JNNURM Scam Case: कानपुर में दोषी अभियंताओं पर मुकदमा कर पानी पिलाना भूला जल निगम

14 साल गुजर जाने के बाद भी लोगों को पीने का पानी 24 घंटे दूर अभी तक दो घंटे तक नहीं मिल पा रहा है। पचास करोड़ लीटर पानी में सिर्फ छह करोड़ लीटर ही पानी की सप्लाई बैराज से हो रही है।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 08:17 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 09:47 AM (IST)
JNNURM Scam Case: कानपुर में दोषी अभियंताओं पर मुकदमा कर पानी पिलाना भूला जल निगम
कानपुर जल निगम की खबर से संंबंधित सांकेतिक फोटो।

कानपुर, जेएनएन। जवाहर लाल नेहरू नेशन अरबन रिन्यूवल मिशन (जेएनएनयूआरएम) की पेयजल योजना 869 करोड़ रुपये में छेद लगाने वाले दोषी 24 अभियंताओं के खिलाफ जल निगम ने दो माह पहले मुकदमा दर्ज करा दिया है, लेकिन अभी तक लोगों को पानी पिलाने की कोई व्यवस्था नहीं की है। मात्र 15 किमी पाइप न पड़ने के कारण पेयजल योजना फंसी हुई है।

जेएनएनयूआरएम की पेयजल योजना वर्ष 2007 में दो पार्ट में शुरू हुई थी। शहर को 50 करोड़ रुपये पानी पिलाने की व्यवस्था की गई थी। 24 घंटे पानी देने की व्यवस्था कागजी दिखाई गई थी। हालत यह है कि 14 साल गुजर जाने के बाद भी लोगों को पीने का पानी 24 घंटे दूर अभी तक दो घंटे तक नहीं मिल पा रहा है। पचास करोड़ लीटर पानी में सिर्फ छह करोड़ लीटर ही पानी की सप्लाई बैराज से हो रही है। इसमें भी लीकेज के चलते एक करोड़ लीटर से पानी बह जाता है। कई बार तो लीकेज के चलते बैराज बंद करना पड़ना करता है। छह माह में सात बार बैराज बंद हो चुका है। मामले में शासन ने कार्रवाई के आदेश दिए तो जल निगम के परियोजना प्रबंधक शमीम अख्तर ने 24 अभियंताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। 15 किमी घटिया पाइप डालने के कारण जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। पचास करोड़ रुपये का घोटाला दिखाया गया। इसमें 16 अभियंता सेवानिवृत्त हो चुके है। दो अभियंताओं की मृत्यु हो चुकी है और छह अभियंताओं दूसरे जिलों में तैनात है। जल निगम ने मुकदमा दर्ज जरूर करा दिया लेकिन अभी तक पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

जल निगम ने कंपनी बाग से फूलबाग तक और कंपनी बाग से शास्त्री चौक तक 16 सौ एमएम के लोहे के पाइप डालने के लिए 161 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा था। पाइप ट्रच विधि से पड़े पाइपों के अंदर डाला जाना था। शासन ने प्रोजेक्ट को कम करने और पाइपों में लिमिनेशन करने का प्रस्ताव मांगा। इसमें 95 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है। इसका प्रस्ताव शासन को भेज दिया, लेकिन पैरवी न होने के कारण ढाई साल से बैराज से केवल छह करोड़ लीटर ही जलापूर्ति हो रही है। परियोजना प्रबंधक ने बताया कि शासन को प्रस्ताव भेजा है। स्वीकृति मिलते ही कार्रवाई शुरू हो जाएगी। अब देखना यह है कि चालीस लाख जनता को पीने का पानी कब तक मिलता है।

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