Kanpur Metro Project: पालीटेक्निक डिपो को जल्द मिलने लगेगी बिजली, मेट्रो की टेस्टिंग होगी आसान

गुजरात से आने के बाद अभी तक पहली मेट्रो पालीटेक्निक डिपो में असेंबलिंग एरिया के अंदर ही है। इसे बाहर निकाला जाना बाकी है। अधिकारियों के मुताबिक अगले दो-तीन दिन में ही असेंबङ्क्षलग एरिया से निकाल कर मेट्रो की डिपो के अंदर बिछे ट्रैक पर टेस्टिंग शुरू कर दी जाएगी।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 10:10 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 10:10 AM (IST)
Kanpur Metro Project: पालीटेक्निक डिपो को जल्द मिलने लगेगी बिजली, मेट्रो की टेस्टिंग होगी आसान
कानपुर मेट्रो की खबर से संबंधित सांकेतिक फोटो।

कानपुर, जेएनएन। कानपुर की मेट्रो अगले सप्ताह मुख्य ट्रैक पर परीक्षण के लिए आ जाएगी। पालीटेक्निक डिपो में परीक्षण के बाद अधिकारी उसे मुख्य रूट पर लाएंगे। 25 अक्टूबर को मेट्रो का रिसोर्स सब स्टेशन (आरएसएस) भी चालू हो जाएगा। इसके बाद यहां से पालीटेक्निक डिपो में बिजली की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। इससे मेट्रो की टेस्टिंग आसान हो जाएगी। इस तरह से ट्रायल रन से पहले मेट्रो खुद ही अपने स्तर से परीक्षण कर लेगी ताकि कमियों को दूर कर निर्माता कंपनी को बताया जा सके।  

गुजरात से आने के बाद अभी तक पहली मेट्रो पालीटेक्निक डिपो में असेंबलिंग एरिया के अंदर ही है। इसे बाहर निकाला जाना बाकी है। अधिकारियों के मुताबिक अगले दो-तीन दिन में ही असेंबङ्क्षलग एरिया से निकाल कर मेट्रो की डिपो के अंदर बिछे ट्रैक पर टेस्टिंग शुरू कर दी जाएगी। इसके बाद अगले सप्ताह मेट्रो को डिपो से मेन रूट पर भी लाया जाएगा। इससे मुख्य रूट से डिपो के अंदर जाने वाले ट्रैक भी परीक्षण हो जाएगा। यह एरिया पूरी तरह स्लोप वाला है। 

मेट्रो का ट्रायल रन 15 नवंबर से रिसर्च एंड डिजाइन स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) की देखरेख में होना है। इससे पहले मेट्रो के अधिकारी खुद अपने स्तर से मेट्रो के परीक्षण कर लेना चाहते हैं ताकि अगर कहीं किसी तरह की कोई कमी हो तो उसे दूर किया जा सके या निर्माण करने वाली कंपनी को जानकारी दी जा सके। अधिकारियों के मुताबिक वास्तविक ट्रायल रन तो आरडीएसओ की निगरानी में होगा लेकिन  प्रबंधन अपने स्तर से भी शुरुआती जांच कर लेना चाहता है। मेट्रो परिसर में ही 650 मीटर लंबे ट्रैक पर इसका शुरुआती परीक्षण होगा। इस बीच 25 अक्टूबर को मेट्रो को रिसोर्स सब स्टेशन के जरिए मुख्य लाइन से आ रहा करंट मिलने लगेगा। इससे थर्ड रेल को करंट देने में भी आसानी रहेगी। 

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