कानपुर: NEET की काउंसलिंग टाले जाने के खिलाफ ओपीडी का आज से बहिष्कार करेंगे जूनियर रेजीडेंट, यहां जानिए पूरी वजह

नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट फार पोस्टग्रेजुएट (नीट पीजी-2021) की काउंसलिंग में विलंब के विरोध में राजकीय मेडिकल कालेजों एवं चिकित्सकीय संस्थानों के जूनियर डाक्टरों ने ओपीडी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। ओपीडी में जेआर-टू व जेआर-थ्री मरीज नहीं देखेंगे कंसल्टेंट व सीनियर रेजीडेंट मरीजों का इलाज करेंगे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 08:38 AM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 08:38 AM (IST)
कानपुर: NEET की काउंसलिंग टाले जाने के खिलाफ ओपीडी का आज से बहिष्कार करेंगे जूनियर रेजीडेंट, यहां जानिए पूरी वजह
सोमवार से ओपीडी के बहिष्कार का निर्णय लिया है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट फार पोस्टग्रेजुएट (नीट पीजी-2021) की काउंसलिंग में विलंब के विरोध में राजकीय मेडिकल कालेजों एवं चिकित्सकीय संस्थानों के जूनियर डाक्टर दूसरे दिन रविवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे रहे। इस कड़ी में जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) की इमरजेंसी के बाहर जूनियर रेजीडेंट (जेआर) की हड़ताल जारी रही। बावजूद इसके जेआर इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का इलाज भी करते रहे। धरने पर बैठे-बैठे मरीजों को दवाएं लिखते रहे। वहीं, उत्तर प्रदेश जूनियर रेजीडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. विनय कुमार ने सोमवार से ओपीडी के बहिष्कार का निर्णय लिया है। ओपीडी में जेआर-टू व जेआर-थ्री मरीज नहीं देखेंगे, कंसल्टेंट व सीनियर रेजीडेंट मरीजों का इलाज करेंगे।  

पहले नीट की परीक्षाएं विलंब से कराईं गईं। नीट का रिजल्ट आने के बाद काउंसलिंग बार-बार टाली जा रही है। इस वजह से डेढ़ साल से जूनियर रेजीडेंट जेआर-वन व जेआर-टू का कार्य करते करते शारीरिक व मानसिक रूप से थक चुके हैं। मानसिक अवसाद में जाने लगे हैं। इसे वजह से देशव्यापी हड़ताल के तहत ओपीडी सेवाएं भी बंद करने का निर्णय लिया गया है। इसका समर्थन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स दिल्ली) का भी आरडीए कर रहा है। सोमवार शाम तक केंद्र सरकार अगर निर्णय नहीं लेगी तो आंदोलन उग्र किया जाएगा। आंदोलन के समर्थन में ही देर शाम जूनियर रेजीडेंट ने मेडिकल कालेज परिसर में कैंडल मार्च निकाला और गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रतिमा स्थल तक गए।

डाक्टर हैं, मशीन नहीं: मेडिकल कालेज के जेआर ने विरोध जताते हुए अपनी बात कहने के लिए पोस्टर और बैनर खुद ही बनाए हैं। उसमें लिखा है हम डाक्टर हैं, मुझे मशीन न समझा जाए। लगातार 48 से 72 घंटे तक लगातार काम कराया जा रहा है। हमारे अंदर भी आम इंसान है, इसलिए हमारी भावनाएं भी समझी जाएं।

इलाज पर नहीं असर: जेआर की हड़ताल का मरीजों के इलाज पर असर नहीं पड़ा है। इमरजेंसी सेवाएं सामान्य दिनों की तरह चलती रहीं। मरीज भी भर्ती होते रहे। उन्हें वार्ड में शिफ्ट कराया जा रहा है। रविवार दोपहर 3 बजे तक 60 मरीज भर्ती किए जा चुके थे। इसी तरह शनिवार को 140 मरीज भर्ती हुए थे। आइसीयू में भी सीनियर रेजीडेंट व इंटर्न व्यवस्था संभाले रहे। वहीं, अवकाश की वजह से ओपीडी एवं विभागों के आपरेशन थियेटर भी बंद रहे।

क्या बोले जिम्मेदार: जूनियर रेजीडेंट की देशव्यापी हड़ताल है। दोपहर में सभी जेआर से बात भी हुई है, इमरजेंसी सेवाओं में पूरा सहयोग भी कर रहे हैं। 30 नवंबर को कोर्ट में सुनवाई है, जिसमें निर्णय आने की उम्मीद है। फिलहाल 30 नवंबर तक यह स्थिति रहने की उम्मीद है। - प्रो. आरके मौर्या, प्रमुख अधीक्षक, एलएलआर अस्पताल।

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