है। आजकल दिनभर नेताओं की टेलीफोनिक टाक चल रही। शहर में व्यापारी राजनीति से जुड़े या थोड़ा उभर रहे नेता भी खुश हैं कि नए-नए व्यापार मंडल बन रहे हैं। इससे उन्हें ही कोई न कोई पद मिलने में आसानी हो रही है।

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