GSVM Kanpur: मेडिकल कालेज के अस्पतालों में भर्तियों का खुला खेल, 30 साल से चल रही थी मनमानी

मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल एवं संबद्ध अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग के पदों पर शासन की अनुमति के बगैर भर्तियां कर ली गईं। मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति करने के बाद शासन से अनुमोदन के लिए भेजने पर खुलासा हुआ है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 08:33 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 08:33 AM (IST)
GSVM Kanpur: मेडिकल कालेज के अस्पतालों में भर्तियों का खुला खेल, 30 साल से चल रही थी मनमानी
बिना अनुमति पदों पर नियुक्ति में मानमानी खुली।

कानपुर, जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कालेज, एलएलआर (हैलट) एवं उससे संबद्ध अस्पतालों में मृतक आश्रित कोटे में तृतीय श्रेणी के पदों पर बिना शासन से अनुमति लिए ही नियुक्ति की जा रही है। मेडिकल कालेज के इन अस्पतालों में स्टाफ नर्स, वार्ड ब्वाय, फार्मासिस्ट, टेक्नीशियन और लिपिकों के पद स्वास्थ्य विभाग के हैं। फिर भी इन पदों पर बिना शासन की अनुमति के भर्ती की जा रही है।

एलएलआर के चेस्ट अस्पताल में तैनात सिस्टर इंचार्ज सुधा राय की मौत कोरोना से हो गई थी। उनके फंड के भुगतान में देरी, पेंशन न बनने और मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति में विलंब पर उनके पति ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायत की थी। जब शासन ने कोरोना से मौत मामले में लापरवाही बरतने पर फटकार लगाई तो खलबली मच गई। मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने मृतक आश्रित कोटे में बिना शासन से अनुमति लिए ही सुधा राय के पुत्र सौरभ, सिस्टर इंचार्ज स्व. विमलेश वर्मा के पुत्र आशुतोष एवं वार्ड ब्वाय स्व. दिनेश के पुत्र आकाश की नियुक्ति कर ली। तीनों की नियुक्ति के बाद स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रशासन को अनुमोदन के लिए भेजा गया।

स्वास्थ्य विभाग के पदों पर चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा भर्ती करने पर निदेशक प्रशासन डा. राजा गणपति आर ने 10 सितंबर को पत्र संख्या 4डी (1)/287/2021/7825 के माध्यम से नियुक्ति करने पर सवाल उठाए हैं। पूछा है कि कर्मचारी किस विभाग के थे और उनके आश्रितों की नियुक्ति किस विभाग के पदों पर की गई है। दूसरे विभाग के पदों पर किस अधिकार और नियम के तहत भर्ती की गई है।

30 वर्षों से कर रहे नियुक्ति : चिकित्सा शिक्षा विभाग वर्ष 1991-92 में बना है। उसके बाद मेडिकल कालेज से एलएलआर एवं संबद्ध अस्पतालों को जोड़ दिया गया। अभी यहां पैरामेडिकल स्टाफ एवं लिपिक संवर्ग स्वास्थ्य विभाग का ही तैनात है। विगत 30 वर्षों से मेडिकल कालेज के प्राचार्य ही मृतक आश्रित कोटे पर नियुक्ति कर रहे हैं।

वेतन व अन्य भुगतान में भी गड़बड़ी : अस्पताल के पुराने कर्मचारियों ने बताया कि नियमत: स्वास्थ्य विभाग के बजट से वेतन व अन्य मद का भुगतान होना चाहिए, जो मेडिकल कालेज में नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को वेतन भुगतान भी चिकित्सा शिक्षा विभाग के बजट से ही किया जा रहा है।

क्या कहते हैं स्वास्थ्य अफसर

-प्राचार्य एवं प्रमुख अधीक्षक से स्पष्टीकरण तलब किया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से भी पूछा गया है कि किस आधार पर नियुक्ति की गई है। उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया है ताकि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जा सके। -डा. राजा गणपति आर, निदेशक प्रशासन स्वास्थ्य महानिदेशालय

-मृतक आश्रितों की नियुक्ति का दबाव शासन से था। इसलिए उनकी नियुक्ति कर निदेशक प्रशासन से अनुमोदन मांगा था। इस पर उन्होंने पत्र लिख कर कहा था कि चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्ति कर सकते हैं, लेकिन तृतीय श्रेणी के पद नहीं। किसी अधिकार से नियुक्ति की गई है। जब इन पदों का वेतन भुगतान चिकित्सा शिक्षा के बजट होता है तो नियुक्ति भी कर सकते हैं। इसका जवाब बनाकर भेज दिया है। -प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज

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