गैब सोसाइटी ने कालाधन से खरीदी संपत्तियां, ईडी ने कानपुर डीएम को पत्र लिख शुरू की जांच
गैब ग्राम्य विकास क्रेडिट को-आपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के जनरल मैनेजर किदवई नगर निवासी गिरीश शर्मा व अन्य लोगों पर काला धन इस्तेमाल कर संपत्तियों की खरीदारी करने का मामला सामने आया है। ईडी ने डीएम को पत्र लिखकर सोसाइटी और उससे जुड़े लोगों की संपत्तियों का विवरण मांगा है।
कानपुर, जेएनएन। धन दोगुना करने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाली गैब ग्राम्य विकास क्रेडिट को-आपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कस दिया है। सोसाइटी के जनरल मैनेजर किदवई नगर निवासी गिरीश शर्मा व अन्य लोगों पर काला धन इस्तेमाल कर संपत्तियों की खरीदारी करने का मामला सामने आया है। निदेशालय के उप निदेशक प्रकाश चौधरी ने इस मामले में डीएम को पत्र लिखकर सोसाइटी और उससे जुड़े लोगों की संपत्तियों का विवरण मांगा है। जिनकी संपत्तियों का विवरण चाहिए, उनकी सूची भी डीएम को उपलब्ध कराई गई है। संपत्तियों का बाजार मूल्य और सर्किल रेट भी उपलब्ध कराने को कहा गया है।
गोरखपुर के राप्तीनगर निवासी राजेश कुमार पांडेय उर्फ अष्टभुजा पांडेय ने गैब ग्राम्य विकास क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड का पंजीकरण कराया था। साथ ही बैंक के रूप में शाखाएं भी खोली थीं। राजेश कुमार ही इस कंपनी के चेयरमैन और संस्थापक भी हैं। कंपनी पर आरोप है कि उसने खुद को भारत सरकार के सहकारी क्षेत्र का उपक्रम बताते हुए अलग-अलग योजनाओं में लोगों से धन जमा करने के लिए कहा और धन दोगुना कर वापस करने का वादा किया। कंपनी लोगों का खाता खोलने के बाद जो पासबुक देती थी, उस पर भी भारत सरकार के सहकारी क्षेत्र का उपक्रम लिखा होता था। कंपनी ने वर्ष 2014 में सोनीपत में भी अपना कार्यालय स्थापित किया और लोगों से पैसे जमा करवाए। सोसाइटी ने अपना कार्यालय बंद कर दिया और वहां से अधिकारी व कर्मचारी फरार हो गए।
इस मामले की जानकारी जब लोगों को हुई तो 30 निवेशकों ने पुलिस में शिकायत की। सोनीपत कोर्ट काम्प्लेक्स पुलिस थाने में कुल आठ लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। जांच के दौरान पाया गया कि सोसाइटी ने करीब तीन सौ लोगों से ठगी की है। बाद में इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय ने भी शुरू की और अब कंपनी से जुड़े लोगों पर शिकंजा कस रही है। ईडी ने कंपनी के जनरल मैनेजर गिरीश शर्मा, उसकी पत्नी ममता, पुत्र मृदुल और सोसाइटी के नाम दर्ज भूमि का पूरा विवरण मांगा है। ईडी ने जांच में पाया है कि कंपनी के लोगों ने काले धन के जरिये ही भूमि, भवन आदि खरीदे हैं।