जालौन में नून नदी को नवजीवन के लिए IAS ने उठाई कुदाल, पानी आने से 30 गांवों में दूर हो जाएगी सिंचाई की समस्या
इस ड्रीम प्रोजेक्ट की शुरुआत विश्व जल दिवस पर कुकरगांव से कराई। मनरेगा व जन सहयोग से होने वाले इस कार्य के बाद जनपदवासियों की जल की उम्मीदें बढ़ी हैं। बकौल जिलाधिकारी नदी को नवजीवन देने से 30 गांवों में सिचाई की क्षमता बढ़ जाएगी और फसलें लहलहाएंगी।
उरई (विमल पांडेय)। अपने इरादों को यह न बताओ कि तकलीफ कितनी बड़ी है। बल्कि अपनी तकलीफ को बताओ कि इरादा कितना बड़ा है। इसे जिंदगी का फलसफा मानने वालीं जालौन की जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने सूखे बुंदेलखंड को पानी की समस्या से निजात दिलाने और तस्वीर बदलने के लिए हाथों में फावड़ा-कुदालथाम लिया। 89 किमी दायरे में बसी 33 ग्राम पंचायतों की जीवनधारा रही और बीते 20-25 साल से विलुप्त हो रही नून नदी के पुनर्जीवन के लिए मुहिम छेड़कर उन्होंने न केवल उत्थान का आगाज किया, बल्कि आम लोगों को भी सहभागिता का मंत्र दिया।
उन्होंने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट की शुरुआत विश्व जल दिवस पर कुकरगांव से कराई। मनरेगा व जन सहयोग से होने वाले इस कार्य के बाद जनपदवासियों की जल की उम्मीदें बढ़ी हैं। बकौल जिलाधिकारी नदी को नवजीवन देने से 30 गांवों में सिचाई की क्षमता बढ़ जाएगी और फसलें लहलहाएंगी। बारिश में नून नदी का अस्तित्व फिर सामने दिखने लगेगा। इस कार्य को 2021-22 में पूर्ण किया जाना है। मनरेगा योजना से इसका प्राक्कलन तैयार हो चुका है। वह कहती हैं कि अभियान को सामाजिक सहभागिता मिली है। नून नदी को जीवनदायिनी बनाकर अभियान सफल करेंगे।
जनता की सेवा के इरादे ने दिलाई मंजिल : 2013 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) प्रियंका निरंजन बचपन से ही जनता की सेवा का इरादा रखती थीं। उनके इसी जज्बे ने उन्हें आइएएस की मंजिल तक पहुंचाया। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में बीसवीं रैंक हासिल करने वाली प्रियंका की पहली पोस्टिंग जनपद मुजफ्फरनगर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रुप में हुई। वह सुर्खियों में तब आईं जब उन्होंने अपनी बेटी को एक सरकारी अस्पताल में जन्म दिया। उन्होंने समाज को एक संदेश भी दिया कि सरकारी अस्पतालों में भी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं। मीरजापुर में बतौर सीडीओ उन्होंने जल संरक्षण का एक वृहद अभियान शुरू कराया। उनके इस प्रयास को न केवल सराहा गया बल्कि उन्हें जल संरक्षण का राष्ट्रीय सम्मान मिला।