पीपीपी मॉडल से कानपुर में औद्योगिक क्षेत्र बसाने को मांगे आवेदन, को-डेवलेपर भी उपलब्ध कराएगा धन
मंधना औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के लिए भूमि का अधिग्रहण हुआ था और सात लाख रुपये की दर से मुआवजा दिया गया था। मुआवजा राशि मिलने के बाद भी किसानों ने भूमि पर कब्जा नहीं दिया। यही स्थिति ट्रांसगंगा सिटी की रही।
कानपुर, जेएनएन। पीपीपी मॉडल पर औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए उप्र लघु उद्योग निगम ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। पांच से 50 एकड़ तक के औद्योगिक क्षेत्र बसाने के लिए प्रबंधन ने आवेदन मांगे हैं। अब कोई भी कंपनी, व्यक्ति या समूह जिसके पास भूमि होगी वह आवेदन करेगा तो अभिलेखों के परीक्षण के बाद उसे मान्यता दी जाएगी। अगर भू स्वामी के पास विकास के लिए धन नहीं होगा तो निगम को-डेवलेपर भी उपलब्ध कराएगा। लेआउट पास कराने, भूमि को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में अधिसूचित कराने और मानचित्र पास कराने के एवज में निगम पांच प्रतिशत भूखंड लेगा। इतना ही नहीं जरूरत पडऩे पर विकास के लिए 12 प्रतिशत ब्याज पर वित्तीय मदद भी देगा।
इस लिए पीपीपी मॉडल को बढ़ावा
भूमि अधिग्रहण में बड़ी समस्या आ रही है। स्थिति यह है कि तमाम जगहों पर किसान सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा लेने को तैयार नहीं हैं। वे आठ से दस गुना मुआवजा मांग रहे हैं। इससे भूमि अधिग्रहण का कार्य नहीं हो पा रहा है। मंधना औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के लिए भूमि का अधिग्रहण हुआ था और सात लाख रुपये की दर से मुआवजा दिया गया था। मुआवजा राशि मिलने के बाद भी किसानों ने भूमि पर कब्जा नहीं दिया। यही स्थिति ट्रांसगंगा सिटी की रही। वहां दो बार मुआवजा देने के बाद भूमि पर कब्जा मिला वह भी पुलिस बल का प्रयोग करने के बाद। ऐसे में सरकार ने पीपीपी मॉडल के औद्योगिक क्षेत्रों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया। इस कार्य की जिम्मेदारी उप्र लघु उद्योग निगम निभाएगा। पांच से 50 एकड़ तक के औद्योगिक क्षेत्र निगम बसाने में मदद करेगा।
इस तरह होगी स्थापना
जिस किसी भी व्यक्ति के पास भूमि होगी वह निगम के मुख्यालय में आवेदन करेगा। निगम प्रबंधन उसके साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करेगा। औद्योगिक क्षेत्र बसाने में तीन पार्टियां होंगी। एक भू स्वामी, दूसरा विकासकर्ता और तीसरा निगम। भू स्वामी को यह अधिकार होगा कि वह विकासकर्ता की भूमिका भी निभा सकता है। विकास के लिए उसके पास पर्याप्त धनराशि होनी चाहिए। अगर वह धनराशि खर्च करने की स्थिति में नहीं होगा तो उसे निगम की ओर से विकासकर्ता उपलब्ध कराएगा। विकासकर्ता जितनी धनराशि लगाएगा उसी हिसाब से उसका शेयर लाभांश में होगा। इतना ही नहीं अगर भू स्वामी चाहेगा तो प्रबंधन वित्तीय मदद भी करेगा, लेकिन जो राशि देगा उसके बदले में ब्याज लेगा।
काटने होंगे कम से कम चार प्लाट
औद्योगिक क्षेत्र में कम से कम चार प्लाट काटे जाएंगे। वहां पानी आपूर्ति, सड़क, जल निकासी, जरूरत पडऩे पर इंफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट आदि सभी मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जाएगा। भूखंड के कुल क्षेत्रफल में से पांच फीसद भूमि निगम को मिलेगी जिस पर वह गोदाम बनाकर किराए पर दे सकता है।