कानपुर में पांच साल बाद परवान चढ़ी पेयजल व्यवस्था की लड़ाई, अदालत ने कहा जलापूर्ति का दायित्व निभाए जलकल
स्वच्छ पेयजल हर व्यक्ति का अधिकार है लेकिन सरकारी मशीनरी की अनदेखी व लचर व्यवस्था के चलते यह अधिकार लोगों को नहीं मिल पाता। इसी अधिकार के लिए सेंट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री अधिवक्ता प्रवीण फाइटर ने स्थायी लोक अदालत में लड़ाई लड़ी।
कानपुर, जेएनएन। शहर की पेयजल व्यवस्था को लेकर पांच वर्षों से लड़ी जा रही लड़ाई अब परवान चढ़ी है। स्थायी लोक अदालत ने परिवाद जरूर खारिज कर दिया, लेकिन स्वच्छ पेयजल को मूलभूत जरूरत मानते हुए इसकी आपूर्ति सुनिश्चित कराने के निर्देश भी अपने आदेश में दिए हैं। जोन संख्या तीन में 718 हैंडपंप की रीबोरिंग सुनिश्चित कराने और सभी जोनों में स्थापित 220 इंडिया मार्का हैंडपंप हैं या नहीं, इसकी जांच करने और जलापूर्ति सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वच्छ पेयजल हर व्यक्ति का अधिकार है, लेकिन सरकारी मशीनरी की अनदेखी व लचर व्यवस्था के चलते यह अधिकार लोगों को नहीं मिल पाता। इसी अधिकार के लिए सेंट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री अधिवक्ता प्रवीण फाइटर ने स्थायी लोक अदालत में लड़ाई लड़ी। 26 अप्रैल 2016 को उन्होंने अजीतगंज कालोनी की समस्या के साथ ही पूरे शहर की पेयजल समस्या को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इसमें उन्होंने महाप्रबंधक जलकल और नगर आयुक्त को पक्षकार बनाया था।
न्यायालय से यह थी मांग: सेंट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री ने परिवाद दाखिल कर कहा था कि शहर में पेयजल की समस्या गंभीर है। जिन घरों में सबमर्सिबल पंप हैं उन्हें छोड़ दें तो अन्य लोगों को पेयजल की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। शहर में लगाए गए अधिकतर हैंडपंप सूख चुके हैं। इनकी रीबोङ्क्षरग पर जलकल विभाग और नगर निगम ध्यान नहीं दे रहा है। अजीतगंज कालोनी में सीवर समस्या कई वर्ष पुरानी है जिससे यहां भूगर्भ का पानी भी दूषित हो चुका है। अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने उनके द्वारा उठाई गई समस्या को गंभीर माना। न्यायालय ने परिवाद जरूर खारिज कर दिया, लेकिन सभी समस्याओं पर बिंदुवार निर्देश भी जलकल और नगर निगम को दिए हैं।
निर्णय के बिंदुवार निर्देश: