Kanpur Dakhil Daftar Column: गिफ्ट में महंगा मिला है मोबाइल, साहब दु:खी हैं...

कानपुर में सरकारी दफ्तरों में अफसरों के बीच की बातों को चुटीले ढंग से लोगों तक दाखिल दफ्तर कॉलम पहुंचाता है। एक विभाग के साहब की रिपोर्ट बड़े साहब तक पहुंची तो उन्होंने मौखिक रूप से मुकदमा दर्ज कराने को कह दिया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 07:49 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 07:49 AM (IST)
Kanpur Dakhil Daftar Column: गिफ्ट में महंगा मिला है मोबाइल, साहब दु:खी हैं...
कानपुर के सरकारी कार्यालयों की खबर है दाखिल दफ्तर।

कानपुर, दिग्विजय सिंह। कानपुर शहर में प्रशासनिक दफ्तरों में रोजाना कई चर्चाएं सामने आती हैं लेकिन सुर्खियां नहीं बन पाती हैं। ऐसी ही पर्दे के पीछे की हकीकत को चुटीले अंदाज में लेकर आता है दाखिल दफ्तर कॉलम..। आइए देखते हैं पिछले सप्ताह दफ्तरों में किन बातों की हलचल बनी रही...।

जांच की तपिश, साहब दु:खी

अनुदान बांटने वाले एक विभाग के साहब ने फर्जीवाड़ा पकडऩे के बाद कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की। रिपोर्ट बड़े साहब तक पहुंची तो उन्होंने मौखिक रूप से मुकदमा दर्ज कराने को कह दिया। इस बीच जिन्हें कार्रवाई करनी थी वे नाराज हो गए, क्योंकि उन्हें अपने कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करनी पड़ती। साहब ने मातहतों को बुलाया और आंदोलन करने के लिए उकसा दिया। अब उनके मातहत चार पन्नों का ज्ञापन लेकर बड़े साहब के यहां पहुंचे गए। पहले नारेबाजी की और फिर बोले कि कई और कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा किया है उन पर भी कार्रवाई हो। बड़े साहब दबाव में आ गए और उन्होंने सबके विरुद्ध जांच का आदेश कर दिया और मुकदमा न कराने के आदेश दे दिया। अब कार्रवाई की संस्तुति करने वाले साहब के खिलाफ जांच हो रही है। दु:खी साहब को दूसरे विभाग के साहब ने कहा दु:खी न हों हम हैं न।

चालान काटने का लक्ष्य मिला है

झकरकटी चौराहे के पास एक दारोगा जी वाहन चेङ्क्षकग में व्यस्त थे। उधर से मिश्रा जी बाइक लेकर गुजरे तो दारोगा जी ने उन्हें रोक लिया और हालचाल पूछने के बाद बोले-मिश्रा जी, अब सौ रुपये का नोट निकालें। मिश्रा जी ने कहा रुपये किस बात के। दारोगा जी बोले चालान काटना है। मिश्रा जी की आंखें कुछ पल के लिए खुली की खुली रह गईं। वे अपलक दारोगा जी को निहारते रहे और फिर बोले भाई हेलमेट तो लगा रखा है। ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस साथ में है फिर भी आप चालान काटने की बात कर रहे हैं तो दारोगा जी ने कहा कि अरे मास्क न पहनने का। मिश्रा जी बोले-अरे भाई, मास्क तो एन-95 लगा रखा है। दारोगा जी बोले हम देख रहे हैं, लेकिन चालान काटने का लक्ष्य मिला है। आपै लोग लक्ष्य पूरा करेंगे। मिश्रा जी क्या करते मजबूरन चुपचाप पर्स से निकालकर 100 रुपये दे दिए।

गिफ्ट में महंगा मोबाइल

जिले में अच्छे पद पर तैनात एक साहब का तबादला गैर जनपद हो गया। वे वहां जाना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने पहले कुछ नेताओं से बात की, लेकिन तबादला रुकवाने का किसी ने आश्वासन नहीं दिया। इससे साहब परेशान हो गए तो उन्होंने एक उच्चाधिकारी से जुगाड़ लगाया। क्षेत्रवाद की दुहाई दी। साहब को रहम आ गया। तत्काल साहब को लेकर वे बड़े साहब के यहां पहुंच गए। साहब को तबादले के बाद होने वाली समस्या से बड़े साहब को अवगत कराया। बड़े साहब भी रहम दिल वाले निकले, तुरंत फोन उठाया और शासन में बात कर ली। उनका तबादला रुक गया तो चेहरे से दुख के भाव हट गए। जो उच्चाधिकारी उन्हें बड़े साहब के यहां ले गए थे उनका अहसान भी उतारना था। ऐसे में तत्काल उन्होंने साहब को एक विदेशी कंपनी का महंगा मोबाइल फोन मंगवाकर गिफ्ट कर दिया। अब मोबाइल की चर्चा हर ओर है।

कब गर्दन कट जाए भरोसा नहीं

निर्माण कार्य कराने वाले एक साहब आजकल कुछ जनप्रतिनिधियों से दु:खी हैं। दो जनप्रतिनिधि ऐसे हैं जो साहब के विभाग के टेंडरों में सीधा दखल रखते हैं। आए दिन साहब के पास उनका फोन आ जाता है और बिना लाग-लपेट के अपनों को टेंडर देने की सिफारिश कर देते हैं। अब तो दोनों जनप्रतिनिधि एक-दूसरे के क्षेत्र में टेंडर को लेकर दखल देने लगे हैैं। ऐसे में साहब परेशान हैं कि वे किसकी बात मानें। एक विधायक जी को उन्होंने फोन किया और यह जानने की कोशिश किया कि दोनों में सरकार में किसकी स्थिति मजबूत है। विधायक जी बोले दोनों की बात सुनी जाती है। अब साहब का चेहरा उतर गया। विधायक जी ने पूछ लिया कि आप परेशान क्यों हैं तो साहब बोले-माननीय हमारे दर्द को तो कोई सुनता ही नहीं है। हम तो तलवार की धार पर खड़े हैं। कब गर्दन कट जाए कोई भरोसा नहीं है।

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