Ordnance Factory के CMD की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी, अगले माह के पहले हफ्ते मेें आ सकते हैं परिणाम
अभी भी रक्षा प्रतिष्ठान विभिन्न उत्पादों की जांच के लिए निजी कंपनियों के पास कुछ सैंपल भेजते हैं। कारपोरेशन बनने के बाद इसकी भागीदारी और बढ़ जाएगी। इसके बाद मिसाइल से लेकर छोटे छोटे हथियारों के पुर्जे विदेश से नहीं मंगवाने पड़ेंगे बल्कि यह अपने ही देश में बनाए जाएंगे।
कानपुर, जेएनएन। अक्टूबर में रक्षा प्रतिष्ठान प्राइवेट कंपनियों संग मिलकर काम करने लगेंगे। इस समय तक इन्हेंं कंपनी एक्ट में पंजीकृत करने की योजना है। सैन्य हथियार, उपकरण व जूते समेत अन्य उत्पादों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए यह बदलाव किया जा रहा है। इसके लिए आर्डनेंस फैक्ट्रियों के मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी) की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अगले माह के पहले हफ्ते मेें इसके परिणाम आ सकते हैं।
परिणाम आने के साथ ही सीएमडी के साथ साथ बोर्ड आफ डायरेक्टर की घोषणा भी की जाएगी। उनकी नियुक्ति के बाद एक अक्टूबर तक रक्षा प्रतिष्ठानों को कंपनी एक्ट में पंजीकरण कराए जाने की योजना है। कानपुर समेत देश के विभिन्न रक्षा प्रतिष्ठानों के लिए सात कारपोरेशन बनने हैं जिसमें तीन कारपोरेशन कानपुर में बनाए जा सकते हैं। यहां पर लघु शस्त्र, कपड़े, बड़े शस्त्र व सैनिकों के अन्य उपकरण बनाए जाने की सर्वाधिक पांच आर्डनेंस फैक्ट्रियां हैं। अब यह सभी फैक्ट्रियां सीएमडी के दिशा निर्देश पर कार्य करेंगी। इसके बाद निजी कंपनियों की भागीदारी बढऩा तय है। अभी भी रक्षा प्रतिष्ठान विभिन्न उत्पादों की जांच के लिए निजी कंपनियों के पास कुछ सैंपल भेजते हैं। कारपोरेशन बनने के बाद इसकी भागीदारी और बढ़ जाएगी। इसके बाद मिसाइल से लेकर छोटे छोटे हथियारों के पुर्जे विदेश से नहीं मंगवाने पड़ेंगे बल्कि यह अपने ही देश में बनाए जाएंगे। इसके लिए निजी कंपनियों की मदद ली जाएगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) हथियार बनाने के लिए अपनी तकनीक निजी कंपनियों को दे सकता है। इसके संकेत उसने एक निजी कंपनी को मिसाइल बनाए जाने की अनुमति देने के साथ दे दिए हैं।
कर्मचारियों को लाभ मिलने के आसार कम : भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के उपाध्यक्ष व वार्ता कमेटी का सदस्य साधु सिंह ने बताया कि देश के सर्वाधिक पांच रक्षा प्रतिष्ठान कानपुर में हैं। इनमें 14 हजार से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। रक्षा प्रतिष्ठानों को कंपनियों में तब्दील किए जाने की घोषणा का सबसे ज्यादा असर इसी शहर के कर्मचारियों पर पड़ा है। कारपोरेशन बनने से कर्मचारियों को लाभ मिलने के आसार कम है। कई बार हुई वार्ता के दौरान सरकार ने वर्कलोड की गारंटी नहीं दी है, जिससे भविष्य में क्या स्थिति होगी यह कह पाना मुश्किल है।