धान की खेती वाले क्षेत्रों में जेई का खतरा अधिक, कानपुर मंडल के दो जिलों में कल से टीकाकरण अभियान
मंडल के कानपुर नगर एवं कानपुर देहात में स्वास्थ्य महकमा 21-28 फरवरी तक शून्य से दो वर्ष तक आयु के बच्चों का टीकाकरण करने का अभियान चलाने जा रहा है। प्रदेश के 37 जिले जापानी इंसेफलाइटिस से प्रभावित हैं।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना महामारी के चलते स्वास्थ्य महकमे की गतिविधियां थम सी गई थीं। कोरोना के केस घटने के बाद अब फिर स्वास्थ्य कार्यक्रमों में तेजी लाई जा रही है। इसी क्रम में कानपुर मंडल के दो जिलों समेत प्रदेश के 37 जिले जो जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) से प्रभावित हैं। वहां 0 से 2 वर्ष तक के बच्चों को वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य महकमा 21 से 28 फरवरी तक अभियान चलाएगा।
कोरोना काल के दौरान जन्मे बच्चों को जेई की पहली और दूसरी डोज नहीं लग सकी है। इसलिए शासन ने ऐसे बच्चों को ढूंढकर जेई वैक्सीन लगाने के निर्देश दिए हैं। दरअसल गंदगी, संक्रमण एवं विशेष प्रकार के मच्छरों की वजह से बुखार के साथ दिमाग में सूजन आ जाती है। इसे ही जापानी इंसेफलाइटिस कहते हैं। समय से इलाज नहीं कराने से बच्चों के जान पर भी बन आती है। कुपोषित, शारीरिक रूप से कमजोर एवं जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उन्हें ज्यादा खतरा होता है।
धान की खेती वाले क्षेत्रों में अधिक खतरा
जिन क्षेत्रों में धान की खेती अधिक होती है, उस क्षेत्र में इस बीमारी खतरा अधिक होता है। धान की पौध लगाने के लिए खेतों में पानी भरा जाता है, वहीं इसका मच्छर पनपता है।
यह हैं लक्षण : जापानी इंसेफलाइटिस में तेज बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकडऩ, घबराहट, दौरे पडऩा, बेहोशी। शासन की सूची में मंडल के कानपुर नगर एवं कानपुर देहात जिले को जेई प्रभावित माना गया है। यहां जेई का टीका लगाने से वंचित दो वर्ष तक के बच्चों के लिए रविवार से अभियान शुरू हो रहा है। सभी छूटे बच्चों को वैक्सीन लगाई जानी है। अभियान 28 फरवरी तक चलेगा। -डॉ. जीके मिश्रा, अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानपुर मंडल।