Kanpur Naaptol Column: अपनों के सामने परायों की प्रशंसा, दाल वालों की नहीं गली दाल

कानपुर महानगर में व्यापारिक गतिविधियों की हलचल लेकर आता है नापतोल के कालम। बाजार में आजकल दाल को लेकर खूब खींचतान है। सबसे ज्यादा कष्ट तब होता है जब अपने सामने बैठे हों और बोलने वाला बेखटके परायों की प्रशंसा करें।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 09:46 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 09:46 AM (IST)
Kanpur Naaptol Column: अपनों के सामने परायों की प्रशंसा, दाल वालों की नहीं गली दाल
कानपुर शहर में नापतोल के व्यापारिक हलचल।

कानपुर, [राजीव सक्सेना]। कानपुर शहर में व्यापार के साथ व्यापारियों की राजनीतिक हलचल भी कम नहीं रहती है। व्यापारी संगठन और नेताओं की गतिविधियां अक्सर चर्चा में रहती हैं लेकिन सुर्खियां नहीं बन पाती हैं। ऐसी चर्चाओं को चुटीले अंदाज में नापतोल के कालम उजागर करता है। आइए देखते हैं कि बीते सप्ताह किन बातों पर चर्चाएं अधिक रहीं...।

दाल वालों की नहीं गली दाल

बाजार में आजकल दाल को लेकर खूब खींचतान है। पहले दाल की स्टाक सीमा तय हुई, फिर उसमें छूट दी गई। अब दाल में मिलावट की बात आ गई। एक महीने में तीन आदेश आने से दाल मिलर्स और कारोबारियों की शांत राजनीति अचानक ही गर्म हो गई। पहले आंदोलन हुआ कि स्टाक सीमा बढ़ाई जाए, जब स्टाक सीमा बढ़ी तो आवाज उठाई जा रही है कि दाल में मिलावट नहीं होती, इसलिए यह आदेश वापस लिया जाए। इसे लेकर पिछले दिनों दाल मिल मालिकों और उनके एजेंटों ने बैठक बुलाई। मिल मालिकों को लगा कि चलो कुछ तो रणनीति बनेगी कि इसके खिलाफ क्या करना है लेकिन बैठक में आंदोलन की रणनीति तो नहीं बनी, पदाधिकारियों ने मिल मालिकों को वही नियम बता दिए जो शासन स्तर से जारी हुए थे। जो विरोध की योजना बना रहे थे, उनकी दाल नहीं गली और अपना सा मुंह लेकर लौट आए।

अपनों के सामने परायों की प्रशंसा

सबसे ज्यादा कष्ट तब होता है जब अपने सामने बैठे हों और बोलने वाला बेखटके परायों की प्रशंसा करे। अब ऐसी स्थिति में न तो बैठते बनता है, न उठते। पिछले दिनों एक व्यापारी संगठन ने कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें सभी व्यापारी मंडलों के पदाधिकारियों को बुलाया गया। वहीं, एक व्यापार मंडल के महामंत्री ने मंच से दूसरे संगठन के पदाधिकारी की प्रशंसा शुरू कर दी। प्रशंसा का स्तर इतना बढ़ा कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि वह उनकी अंगुली पकड़कर व्यापार मंडल की राजनीति में चलना सीखे। कार्यक्रम में महामंत्री के व्यापार मंडल के भी कई पदाधिकारी बैठे थे। कार्यक्रम में मौजूद व्यापारियों की निगाहें लगातार उन व्यापारी नेताओं के चेहरे के भावों को पढऩे का प्रयास कर रही थीं। हाल यह था कि बुरा लगने के बाद भी व्यापारी नेता उठने की हालत में नहीं थे वरना यह साफ हो जाता कि उन्हें बुरा लग रहा है।

व्यापारियों के समूह में पार्टी का गुणगान

व्यापारियों के वाट्सएप ग्रुप में आजकल व्यापारिक समस्याओं के अलावा सबकुछ हो रहा है। गुड मार्निंग, गुड नाइट बहुत पुरानी चीज हो गए। शहर में बहुत से व्यापारी नेता एक राजनीतिक दल से जुड़े हैं। इस समय दल में पद भी मिल रहे हैं, इसलिए पार्टी के नेताओं से निकटता दिखा पद पाने के प्रयास हो रहे हैं। ऐसे ही एक नेताजी ने पिछले दिनों पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी के साथ फोटो व्यापारियों के ग्रुप में डाली। वह इतने पर ही नहीं रुके। हाल ही में पद हासिल करने वाले एक अन्य नेता के साथ फोटो भी उन्होंने ग्रुप पर डाल दी और उनकी शान में कुछ लाइनें भी। अब ग्रुप के अन्य व्यापारियों ने पूछना शुरू कर दिया कि यह व्यापारियों का ग्रुप है या राजनीतिक दल का। एक ने राय भी दे दी कि अगर इस तरह की फोटो डालने की इच्छा हो तो पर्सनल पर भेज दें।

ये कार्यक्रम किसका था

सरकारी सुविधा प्राप्त एक व्यापारी नेता हैं। जब आते थे तो कभी सर्किट हाउस, कभी बड़े व्यापारी नेताओं के घर में बैठक करते थे। शहर के व्यापारी उन्हें हाथों हाथ लेते थे लेकिन इस बार स्थितियां बदली हुई थीं। पिछले सप्ताह कानपुर आए तो व्यापारियों के बीच उनकी बैठक सर्किट हाउस, किसी व्यापार मंडल के कार्यालय या किसी व्यापारी नेता के घर पर नहीं हुई। व्यापारियों ने कलक्टरगंज के बाजार की सड़क पर ही उनका स्वागत किया और वहीं समस्याएं बताईं। उन्हें फूल-मालाएं भी पहनाईं गईं। व्यापारी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर कार्यक्रम करा कौन सा संगठन रहा है क्योंकि जो व्यापारी नेता सबसे आगे दिख रहे थे, उनके संगठन का तो कोई पदाधिकारी वहां दिख नहीं आ रहा था और कार्यक्रम भी संगठन के कार्यालय में नहीं बाहर सड़क पर हो रहा था। व्यापारी अब भी चुटकी ले रहे हैं कि आखिर कार्यक्रम करा कौन रहा था।

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