रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते तीन शातिर गिरफ्तार, जानिए पूरा मामला
मोहन ने बताया कि उसे भी रुपयों की जरूरत थी। इंजेक्शन आने के बाद उसे सप्लाई करके रकम भी निकालनी थी। अपना रुपये निकालने के बाद जो बचता उसमें अपूर्वा को हिस्सा देना था। इंजेक्शन की बाजार में किल्लत की जानकारी उसे थी।
कानपुर, जेएनएन। तीन पहले 86 हजार की उधारी चुकाने के लिए 14 लाख रुपये से अधिक कीमत के इंजेक्शन! यह सुनकर अटपटा जरूर लगेगा, मगर कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में कारगर इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी में पकड़े गए बख्तौरीपुरवा, नौबस्ता निवासी आरोपित मोहन सोनी ने पुलिस को यही कहानी बताई है।
उसने बताया कि पहले वह चंडीगढ़ की एक फार्मा कंपनी में काम करता था। उसकी दोस्ती पश्चिम बंगाल निवासी अपूर्वा मुखर्जी से हुई। तीन साल पहले अपूर्वा को कुछ रुपयों की जरूरत पड़ी थी। उसने अपूर्वा को 86 हजार रुपये उधार दिए थे। कई बार कहने के बाद भी अपूर्वा रकम वापस नहीं कर पा रहा था। इधर, एक बार फिर दोनों के बीच बातचीत हुई थी। अपूर्वा का वाराणसी निवासी एक परिचित पश्चिम बंगाल गया था। उसके माध्यम से अपूर्वा ने रेमडेसिविर इंजेक्शन भेजे थे। परिचित ने वाराणसी से ये इंजेक्शन रोडवेज बस से भेजने के बाद उसे बस नंबर और चालक का मोबाइल भेज सूचना दी थी। चालक से बातचीत करने के बाद निर्धारित समय पर वह झकरकटी बस अड्डे पहुंचा और इंजेक्शन का डिब्बा लिया। मोहन ने बताया कि वह मौजूदा समय में अल्ट्रा वॉयल बायोटेक लिमिटेड में सेल्स का काम देखता है।
पखवारा भर पहले फेसबुक पर हुई थी दोस्ती : मोहन ने बताया कि उसे भी रुपयों की जरूरत थी। इंजेक्शन आने के बाद उसे सप्लाई करके रकम भी निकालनी थी। अपना रुपये निकालने के बाद जो बचता उसमें अपूर्वा को हिस्सा देना था। इंजेक्शन की बाजार में किल्लत की जानकारी उसे थी। वैसे तो इसका 5400 रुपये रेट निर्धारित था, लेकिन किल्लत में यह मनमाने दामों पर बेचने की योजना थी। उसने ग्राहकों की तलाश शुरू की थी। इसी बीच पखवारा भर पहले उसकी फेसबुक पर यमुना नगर हरियाणा निवासी सचिन कुमार से दोस्ती हुई थी। सचिन से पहले दस इंजेक्शन का सौदा हुआ था। बाद में सचिन ने दस इंजेक्शन और खरीदने की बात कही थी। उसे इंजेक्शन देने के लिए शहर बुलाया था।
दोस्ती में फंसा प्रशांत : इंजेक्शन के साथ पकड़े गए प्रशांत ने बताया कि वह बिधनू में निर्माणाधीन कैरीबैग बनाने वाली गौतम जैन की फैक्ट्री का कर्मचारी और मोहन का दोस्त भी है। प्रशांत के मुताबिक मुझे पूरे प्रकरण की जानकारी ही नहीं थी। मुझसे तो मोहन ने आकर बोला कि किसी को माल देना है, अपनी बाइक से लेकर बस अड्डे तक चलो। वह उसके साथ हो गया था। प्रशांत ने बताया कि डिब्बे में इंजेक्शन है या क्या है, उसे नहीं पता था। प्रशांत ने बताया कि पहले तो उसने पेट्रोल नहीं होने की बात कहकर टालने की कोशिश की थी, लेकिन मोहन ने उसकी गाड़ी में दो सौ रुपये का पेट्रोल भरा दिया था। इसके कारण वह साथ चला गया।