कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कानपुर पुलिस की पहल, डॉक्टर अफसर ने तैयार की योजना
कानपुर शहर में कमिश्नरेट पुलिस के एडिशनल डीसीपी यातायात डॉ.अनिल कुमार कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए आगे हैं। विश्व के चिकित्सकों की अपनाई पद्धतियों के आधार पर उन्होंने सौ डॉक्टरों का समूह तैयार करके कोरोना पर काबू पाने की योजना बनाई है।
कानपुर, गौरव दीक्षित। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए कमिश्नरेट पुलिस बड़ी योजना पर काम कर रही है। संक्रमण रोकने को विश्व के चिकित्सकों द्वारा अपनाई गईं पद्धतियों का विश्लेषण करने के बाद एडिशनल डीसीपी यातायात डॉ. अनिल कुमार ने टेली मेडिसन परामर्श द्वारा इलाज का एक ऐसा मॉडल तैयार किया है, जिसमें हर घर को अस्पताल बना दिया जाएगा। दावा है कि संक्रमित व्यक्ति को घर पर ही इलाज मिलने से संक्रमण की चेन को ज्यादा मजबूती के साथ तोड़ा जा सकेगा।
यह है पुलिस की योजना : एडिशनल डीसीपी यातायात डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि तमाम चिकित्सा पद्धतियों का अध्ययन करने के बाद उन्होंने एक योजना तैयार की है, जिसमें कानपुर जैसे महानगर में इलाज के लिए कम से कम सौ डॉक्टरों के समूह की आवश्यकता होगी। योजना के मुताबिक डॉक्टर संक्रमित मरीज से फोन पर बात करेगा। उनके लक्षण और समस्याओं के बारे में पूछेगा। इसके बाद डॉक्टर उक्त मरीज को देने वाली दवाओं, जांचों का पर्चा तैयार करेगा। हर डॉक्टर के पास तीन से पांच लोगों का प्रशिक्षित नर्सिंग स्टॉफ होगा, जो मरीज के घर जाएगा। मरीज का ऑक्सीजन लेवल, शुगर लेवल, बीपी जांचेगा। अगर ब्लड की कोई जांच करानी हो तो घर पर ही सैंपल लेगा। उन्हें बताएगा कि दवाएं कैसे लेनी हैं और कब क्या-क्या करना है। इंजेक्शन लगना है तो रोजाना नर्सिंग स्टाफ घर जाएगा।
ऐसे टूटेगी चेन : डॉ. अनिल कुमार का मानना है कि इस पद्धति से कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ी जा सकती है। उन्होंने बताया कि संक्रमण इसीलिए तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि संक्रमित मरीज डॉक्टर व दवाओं की तलाश में इधर से उधर भागता है। इससे न केवल संक्रमण और तेजी से बढ़ता है, बल्कि भागदौड़ व अव्यवस्थाओं की वजह से मरीज का हौसला भी टूटता है, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ जाती है। घर पर उनका इलाज होने से संक्रमण रुकेगा और मरीज को भी संतुष्टि मिलगी, जिससे उसका हौसला बढ़ेगा।
दस डॉक्टर कर रहे काम, सफलता सौ फीसद
डॉ. अनिल ने बताया कि प्रयोग के तौर पर उन्होंने दस डॉक्टरों की टीम को साथ लेकर इलाज शुरू किया है। टेली मेडिसिन परामर्श से शत प्रतिशत सफलता मिली है। उन्हें लगाता है कि अगर महानगर में सौ डॉक्टरों का समूह तैयार हो जाए तो इस पद्धति से संक्रमण की रफ्तार को रोका जा सकता है।
आइपीएस भाई का साथ दे रही आइएएस बहन
डॉ. अनिल कुमार मूल रूप से राजस्थान के झुंझनू जिले के अलसीसर के रहने वाले हैं। जाणपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने के बाद कुछ दिनों तक उन्होंने दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में प्रैक्टिस भी की। इसी तरह उनकी बहन डॉ. मंजू आइएएस हैं और उन्होंने भी पहले एमबीबीएस की है। वह उदयपुर में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट ऑफिसर हैं। दोनों भाई-बहन कोरोना काल में अपने डॉक्टरी के हुनर का प्रयोग कर रहे हैं। डॉ. अनिल के प्रयासों से ही पुलिस लाइन में 16 बेड का एल-1 अस्पताल संचालित हो रहा है, जिसकी ओपीडी में वह स्वयं बैठते हैं। पुलिस लाइन के एल-1 अस्पताल से 385 मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जिसमें 18 स्वस्थ हो चुके हैं।