पढ़िए - कैसे UP के एक द्रोणाचार्य ने नेत्रहीन एकलव्य की प्रतिभा को तराशकर उसके सपनों को दी उड़ान

Inspirational and Motivational Story Teacher and Student अखाड़े से निकल रहीं प्रतिभाएं नेत्रहीन राजू को पहचान दिलाने वाले श्रीराम अखाड़े में दर्जनों ऐसे खिलाड़ी रहे जो आर्थिक परिस्थितियों को मात देकर राष्ट्रीय फलक पर चमक बिखेर चुके हैं। ललितपुर में मुफलिसी को शिकस्त देकर खिलाड़ियों ने पहचान बनाई।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Tue, 06 Apr 2021 03:41 PM (IST) Updated:Tue, 06 Apr 2021 05:22 PM (IST)
पढ़िए - कैसे UP के एक द्रोणाचार्य ने नेत्रहीन एकलव्य की प्रतिभा को तराशकर उसके सपनों को दी उड़ान
नेत्रहीन राजू ने 66 किलोग्राम में स्वर्णिम छाप छोड़कर सबको अपनी काबिलियत से चौंका दिया।

कानपुर, [अंकुश शुक्ल]। प्रकृति अगर किसी से कुछ लेती है तो उसे प्रतिभा से भी नवाजती भी है। कुछ ऐसी विलक्षण से प्रतिभा से प्रकृति ने नवाजा है पावर लिफ्टर राजू बाजपेई को, जो कि नेत्रहीन होने के बाद भी मेहनत और लगन के चलते जीवन में रंग भरने को जुटे हुए हैं। इसे कोच और खिलाड़ी राजू का जुझारूपन कहेंगे कि महज पांच महीने में स्वर्णिम छाप छोड़ी। एकलव्य और द्रोणाचार्य की यह जोड़ी स्टेट पावर लिफ्टिंग में पदक झटकने की तैयारियों को दुरुस्त करने में लगे हुए हैं। नारायणपुरवा निवासी 24 वर्षीय नेत्रहीन खिलाड़ी राजू बाजपेयी जन्म से ही देखने की शक्ति से वंचित हैं। 

पढ़ाई में होनहार राजू सीटेड, डीएलएड पूरा करने के बाद इन दिनों दिल्ली में जर्नलिज्म की पढ़ाई कर रहे हैं। जीवन में अनगिनत रंग भरने की ख्वाहिश रखने वाले राजू के सपनों को सच करने का बीड़ा दर्शन पुरवा स्थित श्रीराम अखाड़े के कोच दुर्गेश पाठक ने उठाया। उन्होंने संक्रमण काल में शहर लौटे राजू को अखाड़े में ले जाकर उनकी प्रतिभा को तराशा। महज पांच महीने तक अखाड़े में कड़ा अभ्यास कराने के बाद कोच ने राजू को डिस्ट्रिक पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में उतारा। जहां पर नेत्रहीन राजू ने 66 किलोग्राम में स्वर्णिम छाप छोड़कर सबको अपनी काबिलियत से चौंका दिया। राजू के पिता प्रकाश चंद्र बाजपेई सेवानिवृत्त तथा मां ऊषा बाजपेई गृहणी हैं।

अखाड़े से निकल रहीं प्रतिभाएं नेत्रहीन राजू को पहचान दिलाने वाले श्रीराम अखाड़े में दर्जनों ऐसे खिलाड़ी रहे जो आर्थिक परिस्थितियों को मात देकर राष्ट्रीय फलक पर चमक बिखेर चुके हैं। ललितपुर में हुई स्टेट व नेशनल पावर लिफ्टिंग में मुफलिसी को शिकस्त देकर खिलाड़ियों ने पहचान बनाई। कोच दुर्गेश पाठक निश्शुल्क प्रशिक्षण प्रतिभाओं को मंच मुहैया करा रहे हैं।

छह बार ऑपरेशन के दौर से गुजरे राजू: राजू ने बताया कि छह बार रोशनी के लिए आंखों का ऑपरेशन कराया। जिसके बाद कुछ हद तक दिखना शुरू हुआ। परंतु धीरे-धीरे फिर से वहीं स्थितियां आ गई। राजू बतातें हैं कि हमारे जैसों को कोई भी सीखना और संवारना नहीं चाहता है। कोच ने मेरा साथ दिया उनका नाम जरूर रोशन करूंगा। 

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