राजस्व और पुलिस के बीच फंसा मामा तालाब, तहसीलदार बोले-तहरीर दी और इंस्पेक्टर बोले-नहीं मिली
कानपुर के मसवानपुर में मामा तालाब की भूमि का गलत ढंग से मुआवजा उठाने के मामले में फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज किया जाना है। कल्याणपुर थाने में लेखपाल ने तहरीर दी है और इंस्पेक्टर शिकायत नहीं आने की बात कह रहे हैं।
कानपुर, जेएनएन। मसवानपुर स्थित मामा तालाब की भूमि को फर्जी तरीके से पट्टाधारकों के नाम कराने और उसका मुआवजा उठाने के मामले में मंडलायुक्त डा. राजशेखर के आदेश के बाद भी राजस्वकर्मियों और अधिकारियों पर मुकदमा नहीं हो पा रहा है। तहसीलदार का दावा है कि उन्होंने लेखपाल के माध्यम से कल्याणपुर थाने में बुधवार की सुबह तहरीर भेजवा दी, जबकि इंस्पेक्टर का कहना है कि उन्हें तहरीर नहीं मिली है। मिलेगी तो उच्चाधिकारियों से बात कर मुकदमा दर्ज करेंगे।
मामा तालाब का सुंदरीकरण होना है। दैनिक जागरण ने यह मुद्दा उठाया तो अगस्त में मंडलायुक्त डा. राजशेखर ने मौके का मुआयना किया। इस दौरान आवास विकास परिषद के अधीक्षण अभियंता ने उन्हें बताया था कि जिसे लोग तालाब कहते हैं वह तालाब नहीं है बल्कि आवास विकास परिषद की भूमि है। इसका अधिग्रहण किया गया था। बकायदा मुआवजे का वितरण भी हुआ है। मंडलायुक्त ने एसडीएम दीपक पाल से जांच कराया तो पता चला कि फर्जीवाड़ा करके कुछ पट्टाधारकों ने यह भूमि अपने नाम करा ली थी और बाद में उसका मुआवजा भी ले लिया।
जब आवास विकास परिषद ने अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की तो राजस्व कर्मियों ने भी बिना किसी जांच पड़ताल के एनओसी दे दी। अब इस मामले में मंडलायुक्त के आदेश पर दोषी राजस्व कर्मियों व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा होना है। यह मुकदमा अज्ञात में दर्ज होना है। भूमि का मुआवजा लेने वालों पर मुकदमा इसलिए नहीं हो सकता क्योंकि उनकी मृत्यु हो चुकी है। अधिग्रहण को भी 40 साल से अधिक समय हो चुका है। तहसीलदार रितेश ङ्क्षसह का कहना है कि उन्होंने लेखपाल सर्वेश यादव के माध्यम से तहरीर थाने को भेज दी थी। मुकदमा हुआ या नहीं इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है। इंस्पेक्टर वीर सिंह का कहना है कि उन्हें तहरीर नहीं मिली है।