Covid Vaccination: बच्चों की वैक्सीन में कानपुर का अहम योगदान, ढाई साल की बच्ची पर हुआ था ट्रायल
कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव के लिए व्यस्कों के लिए वैक्सीन आने के बाद बच्चों की वैक्सीन बनने पर ट्रायल के लिए कानपुर आगे आया था। आर्यनगर के निजी अस्पताल में ढाई साल की बच्चो को वैक्सीन की डोज देकर ट्रायल किया था।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए स्वदेशी कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति प्रदान कर दी है। बच्चों की कोवैक्सीन में शहर का भी अहम योगदान रहा है। देश के सात स्थानों में हुए ट्रायल में शहर के आर्य नगर स्थित निजी अस्पताल का भी योगदान रहा है। इसमें 55 बच्चे बतौर वालंटियर्स शामिल किए गए, जिसमें दो वर्ष पांच माह की बच्ची पर भी वैक्सीन का ट्रायल किया गया।
प्रखर हास्पिटल के चीफ गाइड प्रो. जेएस कुशवाहा ने बताया कि अग्रस्त माह में तीन आयु वर्ग के 55 बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया था। उसमें 2-6 वर्ष के 15 बच्चे, 6-12 वर्ष के 20 बच्चे एवं 12-18 आयु वर्ग के 20 बच्चे थे। इन बच्चों को 28 दिनों के अंतराल में दो डोज लगाई थीं। उसमें भरपूर एंटीबाडी मिली थी। दो वर्ष से ऊपर के बच्चों को वैक्सीन लगाने वाला पहला देश प्रो. कुशवाहा ने बताया कि सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति प्रदान कर दी है। अब ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीजीसीआइ) से अनुमति ली जाएगी।
डीजीसीआइ से अनुमति मिलने के बाद इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) वैक्सीनेशन की गाइडलाइन तैयार करके जारी करेगा। उन्होंने बताया कि भारत पहला देश है, जहां दो वर्ष से ऊपर के बच्चों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जाएगी। अमेरिका में 14 वर्ष से ऊपर के बच्चों को वैक्सीन लगाने की अनुमति है। केंद्र सरकार के स्तर से अभी कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है। दिशा-निर्देश जारी होने के बाद बच्चों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जाएगी। खुशी की बात है कि बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल शहर में भी हुआ था। डा. जीके मिश्रा, अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानपुर मंडल।