कानपुर में इलाज की कीमत तय इसके बाद भी हो रही लाखों की वसूली, मरीज को भर्ती करने से पहले ली जा रही मोटी रकम
कोविड संक्रमितों की निजी पैथोलॉजी में जांच और उनके इलाज को लेकर प्रदेश सरकार ने 13 अप्रैल को शासनादेश जारी किया था। इसमें इलाज के दौरान मरीजों से ली जानी वाली उपचार की दरें तय की गई थीं। सरकार ने नगरों को ए बी और सी श्रेणी में बांटा था।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के बढ़ते ही सरकारी और निजी अस्पतालों में जगह कम पडऩे लगी है। आइसीयू और एचडीयू पहले से ही फुल थे, लेकिन अब आइसोलेशन वार्ड भी गिने चुने रह गए हैं। मरीज और तीमारदारों को एक से दूसरे निजी अस्पताल के चक्कर काटना मजबूरी है। कई नर्सिंगहोम इसी मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। कोविड संक्रमितों की निजी पैथोलॉजी में जांच और उनके इलाज को लेकर प्रदेश सरकार ने 13 अप्रैल को शासनादेश जारी किया था। इसमें इलाज के दौरान मरीजों से ली जानी वाली उपचार की दरें तय की गई थीं। सरकार ने नगरों को ए, बी और सी श्रेणी में बांटा था।
बावजूद इसके निर्धारित बेड के रेट से कई गुना अधिक राशि वसूली जा रही है। कोरोना संक्रमित और संभावित रोगियों को भर्ती करने से पहले घरवालों से मोटी रकम एडवांस में जमा कराई जा रही है। कुछ नर्सिंगहोम तो मरीजों का रहन सहन और उसकी समस्या देखकर भर्ती करने और न करने का निर्णय ले रहे हैं। इसकी शिकायतें स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के पास पहुंच रही हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। अस्पतालों में चार घंटे, 12 घंटे और 24 घंटे के हिसाब से इलाज की दरें तय हैं।
सरकार द्वारा तय की गई दरें स्वयं एक पैकेज है, जिसमें कोविड केयर प्रोटोकाल के तहत बेड, भोजन तथा अन्य सुविधाएं जैसे नॄसग केयर, मॉनीटरिंग, इमेजिंग सहित अन्य जरूरी जांच, विजिट अथवा कंसल्ट, डॉक्टर द्वारा परीक्षण सभी कुछ शामिल है। अलग अलग सुविधाओं के नाम पर अस्पताल मरीजों से पैसा नहीं ले सकेंगे। पिछले दिनों एसीएम-एक ने ओवरबिलिंग पर नौबस्ता के फैमिली हॉस्पिटल के खिलाफ जरूर मुकदमा लिखवाया, लेकिन बड़े नर्सिंगहोम की ओर उनका रुख नहीं हुआ।
ऑक्सीजन, स्टाफ के संकट का हवाला : अधिग्रहीत किए गए निजी अस्पताल के प्रतिनिधि ऑक्सीजन और स्टाफ का संकट होने का हवाला दे रहे हैं। उनका कहना है कि काफी संख्या में डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मी, गार्ड नौकरी छोड़ गए हैं। उन्हेंं दोगुने से तीन गुना वेतन पर रखा जा रहा है। सिलिंडर के पहले और अब के दाम में बहुत अंतर आ गया है।
शासन की ओर से निर्धारित किए गए रेट : शासन की ओर से नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) के मान्यता प्राप्त और बिना मान्यता प्राप्त नॄसगहोम के लिए बेड की अलग अलग फीस निर्धारित की गई है।
जांच के लिए यह हैं दरें
इलाज के लिए यह हैं दरें
(नोट: दी गई दरें ए श्रेणी के लिए हैं जबकि बी और सी श्रेणी के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल तय दरों का क्रमश: 80 और 60 फीसद ले सकेंगे।)
इस तरह हो रहा खेल : नर्सिंगहोम बेड की कीमत तो निर्धारित ही लगा रहे हैं, लेकिन उसके साथ नॄसग चार्ज, भोजन, साफ सफाई आदि के अलग से रेट लगाए गए हैं। पीपीई किट, मास्क, ऑक्सीजन के मास्क आदि के मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं।
समस्याएं हैं, लेकिन ओवरचार्जिंग गलत : नर्सिंगहोम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एमके सरावगी ने बताया कि निजी अस्पतालों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इसके लिए ओवर चाॄजग गलत है। मरीज के घरवालों को पूरी जानकारी देनी चाहिए।
दस दिन में जमा कराए दो लाख रुपये : स्वरूप नगर स्थित एक नर्सिंगहोम के आइसीयू में चंद्रकांता देवी चौराहा निवासी अफजल के भाई भर्ती हैं। अफजल बताते हैं कि 20 अप्रैल को उन्हेंं कोविड संक्रमण के चलते भर्ती किया था। उसी दिन अस्पताल प्रबंधन ने 40 हजार रुपये जमा करा दिए। इसके बाद 22, 23, 24, 26 और 30 को क्रमश: 10, 25, 50, 50 और 30 हजार रुपये जमा कर चुके हैं। अभी 50 हजार और जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है। प्राइवेट नौकरी करके घर चलाते हैं। जो कुछ जोड़ा था, भाई के इलाज में लगा दिया। अब कुछ नहीं बचा है। भाई अभी आइसीयू में हैं। अस्पताल ने पैसा किस तरह से इलाज में खर्च किया, उसका विवरण देने के बजाय रसीद ही दी हैं।
इनका ये है कहना अगर कोई भी अस्पताल प्रबंधन शासन द्वारा निर्धारित शुल्क से ज्यादा राशि वसूलता है तो तीमारदार जरूर शिकायत करें। कंट्रोल रूम, अस्पताल में तैनात स्टेटिक मजिस्ट्रेट, क्षेत्र के एसीएम को जानकारी दें। इस पर कार्रवाई की जाएगी।
आलोक तिवारी, डीएम