कानपुर कपड़ा कमेटी चुनाव: कभी वरिष्ठों के वर्चस्व का गवाह रहा, अब युवाओं के सहारे सीढ़ियां चढ़ने की कवायद
कोरोना के चलते ज्यादातर बुजुर्ग दुकानदारों ने बाजार में आना छोड़ा हुआ है और उनकी जगह उनके बेटे कारोबार संभाल रहे हैं इसलिए भी इस बार युवाओं के ज्यादा सदस्य जीतने की उम्मीद भी बढ़ गई है। व्यापारी नेताओं का कहना है कि युवाओं की ताकत जरूर बढ़ रही है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कभी वरिष्ठों के वर्चस्व वाली माने जाने वाली कपड़ा कमेटी में इस समय युवाओं का बोलबाला है। पिछले दो चुनाव में लगातार अपनी ताकत दिखा चुके युवाओं से जुडऩे के प्रयास इस समय तेजी पर हैं और युवाओं के सहारे पद पाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। पिछले दिनों एक युवा निदेशक के जन्मदिन की पार्टी में यह बदलाव पूरे कपड़ा बाजार ने देखा भी है।
दो वर्ष पहले हुए चुनाव में युवा कमेटी ने 23 में से आठ सदस्य जिता लिए थे। इसके बाद उनके पास इतने सदस्य थे कि वे जिसके साथ हाथ मिला लेते उसके 12 वोट हो जाते। ऐसे में चरनजीत सागरी कपड़ा कमेटी के अध्यक्ष बने। अब दो वर्ष गुजर चुके हैं और चुनाव फिर से सामने हैं। ऐसे में कमेटी के अध्यक्ष के पुत्र युवाओं के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। युवाओं को इस बार आठ से अधिक सदस्य जीतने की उम्मीद है। कोरोना के चलते ज्यादातर बुजुर्ग दुकानदारों ने बाजार में आना छोड़ा हुआ है और उनकी जगह उनके बेटे कारोबार संभाल रहे हैं, इसलिए भी इस बार युवाओं के ज्यादा सदस्य जीतने की उम्मीद भी बढ़ गई है। हालांकि बाजार की राजनीति से गहरे तक जुड़े रहने वाले व्यापारी नेताओं का कहना है कि युवाओं की ताकत जरूर बढ़ रही है लेकिन बाजार में चीजों को समझने उन्हें सुलझाने के लिए बुजुर्गों की उपस्थिति भी कमेटी में होनी चाहिए।
दो वर्ष के इस चुनाव में मतदाताओं के लिए काफी ध्यान रखने की बात होगी। पूरी कमेटी में 23 सदस्यों को चुना जाना है। अब अगर किसी ने 23 सदस्य से ज्यादा को वोट दे दिया तो भी उनका वोट अवैध हो जाएगा और यदि 12 से कम वोट डाले तो भी उनका वोट अवैध हो जाएगा। 12 की संख्या इसलिए रखी गई है क्योंकि जिस गुट को अपने पदाधिकारी बनाने हैं, उन्हें कम से कम 12 का समर्थन चाहिए होगा।