Cyber Crime Kanpur: लंबी तैयारी के बाद बैंकों को ईमेल भेजते हैं शातिर साइबर ठग, आटो कंपनी से 65.80 लाख रुपये ठगे

साइबर ठगों ने विशाल आटोमूवर्स प्राइवेट लिमिटेड का ईमेल हैक करके आठ खातों में 65.80 लाख रुपये जमा कराए थे। पुलिस ने खातेदारों की केवाइसी व बैंक स्टेटमेंट मांगा और छह खातों को तत्काल प्रभाव से फ्रीज करा दिया गया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 12:55 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 12:55 PM (IST)
Cyber Crime Kanpur: लंबी तैयारी के बाद बैंकों को ईमेल भेजते हैं शातिर साइबर ठग, आटो कंपनी से 65.80 लाख रुपये ठगे
साइबर ठगों ने कंपनी को लगाया लाखों का चूना।

कानपुर, जेएनएन। आटो मोबाइल कंपनी विशाल आटोमूवर्स के डायरेक्टर के नाम से बैंक को ईमेल भेजकर खाते से 65.80 लाख रुपये हड़पने वाले साइबर अपराधियों के नाइजीरियन गैंग से संबंध होने की आशंका है। वहीं शातिरों द्वारा लंबी तैयारी के बाद बैंकों को ईमेल भेजे जाने की पुष्टि हुई है। यह गैंग बरेली में पकड़े गए राबर्ट से जुड़ा है या नहीं, इसका पता लगाने की कोशिश की जा रही है। जिन आठ खातों में कंपनी के खाते से रकम भेजी गई, उनका ब्योरा व स्टेटमेंट मांगा गया है। छह खातों को फ्रीज करा दिया गया है।

स्वरूप नगर थाने में यूनियन बैंक आफ इंडिया के शाखा प्रबंधक विनय दीक्षित ने पिछले दिनों धोखाधड़ी व आइटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने बताया था कि नौ व 10 सितंबर को अन्जान नंबर से फोन करके एक शख्स ने खुद को विशाल आटोमूवर्स कंपनी का निदेशक दौलत ङ्क्षसह भदौरिया बताते हुए लोन खाते से आठ विभिन्न खातों में 65.80 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए थे। आरोपित ने फर्जी लेटरहेड पर खातों का ब्योरा भी ईमेल पर भेजा था। जिस नंबर से फोन आया था, ट्रू कालर पर उसमें निदेशक का नाम लिखा प्रदर्शित हो रहा था। स्वरूप नगर थाना प्रभारी अश्विनी कुमार पांडेय ने बताया कि खातों का ब्योरा और खातेदारों की केवाइसी मांगी गई है। उसके आधार पर टीम को जांच के लिए भेजा जाएगा।

लंबी तैयारी के बाद बैंकों को ईमेल भेजते हैं शातिर

अब तक की जांच में पता लगा है कि साइबर अपराधी लंबी तैयारी व योजना के बाद बैंकों को कंपनी के नाम से ईमेल व लेटरहेड भेजते हैं। पहले कंपनी के मालिक या निदेशक के नाम से एक फोन नंबर ट्रू कालर पर दर्ज कराते हैं, ताकि बैंक के मैनेजर को फोन करें तो उसे शक न हो। यही नहीं, कंपनी के नाम से हूबहू लेटरहेड तैयार कराते हैं। पुलिस को ईमेल भेजने वाले का यूआरएल (यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर) व आइपी (इंटरनेट प्रोटोकाल) एड्रेस अभी नहीं मिला है।

chat bot
आपका साथी