Water Conservation: भू-जल स्तर भी बढ़ाएगी Kanpur Metro, प्रतिवर्ष 15 लाख लीटर सहेजगी आसमानी अमृत

कानपुर में आइआइटी गेट से बन रहे मेट्रो रेल रूट पर हर दूसरे पिलर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम विकसित किया जा रहा है जिसमें 180 पिट बनाए जा रहे हैं इसमें हर साल 15 लाख लीटर बारिश के पानी का संरक्षण किया जाएगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 09:59 AM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 09:59 AM (IST)
Water Conservation: भू-जल स्तर भी बढ़ाएगी Kanpur Metro, प्रतिवर्ष 15 लाख लीटर सहेजगी आसमानी अमृत
मेट्रो सहजेगी बारिश की हर एक बूंद।

कानपुर, राजीव सक्सेना। कानपुर के जाम और प्रदूषण के काले धब्बे को मिटाने के साथ मेट्रो गिरते भूगर्भ जलस्तर को सुधारने की भी पहल करेगा। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद प्रतिवर्ष 15 लाख लीटर बारिश का जल भूगर्भ में जाएगा। फिल्हाल आइआइटी से मोतीझील तक बन रहे प्रथम कॉरिडोर में प्रतिवर्ष आठ लाख लीटर जल संरक्षित करने की योजना है। इसके लिए मेट्रो रूट पर हर पिलर को छोड़कर दूसरे पर (कुल 180 जगह) रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। मेट्रो शुरू होने से पहले यह शुरू कर दिए जाएंगे।

कानपुर में नवंबर 2019 में मेट्रो का काम शुरू हुआ था। मेट्रो ने प्रोजेक्ट के साथ ही जल संरक्षण की योजना भी बनाई थी। इसके लिए एलीवेटेड ट्रैक के नीचे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं। मसलन यू गार्डर से बारिश का जितना पानी आएगा वह पाइप के जरिए भूगर्भ में जाएगा। अक्टूबर से इसे शुरू कर दिया जाएगा। मेट्रो के अधिकारियों के मुताबिक मेट्रो के डिपो, कास्टिंग यार्ड और स्टेशनों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं।

इस तरह के बनाए जाएंगे पिट

मेट्रो स्टेशनों और डिपो में बनने वाले पिट आयताकार होंगे जबकि एलीवेटेड रूट के नीचे बनने वाले पिट गोलाकार होंगे। एलीवेटेड रूट के नीचे बनने वाले सिस्टम की क्षमता 1200 से 1300 लीटर होगी। वहीं मेट्रो स्टेशनों के आकार और संरचना के हिसाब से 15 हजार लीटर से लेकर 25 हजार लीटर क्षमता वाले दो से चार सिस्टम हर स्टेशन पर लगेंगे।

हर वर्ष 15 लाख लीटर तक जल संरक्षण किया जाएगा। इसके जरिए मेट्रो सार्वजनिक यातायात को सुगम बनाने के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी उदाहरण पेश करेगी। - कुमार केशव, प्रबंध निदेशक, उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड।
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