एनएसआइ में खुलने जा रहा इनोवेशन सेंटर, 37 साल बाद फिर चालू होगा गुड़ और खांडसारी उत्पादन

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में 37 साल से बंद गुड़ और खांडसारी इकाई में लिक्विड फ्लेवर्ड क्यूब फोर्टिफाइड गुड़ और गुड़ पाउडर बनना शुरू हो जाएगा। संस्थान द्वारा इनोवेशन सेंटर के लिए उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को दो करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 08:45 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 08:45 AM (IST)
एनएसआइ में खुलने जा रहा इनोवेशन सेंटर, 37 साल बाद फिर चालू होगा गुड़ और खांडसारी उत्पादन
कानपुर के एनएसआइ में गुड़ और खांडसारी बनाया जाएगा।

कानपुर, जेएनएन। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) गुड़ और खांडसारी (गुड़ और चीनी के बीच का खाद्य) के क्षेत्र में उद्यमिता विकास कराएगा। यहां के विशेषज्ञ सामान्य गुड़ और खांडसारी से जहां लिक्विड, फ्लेवर्ड, क्यूब, फोर्टिफाइड गुड़ और गुड़ पाउडर बनाना सिखाएंगे। वहीं, इनसे चाकलेट, बिस्कुट, केक, पेस्ट्री और अन्य बेकरी व कनफेक्शनरी उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण देंगे। छात्रों के इसी फार्मूले पर अन्य प्रोडक्ट बनाने की विधा को पेटेंट कराया जाएगा। संस्थान में सेंटर फार इनोवेशन इन गुड़ एंड खांडसारी खुलने जा रहा है। यह 37 वर्षों से बंद खांडसारी एवं गुड़ उत्पादन इकाई में चालू किया जाएगा। एनएसआइ की ओर से उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को दो करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेज गया है। मंत्रालय की ओर से सैद्धांतिक सहमति मिल गई है।

संस्थान में खांडसारी और गुड़ की इकाई उदासीनता व रखरखाव के अभाव में बंद हो गई थी। पिछले दिनों खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के सचिव डा. सुधांशु पांडेय ने निरीक्षण किया था। उन्होंने बंद इकाई को चालू कराकर रोजगारपरक कोर्स संचालित करने का निर्देश दिया। एनएसआइ निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने प्रस्ताव तैयार कराया। प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि मशीनें खराब हो चुकी हैं। उनका उच्चीकरण कराया जाएगा। कुछ मशीनें तो पुरानी तकनीक पर आधारित हैं। इकाई के चालू होने पर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।

दो हफ्ते से एक महीने का होगा कोर्स : सेंटर में कनफेक्शनरी और बेकरी आइटम, लिक्विड, फ्लेवर्ड, क्यूब, फोर्टिफाइड गुड़ और गुड़ पाउडर बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह दो हफ्ते से एक महीने का रहेगा। चाकलेट, लालीपाप और कैंडी तैयार की जाएगी। निदेशक के मुताबिक कई अन्य संस्थानों से करार किया जाएगा।

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