शादी अनुदान फर्जीवाड़ा : कानपुर डीएम ने गठित की तीन सदस्यीय जांच कमेटी, मांगी सभी फाइलें

कानपुर सदर तहसील में शादी अनुदान में अपात्रों को लाभ दिये जाने का फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद लेखपालों और दलालों की मिलीभगत सामने आ सकती है। पूरे प्रकरण पर डीएम ने जांच बिठा दी है जिससे कर्मचारियों की धड़कने बढ़ गई हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 10:58 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 10:58 AM (IST)
शादी अनुदान फर्जीवाड़ा : कानपुर डीएम ने गठित की तीन सदस्यीय जांच कमेटी, मांगी सभी फाइलें
कानपुर का शादी अनुदान में अपात्रों को दिया लाभ।

कानपुर, जेएनएन। अंधा बांटे रेवड़ी, चीन्ह-चीन्ह के दे। यह कहावत तो बहुत पुरानी है, लेकिन राजस्व विभाग पर सटीक बैठती है। यहां के लेखपालों ने दलालों के गठजोड़ कर शादी अनुदान योजना में भी कुछ ऐसा ही खेल किया। उन्होंने अपात्रों को शादी अनुदान दिलाने का प्रयास किया, हालांकि इसमें वे सफल नहीं हुए। अब मामला खुला है तो आरोपित लेखपालों के माथे पर बल पड़ गया है, लेकिन वे दावा कर रहे हैं कि उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। हालांकि किए गए हस्ताक्षर से सदर तहसील में तैनात रहे कई एसडीएम जांच के दायरे में आ गए हैं।

केस-1 : अशोक नगर के पंकज कुमार की बेटी की शादी पांच माह पहले हो चुकी है, लेकिन उन्हें भी पात्र घोषित कर आवेदन पत्र आगे बढ़ा दिया। एसडीएम ने भी उनकी रिपोर्ट समाज कल्याण कल्याण विभाग भेज दी।

केस-2 : न्यू आजाद नगर की मनोरमा के नाम भी आवेदन है, लेकिन जो पता आवेदन पत्र पर भरा गया है, उस पते पर मनोरमा नहीं रहती हैं। बावजूद इसके उन्हें पात्र घोषित किया गया और रिपोर्ट भेज दी गई।

केस-3 : नगवन कठोंगर चकेरी निवासी जवाहर लाल के आवेदन पत्र को भी पात्र घोषित किया गया है, लेकिन आवेदनपत्र में जो पता लिखा गया है उस पर आवेदक नहीं रहते। यह बात सामने आ गई है।

कौन हैं शादी अनुदान के पात्र

शादी अनुदान उन्हें मिलता है जो गरीब होते हैं। ऐसे लोगों को बिटिया की शादी पर 20 हजार रुपये की वित्तीय मदद दी जाती है। आवेदन फॉर्म पर पहले लेखपाल हस्ताक्षर करते हैं और पात्र या अपात्र लिखते हैं। जो पात्र होते हैं उनके आवेदन को ही एसडीएम पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन भेजते हैं। इसके बाद समाज कल्याण विभाग अनुदान देता है, लेकिन यहां तो लेखपालों ने अपात्रों को ही पात्र बनाया। स्थिति यह है कि 50 से अधिक ऐसे लोग हैं जिनका अता-पता ही नहीं है। जिस पते पर उन्होंने आवेदन किया है उस पर वे रहते ही नहीं हैं।

तीन दर्जन ऐसे आवेदनकर्ता हैं जिनकी बेटियों की शादी पहले हो गई है या उनके बेटी ही नहीं है। इसी की जांच के लिए डीएम आलोक तिवारी ने एडीएम आपूर्ति डॉ. बसंत अग्रवाल, मुख्य कोषाधिकारी यशवंत सिंह और पीडी डीआरडीए केके पांडेय को जांच अधिकारी बनाया है। कमेटी के अध्यक्ष एडीएम आपूर्ति हैं। केके पांडेय ने समाज कल्याण अधिकारी को पत्र लिखकर दो साल के आवेदन पत्र मांगे हैं।

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