चौबेपुर हत्याकांड: बिकरू केस से पुलिस ने नहीं लिया सबक, ग्रामीणों का हंगामा ले सकता था विकराल रूप

पनऊपुरवा गांव में पंचायत चुनाव की रंजिश में सोमवार की रात घर हुई हत्या और बवाल के बाद तनाव की स्थिति बनी हुई है। बुधवार की सुबह अंतिम संस्कार के लिए जब शव ले जाने की बारी आई तो पीडि़त परिवार व ग्रामीण भड़क उठे।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 09:29 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 09:29 PM (IST)
चौबेपुर हत्याकांड: बिकरू केस से पुलिस ने नहीं लिया सबक, ग्रामीणों का हंगामा ले सकता था विकराल रूप
मृतक के घर पर भाजपा विधायक से बिफरती कांग्रेस की रीता कठेरिया।

कानपुर, जागरण संवाददाता। बिकरू कांड के बाद यही माना जा रहा था कि यह घटना यूपी पुलिस के लिए सबक है। मगर, डेढ़ साल बाद ही पनऊपुरवा की घटना ने साबित कर दिया कि यूपी पुलिस की बात तो बहुत दूर है, चौबेपुर पुलिस ने ही बिकरू कांड से कोई सबक नहीं लिया। पुलिस जिस तरह से आरोपित पक्ष के लिए लामबंदी में लगी रही, उससे ग्रामीणों में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर गुस्सा है। अगर मारपीट के बाद पीडि़त पक्ष भी आक्रोशित हो जाता तो गांव में किसी बड़ी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता था। 

शव उठाने के समय एक घंटे हुआ हंगामा: पनऊपुरवा गांव में पंचायत चुनाव की रंजिश में सोमवार की रात घर हुई हत्या और बवाल के बाद तनाव की स्थिति बनी हुई है। बुधवार की सुबह अंतिम संस्कार के लिए जब शव ले जाने की बारी आई तो पीडि़त परिवार व ग्रामीण भड़क उठे। उन्होंने शव नहीं उठने दिया गया। करीब चार घंटे बाद विधायक व एडीएम के आश्वासन पर स्वजन माने, जिसके बाद शव अंतिम संस्कार के लिए भेजा गया।

पनउपुरवा में हुई दुस्साहसिक घटना में जो कुछ हुआ उसमें पुलिस की संलिप्तता उजागर हुई है, जिससे गांव में तनाव व्याप्त हो गया है। मंगलवार की देर शाम पोस्टमार्टम प्रक्रिया के बाद मृतक बुजुर्ग आनंद कुरील का शव गांव पहुंचा तो लोगों में खाकी के प्रति गुस्सा उबल पड़ा। गांव वालों ने बताया कि पुलिस यदि घटना को गंभीरता से लेती तो हत्या जैसी घटना नहीं होती। पुलिस की शह पर हत्या को अंजाम दिया गया। उग्र हुए गांव वालों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू की तो गहमागहमी की स्थिति बन गई।

विधायक ने की मांग: क्षेत्रीय विधायक भगवती सागर ने डीएम को फोन के माध्यम से पीडि़त परिवार को मुआवजा और नौकरी देने के साथ ही मुख्यमंत्री राहत सहायता से धन राशि दिलाने के लिए कहा। डीएम के निर्देश पर एडीएम वित्त दयानंद ने मृतक के परिवार को लिखित आश्वासन दिया, जिसके बाद घर वाले अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हुए। 

कांग्रेस और भीम आर्मी का भी हंगामा: मृतक परिवार के घर सांत्वना देने के दौरान राजनीतिक मंच लग गया। गांव पहुंचे कांग्रेस व भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने पुलिस की संलिप्तता को लेकर जमकर हंगामा किया। कांग्रेस की रीता कठेरिया  की विधायक भगवती सागर से तीखी नोकझोक हुई। रीता कठेरिया ने आरोप लगाया कि सब ड्रामा हो रहा है। बुजुर्ग की हत्या के चौबिस घंटे बीत चुके हैं और सहायता के नाम परिवार को फूटी कौड़ी भी नही मिली है। बाद में भाजपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेसियो की नारेबाजी शुरू कर दी। इधर भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने कहा की दोषी पुलिस जन निलंबित होने चाहिए। आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी मातहतों को बचा रहे हैं।

अंतिम संस्कार को विधायक ने दिए पैसे : गरीब पीडि़त परिवार के पास अंतिम संस्कार के भी पैसे नहीं थे। शव रखने के लिए बर्फ का इंतजाम तक नहीं हुआ था। यह जानकारी  मिलने के बाद विधायक भगवती सागर ने परिवार को पांच हजार रुपये दिए और बर्फ मंगवाकर शव को उसमें रखवाया। 

कांग्रेसियों ने दिया शव को कंधा : पनऊपुरवा हत्याकांड मामले में बुधवार को कांग्रेस कार्यकर्ता भी पीडि़त परिवार के घर पहुंचे। जिला प्रशासन से मुआवजा की लिखित सहमति के बाद शव उठाया गया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शव का कंधा दिया। पीडि़त परिवार को इंसाफ मिलने तक लड़ाई लडऩे का वादा किया।अमित ने बताया कि राजनीतिक विद्वेष के चलते घटना अंजाम दी गई है।पुलिस को भी इस घटना की जानकारी थी।घटना के बाद नाबालिग बच्चियों को भी अपशब्द बोले गए। दोषी पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी, परिवार को मुआवजा देने की मांग कांग्रेस कर रही है। मांग पूरी होने तक कांग्रेस पीडि़त परिवार की लड़ाई लड़ेगी। पीडि़त परिवार से मिलने वालों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता ऊषारानी कोरी, राजेश राजपूत, भानू प्रताप दीक्षित, सुनील बाल्मीकि, रीता कठेरिया शामिल रहीं।

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