Indian Railways: सीवीवीआरएस से लैस होंगे ट्रेनों के इंजन, विमान के ब्लैक बॉक्स की तरह करेगा काम
भारतीय रेलवे हादसे रोकने के लिए ट्रेनों के इंजन में सीवीवीआरएस लगवा रहा है। शार्ट-सर्किट के अलर्ट पर एक मिनट तक अलार्म बजेगा और पायलट द्वारा प्रतिक्रिया न देने पर ओएचई से पेंटो अलग होने के साथ ट्रेन रुक जाएगी। पूरे घटनाक्रम की जानकारी भी मिलेगी।
कानपुर, [आलोक शर्मा]। भारतीय रेलवे भी ट्रेन हादसे रोकने के लिए अत्याधुनिक तकनीक अपना रहा है। ट्रेनों के इंजन क्रू वायस एंड वीडियो रिकार्डिंग सिस्टम (सीवीवीआरएस) से लैस किए जा रहे हैंं। सफर के दौरान इंजन या पेंटो में शार्ट-सर्किट और आग लगने की घटना पर लोको और सहायक पायलट को एक मिनट के भीतर अलार्म बजाकर अलर्ट करेगा। अलार्म बजने के छह से आठ सेकेंड में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो सिस्टम ओवरहेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) लाइन से इंजन का पेंटो हटाकर ट्रेन को रोक देगा। इस तकनीक को चार सीसीटीवी कैमरों से जोड़ा गया है, जो इंजन में होने वाले हादसे या दुर्घटना पर नजर रखेंगे। ये सिस्टम विमान के ब्लैक बॉक्स की तरह केबिन के अंदर सामान्य या किसी भी विपरीत परिस्थिति में लोको और सहायक पायलट के बीच हो रही बातचीत और वीडियो स्वत: रिकार्ड करेगा। ऐसे में कोई दुर्घटना हुई तो जांच टीम को इसकी मदद से पूरे घटनाक्रम की जानकारी मिल जाएगी।
ऐसे काम करेगा सिस्टम
इस तकनीक को अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) ने तैयार किया है। इसमें चार सीसीटीवी कैमरे लगे हैं जिसमें दो सीसीटीवी कैमरे इंजन के अंदर पायलट और सहायक पायलट पर नजर रखेंगे। एक कैमरा इंजन के केबिन में लगाया जाएगा जो आग या स्पार्किंग पर नजर रखेगा। चौथा कैमरा इंजन के ऊपरी हिस्से पर लगेगा ताकि ओएचई लाइन पर नजर रखी जा सके। ट्रेन चलने के दौरान पेंटो या ओएचई से आग या फिर स्पार्किंग जैसी किसी भी स्थिति को यह सिस्टम विजुअल के जरिए पायलट तक मैसेज देगा। इस बीच एक मिनट तक यदि लोको पायलट या सहायक ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो इंजन के अंदर लगा अलार्म बज उठेगा। इसी के साथ सीवीवीआरएस तकनीक से जुड़ी आटोमेटिक कंट्रोल डिवाइस ओएचई से विद्युत आपूर्ति ले रहे पेंटो को नीचे गिरा देगी। विद्युत आपूर्ति बंद होने से ट्रेन रुक जाएगी। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक किसी भी हादसे के बाद यह पूरी प्रक्रिया महज 76 सेकेंड में पूरी होगी।
पायलट ले रहे प्रशिक्षण : कानपुर लोको के 70 रेल इंजनों में से अब तक 26 में ये तकनीक लगाई जा चुकी है। इसके लिए पायलट को प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि तकनीक कैसे काम करती है, उस पर पायलट कैसे निगाह रखें और कैसे प्रयोग करें इसकी जानकारी दी जा रही है। रेलवे के मुताबिक इस तकनीक से जहां हादसों पर लगाम लगेगी वहीं यदि कोई हादसा होता भी है तो उसके कारण और पायलट द्वारा उठाए गए कदम की सही व सटीक जानकारी भी मिल जाएगी।
-सीवीवीआरएस तकनीक से हादसों पर नियंत्रण लगेगा। वर्तमान में 26 रेल इंजनों में यह तकनीक लगाई जा चुकी है। जल्द ही सभी में इसे लगाया जाएगा। -योगेश यादव, सहायक मंडल विद्युत अभियंता आपरेशन