एक ऑपरेशन से बचानी थी तीन जानें, प्रदेश में पहली बार कार्डियोलाजी अस्पताल के डॉक्टरों मिली सफलता

कानपुर के कार्डियोलाजी अस्पताल में डॉक्टरों ने गर्भवती का वाल्व प्रत्यारोपण का सफल ऑपरेशन करके सुरक्षित जुड़वा प्रसव कराया गया । साढ़े सात माह की गर्भवती को सांस फूलने पर गंभीर स्थिति में स्वजन अस्पताल लेकर आए थे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 07:51 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 07:51 AM (IST)
एक ऑपरेशन से बचानी थी तीन जानें, प्रदेश में पहली बार कार्डियोलाजी अस्पताल के डॉक्टरों मिली सफलता
हृदय रोग संस्थान में कामयाब सर्जरी ।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलाजी) में पहली बार साढ़े सात माह की गर्भवती के वाल्व प्रत्यारोपण के साथ ही सुरक्षित प्रसव कराया गया। महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है। प्रदेश में अपनी तरह का यह पहला मामला है। आपरेशन जोखिम भरा था लेकिन कार्डियक थेरोसिक वैस्कुलर सर्जरी (सीवीटीएस) विभागाध्यक्ष एवं चीफ कार्डियक सर्जन प्रो. राकेश वर्मा एवं उनकी टीम ने सफलतापूर्वक वाल्व प्रत्यारोपण किया। जच्चा एवं दोनों बच्चे पूरी तरह सुरक्षित हैं। जच्चा को दो दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी, जबकि दोनों बच्चे अभी प्रीमेच्योर बेबी यूनिट (पीबीयू) में भर्ती हैं।

कानपुर देहात के अकबरपुर निवासी शहजादे की 23 वर्षीय पत्नी रजी को जन्मजात दिल की बीमारी थी। उनकी 13 वर्ष की उम्र में बैलून माइट्रल वाल्वोप्लास्टी (बीएमवी) हुई थी। शादी के बाद गर्भवती होने पर उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। सांस फूलने से वह न बैठ पा रही थी और न ही खड़ी हो पा रही थी। स्वजन उसे 24 अगस्त को भौती स्थित जिला अस्पताल लाए। गंभीर स्थिति देख कार्डियोलाजी भेजा गया। स्वजन ने उन्हें यहां कार्डियक सर्जन प्रो. राकेश वर्मा को दिखाया। गंभीर स्थिति देख उन्हें क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में भर्ती किया गया। स्थिति नियंत्रित होने पर ईको जांच कराई।

प्रो.वर्मा ने बताया कि उसके हृदय का वाल्व फटकर चिपक गया था। गर्भ के दबाव से वाल्व का सपोर्ट (काडा) फट गया था, जिससे वाल्व लीक कर गया था। इससे उसकी सांस नहीं थम रही थी। गर्भवती के साथ दो और जानें थीं। तीन को बचाने के लिए सर्जरी करने का निर्णय लिया गया।

10 वें दिन वाल्व प्रत्यारोपण : भर्ती के 10वें दिन यानी तीन सितंबर को प्रो.वर्मा ने आपरेशन कर वाल्व प्रत्यारोपण किया। उन्होंने बताया कि गर्भवती को बायोलाजिकल वाल्व लगाया, ताकि उसे खून पतला करने वाली दवाएं न खानी पड़ें और दवाओं का दुष्प्रभाव गर्भस्थ शिशुओं पर न पड़े। सर्जरी में एनस्थीसिया डा. माधुरी व डा.आरएन पांडेय व उनकी टीम शामिल रहे। हार्ट लंग्स मशीन डा. मोबिन व उनकी टीम ने आपरेट की। सफल सर्जरी पर निदेशक डा. विनय कृष्ण ने सभी को बधाई दी है।

सात दिन बाद आइसीयू में प्रसव पीड़ा : वाल्व प्रत्यारोपण के बाद सर्जिकल आइसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। कार्डियक एनस्थीसिया विभाग की टीम मानीटरिंग कर रही थी। सात दिन बाद आइसीयू में ही उसे रात 11:30 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। प्रो. वर्मा ने रात 12:15 बजे स्त्री एवं प्रसूति रोग टीम बुलाई।

आइसीयू प्रसव कक्ष, दोनों बच्चे निजी अस्पताल में : सर्जिकल आइसीयू के एक हिस्से को ही प्रसव कक्ष बना दिया गया। वहां स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों ने एसेप्टिक टेक्निक से सामान्य प्रसव कराया। साढ़े सात माह में प्रीमेच्योर बच्चे पैदा हुए। बाल रोग में जगह न होने पर दोनों को निजी अस्पताल में शिफ्ट कराया गया, जहां बच्चा एवं बच्ची दोनों सुरक्षित हैं।

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