Kanpur Dakhil Daftar Column: ईमानदारी का नशा उतर जाएगा.., दिल के अरमान पूरे नहीं होंगे

कानपुर महानगर में प्रशासन और विभागों में चल रही हलचल को दाखिल दफ्तर काॅलम लेकर आया है। विकास विभाग से जुड़े एक विभाग के बड़े साहब का दो माह पहले तबादला हो गया था लेकिन उनपर तो बड़े साहब का आशीर्वाद है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 08 Jun 2021 11:51 AM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 11:51 AM (IST)
Kanpur Dakhil Daftar Column: ईमानदारी का नशा उतर जाएगा.., दिल के अरमान पूरे नहीं होंगे
कानपुर नगर के प्रशासनिक महकमे की हलचल दाखिल दफ्तर।

कानपुर, दिग्विजय सिंह। कानपुर महानगर में प्रशासनिक दफ्तरों की हलचल और चर्चा जो सुर्खियां नहीं बन पाईं, उन्हें चुटीले अंदाज में लेकर आता है हमारा दाखिल दफ्तर कॉलम। आइए, देखते है कि इस सप्ताह प्रशासनिक महकमों में क्या हलचल रही।

तबादले के साथ वेतन रोकने का आर्डर

विकास विभाग से जुड़े एक विभाग के बड़े साहब का दो माह पहले तबादला हो गया था, लेकिन साहब को उनके बड़े साहब का आशीर्वाद था तो वह कार्यमुक्त नहीं हुए। सबकुछ ऐसे ही चलता रहा। इस दौरान जिनके विरुद्ध जो जांचें थीं, साहब ने जल्दी- जल्दी उन्हें भी निपटाया। दरअसल, साहब तो यही मान बैठे थे कि अब उनका तबादला नहीं होगा, लेकिन वह भूल गए कि प्रदेश सरकार के एक प्रभावशाली मंत्री जी की नाराजगी उन पर भारी पड़ी थी, इसलिए उनके तबादले का आर्डर आया था। साहब थोड़ा ठसक वाले थे और किसी की सुनते भी नहीं थे। यहां तक कि विभागीय मंत्री के आने पर भी वह प्रोटोकॉल के तहत उनका स्वागत करने तक नहीं जाते थे। अब जब कोरोना की लहर थमी तो नाराज मंत्री जी की निगाह साहब पर फिर गई और साहब के तबादले के साथ वेतन रोकने का आर्डर भी आ गया।

ईमानदारी का नशा उतर जाएगा

एक ठेकेदार की सत्तापक्ष के कुछ जनप्रतिनिधियों से अच्छी खासी पहचान है, इसलिए वह अधिकारी पर रौब गांठ लेते हैं। उन्हें लगता है कि कभी कोई समस्या आएगी तो जनप्रतिनिधि सब संभाल लेंगे। अब साहब का यह भ्रम बहुत ही जल्दी टूट गया। साहब ने भूखंडों का आवंटन करने वाले एक विभाग में कुछ निर्माण कार्य किया था। काम में थोड़ा कमियां थीं तो अभियंता ने जांच की और उन्हें एक- एक कर सारी कमियां बता दीं। ठेकेदार ने अभियंता को पहले प्यार से यह समझाया कि वह इन कमियों को भूल जाएं, लेकिन उसने मना कर दिया। नाराज ठेकेदार ने कहा कि तुम्हारी विधायक जी से बात करा देता हूं। डांट मिलेगी तो होश ठिकाने आएंगे। अभियंता ने कहा, साहब के अलावा किसी की नहीं सुनता हूं। ठेकेदार ने कहा, ईमानदारी का नशा उतर जाएगा। अभियंता ने कमियों की रिपोर्ट बनाई तो ठेकेदार के अहंकार का नशा टूट गया।

अब मोह माया से दूर हूं

औद्योगिक विकास विभाग से जुड़े एक साहब वर्षों तक कई अहम पदों पर रहे और बड़े शहरों में उन्होंने ड्यूटी की, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से साहब के सितारे गर्दिश में हैं। जब साहब की चलती थी तो वह किसी की सुनते भी नहीं थे। वही करते थे जो उनका मन करता था, तब साहब माया और मोह के वशीभूत थे। कुछ उनके अपने कारिंदे थे, वे जो कहते वही साहब करते थे। चार माह पहले साहब के मन में फिर से क्षेत्रीय प्रबंधक बनने के अरमान जागे। एक मंत्री जी ने उनको आश्वासन भी दे दिया। आश्वासन मिला तो साहब फूले नहीं समाए और सीना चौड़ाकर लोगों को बताने भी लगे कि जल्दी दिन बहुरने वाले हैं, पर हुआ कुछ नहीं। उनको निराशा ही हाथ लगी। उनके ही मित्र अधिकारी ने पूछ लिया कि कुर्सी का क्या हुआ तो बोले- यार अब मैं मोह और माया से दूर हूं।

दिल के अरमान पूरे नहीं होंगे

गंगा बैराज के कटरी क्षेत्र में अवैध रूप से प्लाटिंग हुई तो वहां लोगों ने बड़े पैमाने पर भूमि भी खरीदी। कुछ अफसरों की मिलीभगत से बंधे से रैंप बने। मीडिया में जब मामला उछला तो रैंप तोड़े गए और निर्माण कार्य भी ढहा दिए गए। एक सांसद जी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने एसआइटी जांच का आदेश भी कर दिया और जांच के लिए रिपोर्ट भी शासन को चली गई। मुख्यमंत्री कार्यालय से भी जांच का आदेश हो गया, लेकिन एसआइटी का गठन नहीं हुआ। ऐसे में अब एक नेता जी परेशान हैं, क्योंकि उनके अपने खासमखास तो जेल चले गए, लेकिन वह इस मामले में जिनको जेल भेजवाना चाहते थे, वे मौज काट रहे हैं। दुखी नेता जी ने एक अफसर को फोन किया और बोले-जांच का क्या हुआ तो अफसर ने दो टूक कह दिया, फाइल दब गई है। अब आपके दिल के अरमान पूरे नहीं होंगे।

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