Kanpur Naaptol Ke Column: भइया ! बाजार बंदी तो कर दें, लेकिन दूसरे माल बेच लेंगे

कानपुर शहर में व्यापारिक संगठनों की गतिविधियों और चर्चाओं की जानकारी देता है नापतोल के कॉलम। व्यापारी संगठनों में अभियान शुरू हो चुका है कि लॉकडाउन लगाया जाए। इसके साथी व्यापारी नेताओं के द्वारा मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ को पत्र भेजने का भी सिलसिला शुरू हो चुका है।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 07:30 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 09:31 AM (IST)
Kanpur Naaptol Ke Column: भइया ! बाजार बंदी तो कर दें, लेकिन दूसरे माल बेच लेंगे
कानपुर में व्यापारिक संगठनों के अंदर की खबर का कॉलम नापतोल के।

कानपुर, [राजीव सक्सेना]। व्यापारिक गतिविधियों के लिए कानपुर शहर भी बड़ा केंद्र माना जाता है। यहां बाजार के साथ कई व्यापारिक संगठन भी सक्रिय हैं, राजनीतिक शुरुआत का बड़ा गढ़ भी रहा है। व्यापारिक संगठन के बीच होने वाली कई चर्चाएं पर्दे के पीछे रह जाती हैं, जिन्हें चुटीले और व्यंग अंदाज में लाता है नापतोल के कॉलम...।

फिक्र है, दूसरा लाभ न पा जाए

कोरोना को लेकर व्यापारी संगठनों में अभियान शुरू हुआ कि लॉकडाउन कराया जाए। मुख्यमंत्री को एक के बाद एक पत्र भेजने की शुरुआत हो गई। सबमें एक ही बात कही गई। एक सप्ताह से 14 दिन के लिए लॉकडाउन किया जाए। उनके पत्रों पर कुछ बात बनती, उससे पहले ही लाटूश रोड के मशीनरी मार्केट के व्यापारियों ने अपना बाजार बंद करने की घोषणा कर दी। अब जो संगठन मुख्यमंत्री को पत्र भेज रहे थे, उनसे व्यापारियों ने पूछा कि वे खुद अपना बाजार बंद करने की घोषणा क्यों नहीं कर रहे हैं। अब पत्र भेजने वाले व्यापारी नेताओं के पास देने के लिए कोई जवाब नहीं था। बमुश्किल कुछ बोलने को तैयार हुए कि भइया हम तो बंदी की घोषणा कर देंगे, लेकिन बाजार में दूसरे व्यापारी अपनी दुकान बंद नहीं करेंगे तो वे तो माल बेच ही लेंगे न। हमारी तो दुकान बंद रहेंगी, उनका लाभ हो जाएगा।

पहले अगुवाई की, अब फिसड्डी

पिछले दिनों शहर के एक व्यापार मंडल ने तय किया कि कोरोना को देखते हुए बाजार को सात बजे बंद कर दिया जाएगा। बाजार में कुछ कारोबारी इस निर्णय के साथ हुए तो कुछ ने इसका विरोध भी किया। फिर भी जो साथ थे, उन्होंने अपना काम छह बजे तक समेट कर सात बजे दुकानें बंद करनी शुरू कर दीं, लेकिन जिन नेताजी ने यह घोषणा की थी, वही समय का ध्यान रखने में लापरवाह हो गए। जहां बाकी दुकानदार सात बजे घर की ओर निकलने लगे, वहीं भइया पौने आठ बजे तक दुकान की गद्दी पर नजर आते हैं। आखिर में 15 मिनट में दुकान बंद कर आठ बजे घर निकल जाते हैं। साथी व्यापारियों का कहना है कि भाई का घर पास में है। इसलिए वह समय का ध्यान नहीं रख रहे। अब उनको देखकर दूसरे व्यापारी भी दुकान बंद करने का अपना समय बढ़ाने लगे हैं।

छुट्टी मिल नहीं रही, 50 फीसद का रोस्टर

जब से कोरोना का हमला दोबारा शुरू हुआ बैंक कर्मचारी परेशान थे कि पिछली बार की तरह उनका 50 फीसद का रोस्टर लागू हो। बैंक अधिकारी से लेकर वित्त मंत्रालय तक पत्र भेजे गए। मांग की गई कि संक्रमण बढऩे की वजह से आधे स्टाफ को ही एक दिन में आने की अनुमति दी जाए। ऊपर से भी आदेश हो गया और स्थानीय स्तर पर भी। आदेश फाइलों में पहुंच भी गया और जारी भी हो गया, लेकिन अब नया संकट है। बैंकों के ज्यादातर कर्मचारी खुद बीमार हैं या तो उनके परिवार के लोग बीमारी की चपेट में हैं। दोनों स्थितियों में उनका बैंक आना संभव नहीं है। बड़ी मुश्किल से कैश काउंटर, मिसलेनियस काउंटर पर कर्मचारी समायोजित हो रहे हैं। अब ऐसे मौके पर 50 फीसद का रोस्टर आना बैंक कर्मचारियों को चिढ़ा रहा है। कहते हैं, यहां छुट्टी के तो लाले हैं, रोस्टर की बात कौन करे।

ऊपरी आशीर्वाद और नए संगठन की तैयारी

व्यापारियों का शहर है तो व्यापारिक संगठन होंगे ही। शहर में एक-एक बाजार में कई-कई संगठन हैं भी। इनमें से ज्यादातर ऊपरी स्तर पर जिले के किसी न किसी गुट से जुड़े हैं। अब एक्सप्रेस रोड को ही ले लीजिए। वहां अच्छा खासा संगठन है। संगठन के पूर्व कोषाध्यक्ष जिला के संगठन में भी पदाधिकारी हैं, इसलिए खुद को बाजार के संगठन में दूसरे पदाधिकारियों से कुछ ऊपर समझ रहे थे। बाजार के पदाधिकारियों को उनकी बातें अखर गईं तो संगठन की सदस्यता से ही बाहर कर दिया। जिला स्तर के संगठन ने प्रयास कर बाजार स्तर के संगठन पर दबाव बनाया। होली मिलन समारोह के बहाने तय किया गया कि विवादों को खत्म करा कर दोबारा बाजार वाले संगठन में शामिल करा दिया जाए, लेकिन बाजार के संगठन ने दो टूक इन्कार कर दिया। अब निकाले गए पदाधिकारी ऊपरी आशीर्वाद से नया संगठन बनाने की तैयारी में जुटे हैं।

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