कानपुर में आठ बजे के बाद की बंदी ने तोड़ दी रेस्टोरेंट कारोबार की कमर, खाने तक के पड़ रहे लाले

शाम को ही लोग परिवार के साथ आते हैं। उनके मुताबिक शहर में करीब डेढ़ सौ ऐसे रेस्टोरेंट हैं जिनमें नियमित रूप से ग्राहक जाते ही हैं। शहर में करीब 10 हजार परिवार हैं जो हर वीकेंड पर रेस्टोरेंट में ही भोजन करते हैं।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 02:31 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 02:31 PM (IST)
कानपुर में आठ बजे के बाद की बंदी ने तोड़ दी रेस्टोरेंट कारोबार की कमर, खाने तक के पड़ रहे लाले
डिनर प्रभावित होने शुरू हुए और अब जब आठ बजे से कफ्र्यू लगाया जा रहा

कानपुर, जेएनएन। किसी दिन परिवार के साथ रेस्टोरेंट में डिनर करने का मन हो तो घर से निकलते निकलते ही आठ साढ़े आठ बज जाते हैं। इसके बाद दो-ढाई घंटे रेस्टोरेंट में इंज्वाय करने के बाद वहां से निकलते-निकलते साढ़े दस-11 बज ही जाते हैं। रेस्टोरेंट का पूरा कारोबार ही डिनर पर चलता है, लेकिन रात आठ बजे से लगने वाले कफ्र्यू ने रेस्टोरेंट कारोबार की कमर ही तोड़ दी है।

कई रेस्टोरेंट में तो शाम को अब तंदूर तक नहीं लग रहा। पिछले वर्ष के कोरोना के प्रभाव से रेस्टोरेंट कारोबार धीरे-धीरे उबरने का प्रयास कर रहा था। खुद रेस्टोरेंट संचालकों के मुताबिक जनवरी 2021 से कारोबार में थोड़ी-थोड़ी स्थिति ठीक होनी शुरू हुई थी। मार्च मध्य तक रेस्टोरेंट का कारोबार सुधरता नजर आ रहा था। इसके बाद बढ़े कोरोना संक्रमण ने पहले रेस्टोरेंट कारोबार को प्रभावित किया। कोरोना बढऩे के बाद पहले रात 10 बजे से कफ्र्यू लागू किया तो डिनर प्रभावित होने शुरू हुए और अब जब आठ बजे से कफ्र्यू लगाया जा रहा है, रेस्टोरेंट का कारोबारी बिल्कुल बैठ गया है।

कानपुर होटल, गेस्ट हाउस, स्वीट्स एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन के महामंत्री राजकुमार भगतानी बताते हैं कि दिन में रेस्टोरेंट में परिवार के लोग नहीं आते। दिन में युवा ही ज्यादातर निकलते हैं और वे भी मॉल्स के रेस्टोरेंट में जाना पसंद करते हैं। रेस्टोरेंट मुख्य रूप से डिनर से चलते हैं। शाम को ही लोग परिवार के साथ आते हैं। उनके मुताबिक शहर में करीब डेढ़ सौ ऐसे रेस्टोरेंट हैं जिनमें नियमित रूप से ग्राहक जाते ही हैं। शहर में करीब 10 हजार परिवार हैं जो हर वीकेंड पर रेस्टोरेंट में ही भोजन करते हैं। ये लोग हर शनिवार, रविवार को अलग-अलग रेस्टोरेंट के खाने का स्वाद लेना पसंद करते हैं।

सामान्य रूप से एक परिवार के भोजन का बिल तीन हजार रुपये के करीब होता है। इस तरह हर वीकेंड का डिनर कारोबार तीन करोड़ रुपये से ऊपर का होता है। एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखबीर सिंह मलिक के मुताबिक ज्यादातर रेस्टोरेंट में शाम को सात बजे करीब डिनर तैयार करने वाला स्टाफ आता है। उसके बाद ही काम शुरू होता है। आठ-साढ़े आठ के बाद लोगों का आना शुरू होता है और 10 से साढ़े दस के करीब ग्राहकों का पीक टाइम होता है। उनके मुताबिक अब जब आठ बजे तक रेस्टोरेंट में डिनर कर अपने घर भी पहुंच जाना है तो कोई इतनी हड़बड़ी में क्यों रेस्टोरेंट आएगा। सरकारी नौकरी वाले आफिस से लौटने के बाद और कारोबारी अपने प्रतिष्ठान बंद करने के बाद ही घर जाकर परिवार के साथ आते हैं। इसलिए इतनी जल्दी तो संभव ही नहीं है। इसीलिए अधिकांश रेस्टोरेंट में डिनर की तैयारी ही होनी बंद हो गई है।

नेशनल फेडरेशन आफ होटल, रेस्टोरेंट एसोसिएशन आफ इंडिया के पूर्व महामंत्री विजय पांडेय के मुताबिक रेस्टोरेंट में आठ बजे पहुंचकर लौट भी आना मुश्किल है। घर की महिलाएं ही तैयार होते-होते आठ बजे से ज्यादा बजा देती हैं। कोई व्यक्ति जब रेस्टोरेंट जाता है तो वह शांति से कुछ समय बिताना चाहता है। कोई भी आपाधापी नहीं चाहता। इसकी वजह से लोगों का रेस्टोरेंट आना बंद हो गया है। 

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