कानपुर में जश्न-ए-ख्वाजा गरीब नवाज के दौरान सूफियों ने दिया मोहब्बत और इंसानियत का पैगाम
जश्न ए ख्वाजा गरीब नवाज मनाया गया। सूफियों के दरबार में न किसी तरह का भेदभाव नहीं होता। यहां गुलाब व गेंदे के फूल एक साथ चढ़ाए जाते हैं। कहा गया कि ख्वाजा गरीब नवाज ने मोहब्बत की शमां रोशन की। इस शमां की रोशनी पूरे एशिया में फैली।
कानपुर, जेएनएन। ख्वाजा गरीब नवाज हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती ने इंसानियत, भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम दिया। उन्होंने लोगों के एकता के सूत्र में पिरोया। अजमेर शरीफ में उनकी मजार पर विभिन्न धर्मों के लोग अकीदत के साथ पहुंचते हैं। यह बातें उलमा ने कहीं। उन्होंने ख्वाजा गरीब नवाज की शान बयां की और उनकी जिंदगी पर रोशनी डाली। ख्वाजा गरीब नवाज के पद चिह्नों पर चलने की कोशिश करने के लिए तलाक महल स्थित एक हाॅल में मनाए गए जश्न-ए-ख्वाजा गरीब नवाज का आयोजन किया गया।
उलमा इन बातों पर भी डाला प्रकाश
जलसे को संबोधित करते हुए उलमा ने कहा कि सूफियों ने प्रेम और भाई चारे का संदेश दिया है। यही वजह है कि मजारों पर विभिन्न धर्मों के लोगों का जमावड़ा रहता है। सूफियों के दरबार में न किसी तरह का भेदभाव नहीं होता। यहां गुलाब व गेंदे के फूल एक साथ चढ़ाए जाते हैं। मौके पर कहा गया कि ख्वाजा गरीब नवाज ने मोहब्बत की शमां रोशन की। इस शमा की रोशनी पूरे एशिया में फैली। ख्वाजा गरीब नवाज के मुरीदों मे हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार कारी, उनके मुरीद (शिष्य) बाबा फरीद उद्दीन गंजशकर, उनके मुरीद हजरत निजामुद्दीन औलिया व हजरत अली अहमद साबिर के जरिये मोहब्बत का संदेश पूरे हिंदुस्तान में फैला। सूफियों का मकसद बुराइयों को खत्म कर लोगों के अच्छी राह पर लगाना है। सूफियों की जिंदगी से सीख लेने की जरूरत है। जलसे में कन्नौज, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, उन्नाव आदि से उलमा ने शिरकत की। इस दौरान शहरकाजी मुफ्ती साकिब अदीब, मुफ्ती हनीफ बरकाती, मुफ्ती इलियास खां नूरी, कारी कासिम हबीबी, कारी मीकाइल जियाई, कारी अब्दुल मुत्तलिब, मौलाना हाशिम अशरफी, मौलाना गुलाम मुस्तफा आदि रहे।