इटली की 'रीना' की अनुमति पर ही चलेगी कानपुर की मेट्रो, 90 की रफ्तार पर हुई टेस्टिंग

कानपुर में मेट्राे ट्रेन और ट्रैक की जांच आरडीएसओ कर रहा है लेकिन सिग्नल का सिस्टम कितना काम कर रहा है और उसके फूल प्रूफ होने की जांच यूरोपियन इटली की कंपनी रीना के अधिकारी करके अपनी रिपोर्ट देंगे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 20 Nov 2021 01:38 PM (IST) Updated:Sat, 20 Nov 2021 01:38 PM (IST)
इटली की 'रीना' की अनुमति पर ही चलेगी कानपुर की मेट्रो, 90 की रफ्तार पर हुई टेस्टिंग
आरडीएसओ मेट्राे ट्रेन और ट्रैक की जांच कर रहा है।

कानपुर, [राजीव सक्सेना]। शहर में भले ही मुख्यमंत्री मेट्रो ट्रायल रन को हरी झंडी दिखा चुके हों लेकिन यात्रियों के लिए ट्रैक पर मेट्रो ट्रेन इटली की रीना की अनुमति के बाद ही चल सकेगी। मेट्रो के पूरे ट्रैक पर सिग्नल लग चुके हैं लेकिन, जबतक यूरोपियन कंपनी रीना इन सिग्नल को ओके करने की अपनी रिपोर्ट नहीं दे देगी तब तक यात्रियों के लिए मेट्राे का संचालन नहीं किया जाएगा। मेट्रो की पहली ट्रेन से जहां रिसर्च एंड डिजाइन स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) अपनी जांच कर रहा है। वहीं मेट्रो की दूसरी ट्रेन रीना कंपनी को जांच के लिए दी जा रही है। जांच के लिए ट्रेन में भी सभी तैयारियां की जा रही हैं। आरडीएसओ ने मेट्रो की 90 की रफ्तार की टेस्टिंग भी की है।

आरडीएसओ ट्रेन और ट्रैक की जांच कर रहा है लेकिन, सिग्नल का सिस्टम कितना काम कर रहा है और वह फूल प्रूफ है या नहीं, इसकी जांच रीना कंपनी के अधिकारी करेंगे। सिग्नल सिस्टम ओके होने की स्वतंत्र एजेंसी की रिपोर्ट जब रेल संरक्षा आयुक्त को मिल जाती है तभी वह ट्रेन को यात्रियों के लिए चलाने की अनुमति देते हैं। इसकी जांच भी ट्रेन को चलाकर की जाती है। साथ ही पूरा सिग्नल सिस्टम ठीक काम कर रहा है यह भी जांचा जाता है। मेट्रो ने इटली की इस कंपनी को यह जांच सौंपी है। मेट्रो ने अपनी लिखित जानकारी भी कंपनी को भेज दी है कि उसने अपने सिग्नल सिस्टम में क्या-क्या व्यवस्थाएं की हैं।

अब इस माह के अंत में कंपनी के अधिकारी आकर खुद सभी व्यवस्थाओं को जांचेंगे। सिग्नल सिस्टम ट्रेन व ट्रैक पर लगे एंटीना से मिलने वाले संकेतों के आधार पर सिस्टम को आपरेट करते हैं। इसमें यह चेक किया जाता है कि अगर सिग्नल को कोई भी जानकारी नहीं पहुंच पाती तो या सिस्टम में कोई गड़बड़ी है तो सभी सिग्नल लाल हो जाने चाहिए। वे किसी भी हालत में ग्रीन या बैंगनी नहीं होने चाहिए। इसके साथ ही ट्रेन को एक ही ट्रैक पर एक दूसरे के करीब लाकर भी देखा जाएगा कि सिग्नल कितनी दूरी पर इस चीज को पकड़ पाता है कि ट्रेन एक दूसरे के एक ही ट्रैक पर बहुत करीब आ गई हैं।

आरडीएसओ ने 90 की रफ्तार पर की जांच

रिसर्च एंड डिजाइन स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) ने शुक्रवार को पहली बार मेट्रो को चलाकर टेस्टिंग की। उसने ट्रेन को 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाकर उसका कंपन का स्तर देखा। अभी तक उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन मेट्रो ट्रेन की अपने स्तर से टेङ्क्षस्टग कर रहा था। शुक्रवार को पहली बार आरडीएसओ ने ट्रेन को जांचा। पहले दिन हवा के प्रेशर के साथ कंपन चेक किया गया। अब हवा निकाल कर जांच होगी।

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