Kanpur Naptol Column: बैठक में पहुंच गए बेमतलब, बदला पाला तो हुआ विवाद
कानपुर शहर में नापतोल के कालम व्यापारी नेताओं की गतिविधियां उजागर करता है। देश के एक कोने से दूसरे कोने तक माल भेजने की जिम्मेदारी संभाले विभाग के अधिकारियों को पता ही नहीं कि बैठक में व्यापारियों को कैसे बुलाएं।
कानपुर, [राजीव सक्सेना]। शहर में व्यापारिक संगठनों की राजनीतिक हलचल जो सुर्खियां नहीं बन पाती हैं, उन्हें चुटीले अंदाज में लेकर आता है नापतोल के कालम। आइए देखते हैं बीते सप्ताह व्यापारियों के बीच क्या गतिविधियां बनी रहीं...।
जिनका मतलब नहीं, वे भी पहुंचे बैठक में
एक सरकारी विभाग ने पिछले दिनों व्यापारियों की समस्याओं को समझने के लिए बैठक बुलाई। देश के एक कोने से दूसरे कोने तक माल भेजने की जिम्मेदारी संभालने इस विभाग के अधिकारियों को यह जानकारी नहीं थी कि बैठक में व्यापारियों को बुलाएं कैसे। बस एक पत्र बनाकर कुछ वाट्सएप ग्रुप में शेयर करा दिया गया। जिनको उस विभाग से नियमित रूप से काम पड़ता है, ज्यादातर उन लोगों को सूचना ही नहीं पहुंची। अधिकारी सोच रहे थे कि अच्छी संख्या में व्यापारी बैठक में आएंगे। उनकी समस्याएं भी पता लग जाएंगी और उन्हें अपनी बात भी बता दी जाएगी, लेकिन बमुश्किल आठ व्यापारी ही इस बैठक में पहुंचे। इनमें ज्यादातर का इस विभाग से कोई साबका भी नहीं पड़ता है। कुछ ही देर में सरकारी विभाग के अधिकारियों को भी अपनी यह गलती समझ में आ गई। आखिर किसी तरह चंद बातें हुई और मेहमानों को रुखसत किया गया।
एक बाजार से चल रहा व्यापार मंडल
एक राजनीतिक दल का व्यापार मंडल है, कुछ दिन पहले इसमें पदाधिकारियों को मनोनीत करने की शुरुआत हुई। व्यापार मंडल पर कई जिलों की जिम्मेदारी है। लोगों को लग रहा था कि इसमें सभी जगह खूब पदाधिकारी बनाए जाएंगे। यह उम्मीद गलत भी नहीं थी, क्योंकि पार्टी को प्रदेश में दोबारा खुद को मजबूत करना है। बहुत से नाम सामने आए। व्यापार मंडल घोषित हुआ तो उसमें तमाम अलग-अलग बाजारों के व्यापारियों को जगह भी दी गई, लेकिन पद बांटने में एक चूक हो गई। कई बड़े पद उसी बाजार के व्यापारियों की झोली में गिर गए, जिस बाजार में उनका अपना कारोबार है और वह उस बाजार के व्यापार मंडल के अध्यक्ष भी हैं। अब एक ही बाजार के नेताओं को कई वरिष्ठ पद देने के बाद उनके बाजार के ही व्यापारी चुटकी ले रहे हैं कि भाई दूसरे जिलों में घूम आओ शायद वहां भी लोग मिल जाएं।
बदला पाला तो हुआ विवाद
कुछ माह से व्यापार मंडल के मुख्य और युवा संगठन के पदाधिकारियों में विवाद है। नाराजगी है कि युवा व्यापार मंडल के अध्यक्ष मुख्य संगठन के पदाधिकारियों का सम्मान नहीं करते। खुद कार्यक्रम कर लेते हैं, लेकिन मुख्य संगठन को जानकारी नहीं देते। मुख्य संगठन के पदाधिकारियों ने उनसे बात करना बंद कर दिया। इस बीच मुख्य संगठन के महामंत्री ने युवा संगठन के अध्यक्ष से हाथ मिला लिया। सारे गिले-शिकवे मिट गए। युवा संगठन के कार्यक्रम में वह शामिल भी होने लगे और बैठकों में दोनों साथ में पहुंचने लगे, लेकिन मुख्य संगठन के बहुत से पदाधिकारियों को यह दोस्ती रास नहीं आ रही। पैचअप के प्रयास में मुख्य संगठन के पदाधिकारियों में ही रार हो गई है। एक तरफ महामंत्री पुरानी बातों को भूलने की बात कह रहे हैं, वहीं नाराज पदाधिकारियों का कहना है कि युवा अध्यक्ष अब भी अपने कार्यक्रमों की जानकारी नहीं दे रहे हैं।
व्यापारी समझ रहे, क्यों बंद हुए कार्यक्रम
शहर के एक व्यापार मंडल के पदाधिकारी कुछ समय से काफी सक्रिय थे। खूब कार्यक्रम होने लगे। व्यापारियों की समस्याओं को लेकर अधिकारियों से मुलाकात होने लगी। तेजी से हो रहे कार्यक्रमों के बारे में व्यापारियों ने जानकारी की तो इसके पीछे का राज पता चला। अपने ही संगठन के दूसरे गुट पर हावी होने के लिए ये कार्यक्रम हो रहे थे। एक गुट कोई कार्यक्रम करता तो दूसरा उससे मिलता जुलता कार्यक्रम कर देता। कोई मंत्री से मिलने जाता तो दूसरा भी पहुंच जाता। दोनों गुट के व्यापारियों की यह खींचतान इतनी बढ़ी कि आखिरकार एक गुट ने मैदान ही छोड़ दिया। अब मैदान में दूसरा गुट ही नहीं है तो किस पर हावी हुआ जाए, यह समझ में नहीं आ रहा है। इसके चलते अब व्यापार मंडल के कार्यक्रम ही बंद हो गए हैं। शहर के व्यापारी भी समझ रहे हैं कि कार्यक्रम क्यों बंद हो गए हैं।