लापरवाही के रिकार्ड से कानपुर को मिला सबसे प्रदूषित शहर का अनचाहा तमगा
रोक के बाद खुले में जल रहा कूड़ा, खुले में पड़े मलबा व निर्माण सामग्री
जागरण संवाददाता, कानपुर : कूड़ा जलाने पर रोक हो या खुले में मलबा डालने या फिर निर्माण सामग्री लाने ले जाने पर प्रतिबंध.नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सभी आदेशों को हवा में उड़ा दिया गया। अफसर बेपरवाह बने हैं बल्कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तो प्राकृतिक आपदा बताकर पल्ला झाड़ लिया है। अब उसी का खामियाजा शहर वायु प्रदूषण के रूप में भुगत रहा है। प्रदूषण के मामले में अव्वल होने का अनचाहा तमगा भी मिल गया। जिंदगी हांफ रही है लेकिन राहत की आस कहीं नहीं दिख रही।
कार्रवाई के नाम पर केवल बैठकें और निरीक्षण हो रहा है। वास्तव में अगर एनजीटी के आदेशों का पालन हो जाए तो शहर का प्रदूषण की खतरनाक स्थिति से राहत मिल जाएगी लेकिन इस पर कोई गंभीर नहीं है।
फिलहाल वायु गुणवत्ता सूचकांक के मुताबिक प्रदूषण की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक कानपुर लगातार देश का सबसे प्रदूषित शहर हो गया है। यहां पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5), कार्बन डाईऑक्साइड (सीओटू), कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ), सल्फर डाईऑक्साइड (एसओटू), नाइट्रोजन डाईऑक्साइड (एनओटू) की मात्रा मानक से कई गुणा अधिक मिली है।
-------------------------
शहरों में कितना प्रदूषण
शहर पीएम 2.5
कानपुर 420
गाजियाबाद 415
गुरुग्राम 403
बागपत 398
हापुड़ 396
बुलंदशहर 388
नोएडा 385
दिल्ली 366
मुजफ्फनगर 337
मुरादाबाद 331
(नोट : मात्रा माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर में है।)
-----------------------
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खड़े किए हाथ, प्राकृतिक आपदा बताया
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शहर में बढ़ते प्रदूषण पर हाथ खड़े कर दिए हैं। क्षेत्रीय अधिकारी कुलदीप मिश्र का कहना है कि यह प्राकृतिक आपदा की तरह है। इसे रोकना मुश्किल है। तापमान तेजी से कम होने पर गैसों का घनत्व वायुमंडल के सबसे निचली परत पर बढ़ता ही चला जाता है। हवा भी कम चल रही हैं।
------------------------
श्वांस रोगियों की बढ़ी दिक्कत
मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल के सीएमएस डॉ. अवधेश कुमार के मुताबिक वायु प्रदूषण में सीओपीडी और पुरानी टीबी के मरीजों के लिए दिक्कत बढ़ जाती है। सामान्य लोगों में खांसी, गला चोक होना, इंफेक्शन की समस्या होती है।
जुर्माना की कार्रवाई कागज पर
एनजीटी ने जुर्माना लगाने के भी आदेश दिए हैं। कूड़ा जलाने व मलबा डालने के लिए पांच सौ से पचास हजार रुपये तक का एक बार में जुर्माना लगाने के आदेश दिए हैं, लेकिन अफसर फील्ड में होगे तभी गड़बड़ी दिखेगी और जुर्माना लगा सकेंगे।
यह भी हों व्यवस्थित
- जाम से निजात दिलाई जाए। जाम में वाहन फंसने पर जलने वाले ईधन से भी प्रदूषण बढ़ता है।
- टूटी व खोदी गई सड़कों पर वाहनों के दौड़ने से धूल उड़ती रहती है।
- मानकविहीन जर्जर वाहनों पर सख्ती से अंकुश लगाया जाए।
- सड़कों पर पानी का छिड़काव कराया जाए।
- मिट्टी उड़ने से रोकने के लिए पौधरोपण किया जाए।
- आवासीय निर्माण सामग्री ढककर ले जाई जाए।