Indian Railway News: अब रेलवे के अंडरपास में नहीं भरेगा पानी, हाइड्रोफोबिक पॉलीयूरेथेन रोक देगा रिसाव

सभी जगह रेलवे अंडरपास में बारिश के समय पानी भर जाने से दीवारें कमजोर होने का खतरा बना रहता है अब नई तकनीक पॉली रबर कंपाउंड का इस्तेमाल करके पानी के रिसाव को रोका जाएगा जिससे जलभराव नहीं हो सकेगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 08:57 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 06:47 PM (IST)
Indian Railway News: अब रेलवे के अंडरपास में नहीं भरेगा पानी, हाइड्रोफोबिक पॉलीयूरेथेन रोक देगा रिसाव
रेलवे अंडरपास में भरे पानी से गुजरते वाहन। प्रतीकात्मक फोटो

कानपुर, [आलोक शर्मा]। रेलवे के अंडरपास में पानी के रिसाव व जलभराव की समस्या अब पूरी तरह खत्म होगी। रेलवे ने इससे निजात की तकनीक ईजाद कर ली है। तकनीक का सफल प्रयोग बीते सप्ताह मथुरा से अलवर के बीच स्थित एक अंडरब्रिज पर किया गया जो पूरी तरह सफल रहा। अब उत्तर मध्य रेलवे मंडल में मौजूद ऐसे सभी अंडरपास की सूची बनाने में जुट गया है, जहां से पानी के रिसाव और जलभराव से आवागमन अवरुद्ध हो जाता है।

ट्रेनों के आवागमन मार्ग में लोगों के निकलने के लिए अंडरब्रिज बनाए जाते हैं। जमीन से लेवल नीचे होने के चलते अक्सर यहां पानी भर जाता है। अंडर ब्रिज की दीवार से भी पानी का रिसाव शुरू हो जाता है। इससे ब्रिज के ढहने का खतरा बढ़ जाता है। रेलवे ने इस समस्या का स्थायी समाधान निकाल लिया है। रेलवे ने ऐसे अंडरपास के लिए हाइड्रोफोबिक पॉलीयूरेथेन की ग्राउंटिंग (दरारों में मसाला भरना) कर पानी की इस समस्या को खत्म करने में सफलता पाई है।

बिठूर का अंडर ब्रिज भी होगा सही

बिठूर के मोहम्मदपुर गांव में डेढ़ वर्ष पूर्व नया ब्रह्मावर्त स्टेशन बनाया गया था। यहां भी अंडर ब्रिज बनाया गया। इस रास्ते से परियर पुल होते हुए उन्नाव, मैनावती मार्ग से चौबेपुर और शिवराजपुर के लिए आवागमन है। बरसात में यहां तीन फीट तक पानी भर जाता है। पानी के रिसाव से दीवारों में दरार आ गई है। सेंट्रल स्टेशन में बने अंडर पास में भी पानी भरने की समस्या आम है। नई तकनीक मोहम्मदपुर के अंडर ब्रिज और सेंट्रल के अंडर पास की समस्या को खत्म कर देगी।

पॉली रबर कंपाउंड है हाइड्रोफोबिक पॉलीयूरेथेन

रेलवे के इंजीनियर बताते हैं कि हाइड्रोफोबिक पॉलीयूरेथेन पॉली रबर जैसा कंपाउंड है जो काफी मजबूत होता है। यह जेली फार्म में आता है। इसके साथ कंक्रीट जैसे एक दूसरे कंपोनेंट पेनट्रेंट मोर्टार का प्रयोग किया जाता है। दोनों को मिक्स करने के बाद जहां भी लीकेज है, उसमें भर दिया जाता है। इसकी खासियत है कि यह अंदर तक पहुंच जाता है और फैलकर कम समय में ही खाली जगह पर सेट हो जाता है, जिसके बाद दरार पूरी तरह बंद हो जाती है। इसके साथ ही इसमें पानी सोखने की भी क्षमता है। बीते सप्ताह इस नई तकनीक का प्रयोग करके एक अंडर ब्रिज में पानी की समस्या को पूरी तरह खत्म किया गया है। मंडल में ऐसे सभी अंडर ब्रिज चिह्नित किए जा रहे हैं, जहां इस तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। -अजीत कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी प्रयागराज मंडल 

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