कुत्तों व बकरियों को मारने वाला घायल तेंदुआ पीलीभीत से आया

नौ साल का यह तेंदुआ साल भर से गांव में घूम रहा था। ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग व चिडिय़ाघर की संयुक्त टीम ने ट्रेपिंग केज के जरिए इस पर काबू किया। नौ साल के इस तेंदुए को पकडऩे के लिए करीब पांच घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला।

By Moris SamuelEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 03:23 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 03:23 PM (IST)
कुत्तों व बकरियों को मारने वाला घायल तेंदुआ पीलीभीत से आया
पांच घंटे तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन दांत टूटे व पंजे भी घायल

कानपुर, जेएनएन। पीलीभीत के गांव सूरजपुर में घुसकर कुत्तों व बकरियों को मारकर खाने वाले तेंदुआ रेस्क्यू करके कानपुर प्राणि उद्यान चिडिय़ाघर लाया गया है। उसके दो दांत टूटे हैं व पंजे भी घायल हैं। नौ साल का यह तेंदुआ साल भर से गांव में घूम रहा था। ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग व चिडिय़ाघर की संयुक्त टीम ने ट्रेपिंग केज के जरिए इस पर काबू किया। नौ साल के इस तेंदुए को पकडऩे के लिए करीब पांच घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला।

इसकी हालत को देखते हुए चिडिय़ाघर के पशु चिकित्सकों का अनुमान है कि तेंदुए को ठीक होने में कम से कम दो माह का समय लगेगा। यह तेंदुआ लगभग एक साल से ग्रामीणों को परेशान कर रहा था। पहले घर के बाहर बंधे व घूम रहे कुत्तों को को खींचकर ले जाता था। फिर बकरी को ले जाने लगा। इससे ग्रामीणों का व्यवसाय चैपट होने लगा। उन्होंने वन विभाग को इसकी सूचना दी और फिर उसे पकड़ लिया गया। सोमवार को वह चिडिय़ाघर पहुंचा। चिडिय़ाघर के सहायक निदेशक अरविंद सिंह ने बताया कि यहां पर पशु चिकित्सकों की बेहतरीन टीम होने के कारण तेंदुए का इलाज के लिए यहां भेजा गया है। ठीक होने के बाद इसे यहां नहीं रखा जाएगा। कानपुर प्राणि उद्यान में पहले ही 23 तेंदुए हैं इसलिए इसे शिफ्ट किया जाएगा। इसे दोबारा जंगल में छोडऩे के अलावा इटावा के लाइन सफारी में भी इसे शिफ्ट किए जाने की भी योजना है। दोनों पर बाद में विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि नौ साल की उम्र में तेंदुआ मोटी चमड़ी के शिकार नहीं कर पाता है इसलिए यह कुत्ते, बकरी, भेड़ व अन्य घरेलू जीवों का शिकार करता है। इसके साथ भी ऐसा ही हुआ। तेंदुए की उम्र आमतौर पर 15 वर्ष होती है। इस तेंदुए को मिलाकर इस वर्ष रेस्क्यू करके यहां पर दो बाघ व चार तेंदुए लगाए जा चुके हैं।

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