कानपुर में कपड़ा व्यापारियों की बढ़ी चिंता, दुकानों में रखे माल के आउट ऑफ फैशन होने का सता रहा डर

गर्मियों में नवरात्र के बाद शुरू होने वाली सहालग सबसे लंबी होती है। इस सहालग में तो कई बार तीन-तीन फैशन बदल जाते हैं। होली के पहले और बाद में कारोबारियों ने ऑर्डर करके जो माल मंगाया है उसका 75 फीसद तो ट्रांसपोर्टर के गोदाम में ही पड़ा है।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 03:47 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 03:47 PM (IST)
कानपुर में कपड़ा व्यापारियों की बढ़ी चिंता, दुकानों में रखे माल के आउट ऑफ फैशन होने का सता रहा डर
कानपुर के कपड़ा बाजार की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक तस्वीर।

कानपुर, जेएनएन। कपड़ा बाजार में कोई भी साड़ी या सलवार सूट तभी तक बिकता है जब तक उसके बाद नए फैशन की कोई साड़ी या सलवार सूट ना आ जाए। कपड़ों का फैशन सबसे तेजी से बदलता है। साड़ी, सलवार सूट, लहंगा, प्लाजो सूट, शरारा ये सभी ऐसी ड्रेसेज हैं जिनमें डेढ़ से दो माह में बदलाव आ जाता है। एक बार दूसरा फैशन आया नहीं कि पहले वाले को बेचना मुश्किल हो जाता है। अब कारोबारियों को लग रहा है कि जिस फैशन का माल उन्होंने ऑर्डर कर मंगाया था, ऐसा ना हो फैशन बदल जाए और वह माल गोदाम या दुकान में ही बंद ताले में पड़ा रह जाए क्योंकि कर्फ्यू की वजह से दो सप्ताह से दुकानें तो वैसे भी बंद पड़ी हैं।

गर्मियों में नवरात्र के बाद शुरू होने वाली सहालग सबसे लंबी होती है। इस सहालग में तो कई बार तीन-तीन फैशन बदल जाते हैं। ऐसे में कपड़ा दुकानदार दुकान और गोदाम में रखे माल को बेचने की चिंता में जुट गए हैं। होली के पहले और बाद में कारोबारियों ने ऑर्डर करके जो माल मंगाया है, उसका 75 फीसद तो ट्रांसपोर्टर के गोदाम में ही पड़ा है क्योंकि उसे उठाने का मौका ही नहीं मिला।

इनकी भी सुनिए:  कानपुर कपड़ा कमेटी के अध्यक्ष चरनजीत सागरी के मुताबिक सभी को लग रहा है कि जब तक कर्फ्यू खुलेगा कहीं ऐसा ना हो फैशन बदल जाए। अगर ऐसा हुआ तो गोदाम और दुकान में रखी साड़ियों व अन्य कपड़ों की अच्छी कीमत नहीं मिलेगी।  नौघड़ा कपड़ा कमेटी के अध्यक्ष शेष नारायण त्रिवेदी के मुताबिक अभी कारोबारी मात्र 25 फीसद माल ही गोदामों से उठा सके हैं। इससे बड़ा घाटा हो सकता है। कुछ माल तो निर्माता को वापस किया जा सकता है लेकिन सारा माल वापस होना संभव नहीं है।

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