कानपुर में बन रहा देश का सबसे बड़ा इंटरलॉकिंग यार्ड, माउस के एक क्लिक पर बदल जाएंगे मालगाडिय़ों के ट्रैक
कानपुर के जूही में बन रहे गुड्स मार्शलिंग कानपुर यार्ड का काम अगस्त तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। यहां पर 34 लाइनें हैं और 17 में अभी इंटरलॉकिंग का काम पूरा होना बाकी है। कंट्रोल रूम का निर्माण तेजी से हो रहा है।
कानपुर, [आलोक शर्मा]। बहुत जल्द माउस के क्लिक पर गुड्स मार्शलिंग कानपुर (जीएमसी) यार्ड जूही से मालगाडिय़ों के ट्रैक बदल जाएंगे। अगस्त 2021 तक इस काम को पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके बाद जीएमसी यार्ड देश का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (ईआइ) युक्त यार्ड होगा। ईआइ से ट्रेनें चलाने के लिए कंट्रोल रूम भवन निर्माण तेजी से चल रहा है।
जीएमसी यार्ड में अभी तक मैकेनिकल इंटरलॉकिंग से ट्रैक बदलने का काम होता था, जिसमें लीवर जैसे उपकरणों की मदद से मालगाडिय़ों को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर भेजा जाता है। आधुनिक तकनीक के दौर में यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल है वहीं समय भी अधिक लेती है। सुरक्षा की लिहाज से भी बेहतर नहीं है। इसे देखते हुए 25 करोड़ रुपये से यहां ईआइ का काम शुरू किया गया है। काम पूरा होने के बाद यहां मालगाडिय़ों को कंप्यूटर पर देखकर एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर आसानी से भेजा जा सकेगा। सिग्नल एंड टेलीकॉम विभाग ने इस काम को पूरा करने का लक्ष्य अगस्त 2021 तय किया है। ईआइ के काम में सिग्नल एंड टेलीकॉम विभाग के साथ इंजीनियरिंग, ऑपरेशन सेफ्टी समेत कई और विभाग लगे हैं।
अभी आधे में ईआइ से संचालन
जीएमसी यार्ड दो हिस्सों में बंटा है जिसमें ए और बी दो केबिन हैं। एक केबिन से 17 लाइनें जबकि बी केबिन से 17 लाइनों का संचालन किया जाता है। अभी तक ए केबिन से ट्रेनों का संचालन ईआइ से किया जा रहा है जबकि बी केबिन से ट्रेनों का संचालन मैकेनिकल इंटरलॉकिंग से हो रहा है।
खडग़पुर से ज्यादा रूट संचालित होंगे यहां से
सिग्नल एंड टेलीकॉम विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अभी तक जूही यार्ड में ईआइ से अलग-अलग 650 रूट संचालित किए जा रहे थे। अब 300 और रूटों की ईआइ का काम शुरू हुआ है। दोनों जुडऩे के बाद यह देश का सबसे बड़ा ईआइ से संचालित यार्ड होगा। वर्तमान में खडग़पुर में सबसे बड़ा ईआइ है जिससे 850 रूट संचालित होते हैं। जूही में ईआइ का काम शुरू करा दिया गया है। अगस्त तक यह पूरा हो जाएगा। जिसके बाद यह देश का सबसे बड़ा ईआइ आधारित यार्ड होगा। ये उत्तर मध्य रेलवे की बड़ी उपलब्धि होगी। -आशीष कुमार सिंह, सीनियर डिवीजनल सिग्नल एंड टेलीकॉम इंजीनियर