नार्वे, जापान समेत कई देशों के प्रतिनिधि करेंगे गंगा पर बात, जलशक्ति मंत्री करेंगे शिखर सम्मेलन की शुरुआत

आइआइटी में स्थापित सी-गंगा और और नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा की ओर से छह दिवसीय भारतीय जल प्रभाव सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें कई देशों के प्रतिनिधि जल प्रबंधन और संरक्षण पर चर्चा करेंगे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 08:58 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 08:58 AM (IST)
नार्वे, जापान समेत कई देशों के प्रतिनिधि करेंगे गंगा पर बात, जलशक्ति मंत्री करेंगे शिखर सम्मेलन की शुरुआत
आइआइटी के सी-गंगा और नमामि गंगे का आयोजन।

कानपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में स्थापित सेंटर फार गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज (सी-गंगा) और नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा (नमामि गंगे) के संयुक्त तत्वाधान में गुरुवार से छठा भारतीय जल प्रभाव सम्मेलन होगा। पानी पर केंद्रित विश्व के चुनिंदा आयोजनों में शामिल इस सम्मेलन में नार्वे, जापान, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया समेत यूरोपियन यूनियन और ब्राजील, रशिया व चीन के प्रतिनिधि शामिल होंगे। आफलाइन सत्र दिल्ली में आयोजित होंगे, जिसमें विशेषज्ञ, प्रशासनिक अधिकारी, शोधार्थी रहेंगे।

सी-गंगा के संस्थापक प्रमुख डा. विनोद तारे ने बताया कि शिखर सम्मेलन का उद्घाटन जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे। सम्मेलन का विषय है, नदी संसाधन निर्धारण : क्षेत्रीय स्तर पर योजना और प्रबंधन। सम्मेलन में जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए विज्ञान, प्रबंधन व प्रशासन तीनों के विशेषज्ञ चिंतन करेंगे। नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा के डायरेक्टर जनरल राजीव रंजन मिश्रा ने बताया कि नदी के संसाधनों का निर्धारण बहुत महत्वपूर्ण विषय है। छह दिवसीय शिखर सम्मेलन पांच चरणों में होगा। पहले चरण में नदियों से मिलने वाले संसाधनों व वस्तुओं के मूल्यांकन और उनकी गणना, आवश्यक वैज्ञानिक विधियों, तकनीक, नीतियों और कार्यविधियों पर चर्चा होगी।

दूसरे चरण में अपशिष्ट के प्रबंधन और वित्त व अर्थशास्त्र पर चर्चा के साथ कृषि, वाटर रीसाइकिलिंग पर जानकारी दी जाएगी। तीसरे चरण में तकनीक और नए आविष्कारों व रचनात्मक समाधानों जैसे डिजिटल वाटर, अपशिष्ट जल उपचार का विकेंद्रीकरण, जल विद्युत ऊर्जा, पेयजल आपूर्ति, नौका परिवहन, ग्रीन हाइड्रोजन पर बात होगी। चौथे चरण में विभिन्न राष्ट्रों के प्रतिनिधि सदन को संबोधित करेंगे। पांचवें चरण में नीतियों, कानूनों व प्रशासकीय चुनौतियों और समाधानों पर चर्चा होगी, ताकि सांस्कृतिक व पर्यटन संबंधी गतिविधियों में अवरोध पैदा किए बिना ही नदी के संसाधनों का अति दोहन रोका जा सके।

ब्रिटिश वाटर के साथ सी-गंगा का हुआ करार

हाल ही में लंदन के ब्रिटिश वाटर आर्गनाइजेशन के साथ सी गंगा ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत ब्रिटिश वाटर भारत के साथ मिलकर जलस्रोत और पर्यावरण संबंधी विकास के लिए काम करेंगे। इस तरह नार्वेरियन इंस्टीट्यूट आफ बायोइकोनामी के साथ भी सी-गंगा ने एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके मुताबिक निबियो सी-गंगा के साथ मिलकर अपशिष्ट प्रबंधन का मसौदा (फ्रेमवर्क) तैयार करेगा।

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